ये कहानी शुरू होती है साल 1961 से. शाहजहां (Shah Jahan) कैद में थे. दारा शिकोह (Dara Shikoh) की मौत हो चुकी थी. और दिल्ली के नए बादशाह का नाम था औरंगजेब (Aurangzeb). भाई की मौत के बाद भी औरंगजेब को डर था कि मरा हुआ भाई, उनसे ज्यादा प्रसिद्ध न हो जाए. इसलिए जरूरी था. दारा शिकोह का नामों निशान मिटा देना. दारा की सबसे बड़ी निशानी एक जिन्दा फकीर था. सरमद काशानी. पूरी कहानी जानने के लिए वीडियो देखें.