किसी गांव में गोलिएथ नाम का एक दैत्य आकर गांववालों को परेशान करता था. कभी उनके मवेशी खा जाता, तो कभी खेत उजाड़ देता. एक दिन उस गांव में डेविड नाम का 15 साल का एक लड़का आया. उसने गांववालों से पूछा - तुम सभी मिलकर उस दैत्य का सामना क्यों नहीं करते? दोस्त ने डेविड से कहा - लगता है कि तुमने अभी गोलिएथ को देखा नहीं है. वह इतना विशाल है कि हम उसे मार नहीं सकते! डेविड ने कहा - अच्छा! यदि वह इतना ही विशाल है तो इतना निश्चित ही उसपर लगाया निशाना चूक नहीं सकता.डेविड ने गोलिएथ पर गुलेल से निशाना साधा और उसे जमीन पर गिरा दिया.अब आते हैं खबर पर. देश की बड़ी ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी WhiteHat Jr ने प्रदीप पूनिया पर से 2.6 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 20 करोड़ की मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया. कंपनी ने प्रदीप पूनिया पर केस इसलिए किया था क्योंकि वह तथाकथित तौर पर कंपनी के पर्सनल ग्रुप में सेंध लगाकर जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे थे. इसके अलावा ट्विटर पर प्रदीप पूनिया WhiteHat Sr (वाइटहैट सीनियर) नाम से मौजूद थे. इसे कंपनी ने ट्रेडमार्क का उल्लंघन माना था. आपको लग रहा होगा कि अरे ऐसे कैसे! सिर्फ मिलता-जुलता नाम रखने पर कैसे कोई कोर्ट में घसीट सकता है? यह कहानी का एक हिस्सा है. यह पूरा विवाद तकरीबन 1 साल पहले शुरू हुआ था. आइए आपको विस्तार से बताते हैं वाइटहैट जूनियर और प्रदीप पूनिया केस की कहानी. पहले WhiteHat Jr और प्रदीप पूनिया को जानिए इस कहानी को जानने से पहले इसके किरदारों को जान लीजिए. एक है देश की जानामानी एडुटेक कंपनी WhiteHat Jr. यह कंपनी बच्चों को ऑनलाइन टेक गुरू बनाने का दावा करती है. इसके फाउंडर हैं करन बजाज. करन ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, मेसरा (झारखंड) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद आईआईएम बैंगलुरु से मैनेजमेंट की डिग्री ली है. उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में काम करने के बाद 2018 में WhiteHat Jr नाम की कंपनी बनाई. कंपनी का सपना है कि देश का हर बच्चा कोडिंग सीखे. मतलब बच्चा ककहरे के साथ कंप्यूटर कोडिंग भी सीखे. दो साल में ही कंपनी ने ऐसा नाम कमाया कि देश की बड़ी कंपनियों में आ गई. बिजनेस ऐसा चमका कि उसे देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन एजुकेशन देने वाली कंपनी BYJU'S ने लगभग 2200 करोड़ रुपए में खरीद लिया.

लेफ्ट साइड में हैं वाइटहैट जूनियर के फाउंडर करन बजाज और राइट साइड में हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रदीप पूनिया.
