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चीन के जाने-माने लोग अचानक ग़ायब क्यों हो जाते हैं?

ग़ायब हुए लोगों के मामले में एक जैसा पैटर्न दिखता है. उनकी खोज-ख़बर शायद ही कभी बाहर आती है. हालिया उदाहरण पूर्व विदेश मंत्री चिन गांग और पूर्व रक्षा मंत्री ली शांगफ़ु का है. दोनों पहले पब्लिक से ग़ायब हुए. फिर बताया गया कि वे बीमार हैं. कुछ समय बाद उनकी जगह पर किसी और को बिठा दिया गया. चीन के सबसे अमीर शख़्स जैक मा के साथ भी यही हुआ. इस पैटर्न की वजह क्या है? ग़ायब होने वाले लोग आख़िर जाते कहां हैं?

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

नाम, बाओ फ़ान.  उम्र - 53 साल. पेशा, बैंकर.  2005 में चाइना रेनेसां नाम की कंपनी बनाई. ब्लूमबर्ग की बिजनेस से जुड़े 50 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल हुए. कुछ बरस बाद बाओ अचानक ग़ायब हो गए. फ़रवरी 2023 से उनका कोई अता-पता नहीं है. बस इतना बताया गया है कि उनसे करप्शन के मामले में पूछताछ चल रही है. अब ख़बर आई है कि बाओ की संपत्ति 90 फीसदी तक घट चुकी है. 2021 में बाओ के पास साढ़े छह हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति थी. जो अब घटकर चार सौ करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. लेकिन कहानी यहीं तक सीमित नहीं है. 

बाओ की तरह चीन में ऐसे कई लोग हैं, जो अचानक गायब हुए. और, फिर वो कभी नहीं दिखे. दिखे तो बस सूचनाओं की शक्ल में आने वाले अपडेट्स. कुछ बड़े नामों पर ग़ौर करिए.
-चिन गांग - चीन के विदेश मंत्री थे. जून 2023 से लापता हैं.
-हू जिंताओ - चीन के पूर्व राष्ट्रपति. अक्टूबर 2023 से लापता हैं.
-गुओ गुआंगचांग - चीन के उद्योगपति और इन्वेस्टर. 2015 से गायब हैं.
-ली युचाओ - चीनी सेना के कमांडर थे. अगस्त 2023 से गायब हैं.
-ली शांगफु - चीन के रक्षा मंत्री हुआ करते थे. वो भी अगस्त 2023 से गायब हैं.

ये लिस्ट बहुत लंबी है. लेकिन सबके गायब होने का पैटर्न लगभग एक जैसा है. जिस शख़्स को सरकार टारगेट करती है, वो एक दिन अचानक ग़ायब होता है. पहले बताया जाता है कि अमुक व्यक्ति बीमार है. फिर पता चलता है कि उसके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की जांच शुरू हुई है. अगर किस्मत ठीक हुई, तो महीनों बाद ख़बर आती है कि फलाने केस में इतनी सज़ा मिली. किस्मत ख़राब हुई तो वो ख़बर भी नहीं आती. आइए समझते हैं. 

- बाओ फ़ान की पूरी कहानी.
- चीन में जाने-माने लोग ग़ायब क्यों हो जाते हैं?
- और, ग़ायब होने के बाद वे लोग आख़िर जाते कहां हैं?

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. चीन, आबादी और आकार के लिहाज से क्रमशः दूसरे और तीसरे नंबर पर आता है. उसके पास सबसे बड़ी स्टैंडिंग आर्मी है. यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में परमानेंट मेंबरशिप है. यानी, उसके पास वीटो का अधिकार है. जियो-पॉलिटिक्स में इसकी अलग अहमियत है. इन सबके बावजूद चीन घरेलू विवादों के चलते चर्चा में बना रहता है.

दरअसल, चीन में वन पार्टी सिस्टम है. माने, एक ही पार्टी का सिक्का चलता है. चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP). यही पार्टी देश चलाती है. ऐसा नहीं है कि चीन में दूसरी पॉलिटिकल पार्टी है ही नहीं.
चाइना डेमोक्रटिक लीग, चाइना एसोसिएशन फॉर प्रमोटिंग डेमोक्रेसी जैसी पार्टियां हैं. मगर उनके पास नाममात्र की शक्ति है. 1949 के बाद से सत्ता सिर्फ़ CCP के पास रही है. इसके जनरल-सेक्रेटरी हैं, शी जिनपिंग. ये पार्टी में सबसे बड़ा पद है. आम तौर पर पार्टी का जनरल-सेक्रेटरी ही देश का राष्ट्रपति बनता है. मार्च 2013 से शी जिनपिंग देश के राष्ट्रपति हैं. वो हू जिंताओं के बाद देश के राष्ट्रपति बने थे. वही जिंताओ, जो अक्टूबर 2023 से गायब हैं. हालांकि, जिंताओ अकेले नहीं हैं. वो जहां भी पहुंचे हैं, वहां उन्हें अकेलापन कतई महसूस नहीं हो रहा होगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि उनसे पहले और उनके बाद कई और हस्तियों का वही हश्र हुआ है.

