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18 की उम्र में मिलता है वोटिंग का अधिकार, 16 में क्यों नहीं? ये है पीछे की कहानी

हमारे पड़ोसी देश नेपाल ने वोटिंग की न्यूनतम उम्र घटाकर 16 साल कर दी है. लेकिन भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में वोट डालना हो या सेक्स कंसेंट, दोनों के लिए 18 साल की उम्र जरूरी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 18 साल की उम्र में ऐसा क्या खास होता है, जो हर जगह ये ‘वयस्कता का प्रवेश द्वार’ बनी बैठी है?

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नेपाल में वोट देने की न्यूनतम उम्र 16 साल हो गई है (India Today)

जेन-जी (Gen Z) यानी युवाओं के आंदोलन से नेपाल में बदली सरकार ने नियम बदलने भी शुरू कर दिए हैं. अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने नई सरकार के चुनाव को और ज्यादा युवा बनाने के मकसद से बड़ा एलान किया है. वहां अब 16 साल के लड़के-लड़कियां भी वोट डाल पाएंगे. अभी तक वहां वोट डालने की न्यूनतम उम्र भारत की तरह 18 साल थी, लेकिन लोकतांत्रिक चुनावों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उन्होंने इस सीमा को कम करके 16 साल कर दिया है. हालांकि, नेपाल ऐसा पहला देश नहीं है, जहां 16 साल के किशोर वोट डालने की योग्यता पाएंगे. दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां 16 साल की उम्र में मताधिकार मिला है. वहीं, अमेरिका समेत कई देशों में इस पर बहस भी चल रही है कि उम्र सीमा को 18 से घटाकर 16 किया जाना चाहिए.

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18 साल ही क्यों होती है वोट डालने की उम्र?

वोट डालना हो या सेक्स कंसेंट, दोनों के लिए 18 साल की उम्र जरूरी है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 18 साल की उम्र में ऐसा क्या खास होता है, जो हर जगह ये ‘वयस्कता का प्रवेश द्वार’ बनी बैठी है? ईमेल आईडी बनाइए. या किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट. 18 साल का होने की योग्यता की डिमांड पीछा नहीं छोड़ती. ‘व’ या ‘ए’ सर्टिफिकेट वाली फिल्मों में भी ‘18 साल के हैं कि नहीं’ ये पूछकर ही थियेटरों में एंट्री दी जाती है. 

ऐसे में सवाल है कि आखिर 18 साल की उम्र बच्चे और वयस्क के बीच की सीमा कैसे बनी? 

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जवाब है कि इसका कोई ‘प्राकृतिक’ कारण नहीं है. यह पूरी तरह से कानूनी उम्र है, जिसे बच्चों को काम पर जाने से रोकने के लिए बनाया गया था. अलग-अलग समय में ये उम्र अलग-अलग रही. मसलन, पहले 7 या 10 साल के बच्चे भी काम करते थे. इतिहास में जाएं तो सबसे पहले अमेरिका में Fair Labor Standards Act के तहत साल 1938 में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया गया. इस एक्ट में 14 साल से कम उम्र के बच्चों के काम करने पर तो पूरा प्रतिबंध लगा दिया गया लेकिन 14 से 18 साल तक के बच्चों को काम करने की इजाजत दे दी गई थी. इसमें भी कैटेगरी बनाई गई कि 18 साल तक के बच्चों से ‘खतरनाक काम’ नहीं करवाए जाएंगे. बाल अधिकार संबंधी प्रतिबंधों के लिए 18 साल की उम्र का इस्तेमाल ऐसे ही शुरु हुआ.

इसी तरह वोटिंग के लिए तमाम देशों में न्यूनतम उम्र 21 साल थी. अमेरिका ने तो 1971 में कानून लाकर इसे 18 साल किया. भारत में भी पहले वोटर रजिस्ट्रेशन की आयु 21 साल थी. संविधान के 61वें संशोधन अधिनियम, 1988 और 1989 के जरिए मतदाता पंजीकरण की कम से कम उम्र को घटाकर 18 साल किया गया. 

माना गया कि 18 साल की उम्र तक इंसान का दिमाग पर्याप्त विकसित हो गया होता है. उसके भीतर नागरिकता बोध के अलावा राजनीतिक समझ, धैर्य और जरूरी सहनशीलता ठीक-ठाक डेवलप हो गई होती है

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अब 16 साल किए जाने की चर्चा

नेपाल ने तो वोट डालने की उम्र 16 साल कर दी है लेकिन इसके अलावा भी कई देशों में मताधिकार के लिए मिनिमम एज को 18 से घटाकर 16 करने की बात हो रही है. इनमें प्रमुख रूप से अमेरिका और इंग्लैंड शामिल हैं. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैड में लेबर पार्टी की सरकार जुलाई 2025 में एक प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसमें 16 साल की उम्र के युवाओं को भी मताधिकार देने की व्यवस्था है. हालांकि, सभी पार्टियों से इसके लिए समर्थन नहीं मिल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की इच्छा है कि वह अगले चुनावों से पहले ही इसे लागू कर दें.  

वोटिंग एज 16 साल करने के पीछे तर्क

इसका समर्थन करने वाले कहते हैं कि 16 साल के बच्चे भी उतना ही नागरिक ज्ञान रखते हैं और उतने ही अच्छे तरीके से वोट देने का फैसला कर सकते हैं, जितना बड़े लोग करते हैं. ब्रिटानिका के अनुसार, साल 2011 में ‘Annals of the American Academy of Political and Social Science’ में छपे एक शोध में बताया गया कि सिविक सेंस, पॉलिटिकल स्किल और टॉलरेंस जैसे मामलों में 16 साल के बच्चों के औसत नंबर बड़ों के बराबर हैं. मतलब कि इस उम्र के किशोर वोट देने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं.

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ‘कोल्ड कॉग्निशन’ यानी ठंडे दिमाग से सोच-समझकर फैसले लेने की क्षमता 16 साल की उम्र तक पूरी तरह विकसित हो जाती है.

विरोध भी है

हालांकि, इस धारणा का विरोध भी है. जो लोग मताधिकार की उम्र 16 साल करने के पक्ष में नहीं हैं, वो कहते हैं कि 16 साल के बच्चों के पास जिंदगी का इतना अनुभव नहीं होता कि वो वोट देने जैसे जिम्मेदार काम समझदारी से कर सकें. शोध बताते हैं कि 16 साल के किशोरों का दिमाग खासतौर पर प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता है. ये दिमाग का वो हिस्सा होता है जो हमें मुश्किल फैसले लेने, फायदे-नुकसान का आकलन करने और सही फैसले लेने में मदद करता है.

इन देशों में 16 साल है वोटिंग एज

ब्रिटानिका के अनुसार, नेपाल के अलावा ऑस्ट्रिया, माल्टा, आइल ऑफ मैन और चैनल द्वीप समूह में 16 साल की आयु के लोगों को मतदान का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा ब्राजील, अर्जेंटीना, इक्वाडोर और क्यूबा ने भी वोटिंग एज को 18 साल से कम करके 16 साल कर दिया है. बेल्जियम, जर्मनी, इजरायल और एस्टोनिया में भी 16 और 17 साल के बच्चों को कुछ चुनावों में वोट देने की इजाजत है. निकारागुआ में 16 साल के बच्चों को वोट देने की अनुमति है, जबकि इंडोनेशिया, ईस्ट तिमोर, इथियोपिया, उत्तर कोरिया, ग्रीस और सूडान में मतदान की कानूनी उम्र 17 साल है.

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