प्रदीप पूनिया हरियाणा के रहने वाले हैं. उन्होंने 2013 में आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है. उसके बाद उन्होंने सिस्को (Cisco) नाम की बड़ी कंपनी में नौकरी की. 2017 में वह एक एजुकेशन टेक कंपनी में नौकरी करने लगे. हालांकि उन्होंने कुछ दिन बाद नौकरी छोड़ दी. उनका कहना है कि जिस सपने के साथ वह (एडुटेक) एजुकेशन टेक्नॉलजी कंपनी में गए वहां वैसा कुछ उन्होंने नहीं पाया. इसके बाद उन्होंने देश की बड़ी एडुटेक कंपनियों पर नजर रखना शुरू कर दिया. उन्हें लगा कि वाइटहैट जूनियर नाम की कंपनी बच्चों को नाहक कंप्यूटर कोडिंग की तरफ ढकेल रही हैं. वह महसूस करने लगे कि बच्चों पर कोडिंग सीखने का प्रेशर उन्हें परेशान कर सकता है. फिलहाल वह कुछ कर नहीं सकते थे, ऐसे में उन्होंने कम उम्र के बच्चों को कोडिंग सिखाने के भ्रम और कंपनियों की रणनीति पर वीडियो बनाने शुरू किए. साथ ही इन्हें यूट्यूब और सोशल मीडिया साइट पर डालना शुरू कर दिया. यह एक तरह से उनका कम उम्र के बच्चों को कोडिंग की तरफ ढकेलने के खिलाफ एक्टिविज्म की शुरुआत थी. फिर आ गया 'वुल्फ गुप्ता' दिल्ली हाई कोर्ट में WhiteHat Jr और प्रदीप पुनिया के आमने-सामने आने की शुरुआत 'वुल्फ गुप्ता' नाम के एक बच्चे की वजह से हुई. इस बच्चे के बारे में WhiteHat Jr के विज्ञापन में ही बताया गया था. कंपनी के विज्ञापन में यह दावा किया गया था कि वुल्फ गुप्ता नाम के 13 साल के बच्चे ने कोडिंग में बड़ा मुकाम हासिल किया है. गूगल में करोड़ों रुपए का पैकेज उठाने लगा है. अब कौन नहीं चाहेगा ऐसा होनहार बच्चा? लेकिन यह सब देख कर प्रदीप पुनिया का दिमाग कुछ घूमा. उन्होंने वुल्फ गुप्ता नाम के इस बच्चे को खोजना शुरू कर दिया. गूगल किया, गूगल में अपने किसी परिचित से पूछा, दुनियाभर के अखबारों में खंगाला लेकिन कहीं वुल्फ गुप्ता का नामो-निशान नहीं मिला. सब कुछ करने पर उन्हें पता चला कि असल में ऐसा कोई बच्चा है ही नहीं. इस गोरखधंधे को लेकर उन्होंने एक वीडियो बनाया. साल 2020 के आखिर में उन्होंने वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट कर दिया. बस यहीं से शुरू होती है प्रदीप पुनिया और वाइट हैट जूनियर के बीच की कहानी. आप वुल्फ गुप्ता पर प्रदीप पुनिया का ये वीडियो देखिए और इससे आगे की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी सुनिए.
इस वीडियो को मैंने पहली बार 5 सितंबर 2020 को Youtube पर अपलोड किया था. पहले दिन इस वीडियो को शायद 100 लोगों ने ही देखा होगा, हालांकि कुछ लोगों ने इस पर कमेंट जरूर किए थे. मैंने 1 दिन बाद देखा तो मेरा वीडियो यूट्यूब से हटा दिया गया था. मैं बहुत हैरान था कि आखिर ऐसा कैसे हो गया. मैंने यूट्यूब को ईमेल लिखी. जवाब मिला कि आपका वीडियो यूट्यूब नियमों के खिलाफ है. इसके खिलाफ मैंने यूट्यूब पर अपील डालना शुरू किया. साथ ही मैं वाइटहैट जूनियर पर दूसरे वीडियो भी बना कर अपलोड करता रहा. मैं वीडियो डालता और यूट्यूब उसे हटा देता. मेरे लाख सफाई देने के बाद भी यूट्यूब वीडियो को फिर से वापस लाने को राजी नहीं हुआ. 1 महीने तक यही चलता रहा. इस बीच मैंने एक टेक जर्नलिस्ट को अपनी दिक्कत बताई. उसने मेरे केस पर स्टोरी की और क्या देखता हूं कि मेरे सारे वीडियो फिर यूट्यूब पर नजर आने लगे. मेरा जो वीडियो ऊपर नजर आ रहा है वह लंबी लड़ाई के बाद वापस आया. हालांकि इस वीडियो के बवाल के बाद वाइटहैट जूनियर ने वुल्फ गुप्ता नाम के बच्चे का जिक्र करना बंद कर दिया.लड़ाई दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची प्रदीप पूनिया दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी लड़ाई के पहुंचने की घटना को याद करते हुए बताते हैं. कि
यूट्यूब पर लड़ाई लड़ने के बाद लगा कि आवाज उठाना जरूरी है. मैंने ट्विटर पर वाइट हैट जूनियर के बारे में लिखना शुरू किया. मुझे कई लोगों ने ट्विटर पर बताया कि कई ट्विटर हैंडल इस वजह से सस्पेंड हो गए क्योंकि वह वाइटहैट जूनियर के खिलाफ लिखते थे. शुरुआत में मुझे भरोसा नहीं हुआ. मैंने भी कई ट्वीट किए और वाइटहैट जूनियर का मज़ाक बनाते हुए भी एक ट्वीट किया -WhiteHat Jr. का क्या कहना है? फिलहाल वाइटहैट जूनियर ने इस मामले को लेकर किसी भी तरह का आधिकारिक बयान नहीं दिया है. कंपनी ने पिछले साल जब प्रदीप पूनिया पर केस किया था तो उसे लेकर कंपनी के किसी बड़े अधिकारी ने मुंह नहीं खोला था. अब कंपनी ने यह भी साफ नहीं किया है कि किन परिस्थितियों में उसने प्रदीप पूनिया के खिलाफ केस वापस लिया है. हमने वाइटहैट जूनियर का पक्ष जानने के लिए उन्हें ईमेल किया है. उनका जवाब आने पर हम उसे स्टोरी में शामिल कर लेंगे.