Hu Jintao
चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओं (फ़ोटो- AFP)
जाने-माने लोग अचानक ग़ायब क्यों हो जाते हैं?

चीन में ये ट्रेंड नया नहीं है. ये माओ ज़ेदोंग के समय से चलता आ रहा है. माओ आधुनिक चीन के संस्थापक थे. उन्हीं के नेतृत्व में कम्युनिस्ट क्रांति हुई थी. CCP की सरकार बनी थी. माओ ने अपने समय में हंड्रेड फ़्लॉवर्स कैंपेन चलाया गया था. इसके तहत लोगों को आलोचना करने की छूट दी गई थी. जिन्होंने आलोचना की, उनको चुन-चुनकर ठिकाने लगाया गया था.

Mao Zedong
आधुनिक चीन के संस्थापक माओ ज़ेदोंग (फ़ोटो-AFP)

इसके अलावा भी समय-समय पर माओ ने शुद्धिकरण अभियान चलाया. जिसमें संभावित विरोधियों को टारगेट किया जाता था. कुछ बड़े उदाहरणों की बात करते हैं.  

लिन बाओ

उन्होंने चीन के गृहयुद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. गुरिल्ला सेना की कमान भी संभाली थी. वो माओ के करीबी बन गए. जब सिविल वॉर खत्म हुआ, तब CCP की सरकार बनी. मगर लिन ने राजनीति में जाने से मना कर दिया. फिर भी उनको 1954 में उन्हें चीन का उप-प्रधानमंत्री बनाया गया. चूंकि सेना में उनकी पकड़ अच्छी थी. इसलिए, माओ एक समय के बाद उनसे असहज होने लगे. कुछ जानकार कहते हैं कि माओ को डर था कि लिन, सेना के साथ मिलकर उनका तख्तापलट कर सकते हैं. इसलिए धीरे-धीरे माओ ने उन्हें साइडलाइन करना शुरू कर दिया. 1971 में एक प्लेन दुर्घटना में उनकी मौत हो गई. कहा जाता है कि इसके पीछे माओ का हाथ था.

Lin Biao
लिन बाओ की तस्वीर (फ़ोटो- AFP)
लिउ साउची

उन्होंने भी सिविल वॉर में चीन की जीत के लिए अहम भूमिका निभाई थी. माओ के दौर में आर्थिक मसलों पर नीतियां बनाते थे. उनकी कहानी भी लिन बाओ जैसी ही है. माओ उनसे भी असहज होने लगे थे. इसलिए, उन्हें साज़िश के तहत जेल भेजा गया. जहां डाइबिटीज़ से उनकी मौत हो गई. 

Liu Shauqi
लिउ साउची की तस्वीर (फ़ोटो-AFP)

शी जिनपिंग के पॉलिटिकल करियर की शुरुआत यूं तो माओ के दौर में ही हो चुकी थी. लेकिन माओ की मौत के बाद वो तेज़ी से आगे बढ़े. आख़िरकार, 2012 में वो पार्टी के जनरल-सेक्रेटरी बने. मार्च 2013 में उनको मुल्क का राष्ट्रपति चुन लिया गया. वो माओ के बाद सबसे लंबे समय तक चीन की सत्ता में रहने वाले नेता बन गए हैं. जिनपिंग ने आजीवन पद पर बने रहने का इंतज़ाम भी कर लिया है. बिलकुल माओ की तरह. इसलिए, कई जानकार मानते हैं कि जिनपिंग माओ के नक़्शेकदम पर चल रहे हैं. उन्होंने माओ की एक और परंपरा को लागू किया है. जिनसे ख़तरा लगे, उनको निपटा दो. ये ख़तरा सत्ता के साथ-साथ ऑप्टिक्स ख़राब होने का भी हो सकता है. इस कड़ी में अनगिनत लोगों को रास्ते से हटाया गया है. 

सितंबर 2024 में ख़बर आई कि चिन गांग को विदेश मंत्रालय में किसी छोटी पोस्ट पर रखा गया है. जहां वे पब्लिक लाइफ़ से दूर रहते हैं. ये तो राजनीतिक चेहरों की बात हुई. जहां किसी नेता के बढ़ते रुतबे से ख़तरा समझ में आता है. लेकिन जिनपिंग के कार्यकाल में कई फ़िल्मी सितारे और बड़े उद्योगति भी गायब हो चुके हैं. जिनपिंग को उनसे क्या दिक्कत है?

जैक मा 

जैक मा ई-कॉमर्स वेबसाइट अलीबाबा के फ़ाउंडर थे. इसको चीन में अमेज़न के टक्कर का बताया गया. सितंबर 2014 में जैक की कपंनी की कीमत 12 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा पहुंच गई थी. इस तरह जैक मा चीन के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए. पश्चिमी देशों में सफलता के उदाहरण के रूप में जैक मा का नाम लिया जाने लगा. 2017 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जैक मा को मिलने बुलाया. चीन में उनका रुतबा बढ़ने लगा. उन्हें ‘डैडी मा’ कहकर बुलाया जाने लगा. इससे जिनपिंग सरकार असहज हुई. इसके बाद CCP ने जैक मा के ख़िलाफ़ कैंपेन चलाया गया. प्रोपेगैंडा वेबसाइट्स में उनके ख़िलाफ़ आर्टिकल लिखे गए. उन्हें पूंजीवाद का प्रतीक बताया गया. जैक मा को सन और ग्रैंडसन जैसे उपनामों से बुलाया जाने लगा. इसी दौरान जैक मा ने चीनी बैंकों की आलोचना की. कहा कि वो ग्राहकों का मोहरों की तरह इस्तेमाल करते हैं.

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ई-कॉमर्स वेबसाइट अलीबाबा के फ़ाउंडर जैक मा (फ़ोटो- AFP)

इसे चीन में जिनपिंग की आलोचना के तौर पर देखा गया. फिर चीनी सरकार ने जैक के ख़िलाफ़ जांच बैठाई. 2020 के बाद से वो दिखना बंद हो गए. 2023 में वो वापस आए. लेकिन अब वो बहुत कम ही नज़र आते हैं. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वो अब जापान में रहते हैं. उन्होंने ग्लैमर वाली ज़िंदगी त्याग दी है.

जाओ वेई 

एक उदाहरण फ़िल्मी जगत से भी है. चीनी एक्ट्रेस जाओ वेई अगस्त 2021 में कुछ महीनों के लिए ग़ायब हुई. वो 25 बरसों से भी ज़्यादा समय से फ़िल्मी दुनिया में थीं. उन पर चीन में पश्चिमी रहन-सहन को फैलाने का आरोप लगा. अगस्त 2021 में ही उनकी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल और उनकी फ़िल्में चीन में बैन कर दी गईं. आरोप ये भी लगा कि वो विदेश जाकर वहां के नेताओं से मिलती हैं. 2024 में जाओ वेई पर लगे कुछ इंटरनेट प्रतिबंध कम हुए हैं.

बाओ फ़ान 

हालिया मुद्दा बाओ फ़ान से जुड़ा है. बाओ का जन्म अक्टूबर 1970 में शंघाई में हुआ. उनके मां-बाप सरकारी नौकरी में थे. बाओ ने अपना हाई स्कूल अमेरिका में पूरा किया. फिर वापस चीन आकर आगे की पढ़ाई की. उनके करियर की शुरुआत मॉर्गन स्टेनली से हुई. 2000 के साल में नौकरी छोड़ दी. पांच बरस बाद चाइना रेनेसां नाम से प्राइवेट बैंकिंग कपंनी शुरू की. 2015 में बाओ ने चीन की दो फेमस फ़ूड डिलीवरी कंपनी मीटुआन और डायनपिंग को मर्ज करवाने में मदद की. दोनों कंपनी के मर्ज से सुपर ऐप बना. जो चीन में खूब लोकप्रिय है.

फरवरी 2016 में, चाइना रेनेसां को "बेस्ट चाइना डील" और "बेस्ट प्राइवेट इक्विटी डील" के लिए फाइनेंस एशिया अचीवमेंट अवार्ड्स मिले. बाओ फान के सितारे बुलंदी पर थे. उनकी कंपनी लगातार ऊपर बढ़ रही थी. फिर फ़रवरी 2023 में ऐसी घटना हुई कि सबके होश उड़ गए. कंपनी ने बताया कि बाओ मिल नहीं रहे हैं. हफ़्ते भर बाद कंपनी ने नया स्टेटमेंट जारी किया. बोली, बाओ के ख़िलाफ़ कोई जांच चल रही है. बाओ उसमें पूरा सहयोग कर रहे हैं.

Bao Fan
बाओ फ़ान की तस्वीर (फ़ोटो-Reuters)

जब ये ख़बर बाहर आई तो बाओ की कंपनी की कीमत आधी हो गई. लेकिन कंपनी ने कहा कि हम अपना काम वैसे ही जारी रखेंगे. एक बरस बाद बाओ ने कंपनी के सभी ओहदों से इस्तीफ़ा दे दिया. वो इस समय कहां हैं? इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. उनके ख़िलाफ़ ना तो कोई आरोप लगाया गया है. और, ना ये बताया गया है कि बाओ के ख़िलाफ़ कभी मुकदमा चलेगा भी या नहीं.

11 सितंबर 2024 को इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. ब्रिटिश अख़बार फ़ाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, बाओ के ग़ायब होने के बाद सरकारी अधिकारियों ने उनकी कंपनी को 92 करोड़ रुपये ट्रांसफ़र करने के लिए कहा था. कंपनी ने इसको अपनी बैलेंस शीट में दर्ज किया है. हालांकि, ये पता नहीं चला है कि पैसे मांगने वाली सरकारी एजेंसी कौन थी.  

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