'क्या मुझे करण बजाज के खिलाफ वुल्फ गुप्ता के मर्डर का केस करना चाहिए. करण बजाज तुमने वुल्फ गुप्ता के साथ क्या किया. क्या तुमने उसे 150 करोड़ रुपए के लिए मार दिया?'
प्रदीप पूनिया ने वुल्फ गुप्ता को लेकर वाइटहैट जूनियर के फाउंडर का मजाक बनाया. इस ट्वीट को भी कोर्ट ने ट्विटर से हटवा दिया था.
मैं लगातार ट्विटर पर वाइटहेड जूनियर के भ्रामक प्रचार औऱ उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठा रहा था. मैंने ऐसे ही कोई 7-8 ट्वीट 13 नवंबर 2020 से 21 नवंबर 2020 के बीच भी किए. 22 नवंबर को मुझे जानकारी मिली की वाइटहैट जूनियर ने दिल्ली हाई कोर्ट में मुझ पर केस कर दिया है. मुझे 23 तारीख यानी अगले दिन सुनवाई के लिए मौजूद रहना होगा. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मैं तब हरियाणा में अपने घर पर था. मैंने कुछ वकीलों से बात की. कुछ ने कोर्ट में माफी मांग कर मामला सुलटाने की सलाह दी. लेकिन फिर लगा कि ऐसे कब तक चुप बैठा जाएगा. मैंने ऑनलाइन ही लोगों से मदद मांगी. खुशकिस्मती से मुझे अच्छा वकील मिल गया. 23 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में मेरी ऑनलाइन सुनवाई हुई. वाइटहैट जूनियर ने मेरे खिलाफ देश के बड़े वकील मुकुल रोहतगी को खड़ा किया था. कोर्ट ने मेरे कई विवादित ट्वीट को हटाने का आदेश दिया. इनमें वाइटहैट जूनियर की महिला टीचरों को अक्षम बताने वाले और कंपनी को पोन्जी स्कीम बताने वाले मेरे ट्वीट भी शामिल थे. चूंकि मेरा ट्विटर अकाउंट WhiteHat Sr नाम से था इसलिए उसे भी सस्पेंड कर दिया गया.
मुझ पर WhiteHat Sr नाम का इस्तेमाल करने के लिए तकरीबन 20 करोड़ का दावा भी किया गया. मैं इस लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार था. इसबीच बहुत से लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया. फिर आया 4 मई का दिन, मुझे पता चला कि वाइट हैट जूनियर ने मुझ पर से केस वापस ले लिया है. मैं अब भी वाइट हैट जूनियर के काम करने के तरीके से हैरान हूं.
मुझे आज तक समझ नहीं आया कि मेरे जैसे आम इंसान की आलोचना से इतनी बड़ी कंपनी को फर्क क्या पड़ रहा है? ऑनलाइन खराब खाना आने पर भी लोग सोशल मीडिया पर उसकी बुराई करते हैं. बच्चो की ऑनलाइन पढ़ाई पर अगर कोई शिकायत करता है तो इसमें बुराई क्या है. कोविड के चलते बहुत लोग ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा ले रहे हैं. ऐसे किसी प्लेटफॉर्म पर लोगों को बुराई दिखे, तो जरूर उसे शेयर करना चाहिए. लोगों को कंपनियों से डरना नहीं चाहिए. कंपनियों को भी इसे सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए.