The Lallantop

छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में 22 जवानों की मौत का ज़िम्मेदार 'हिडमा' आखिर है कौन?

पिछले कई सालों से पहुंचा रहा है सुरक्षाबलों को नुकसान.

Advertisement
post-main-image
हिडमा की एक पुरानी तस्वीर लेकिन आज वह कैसा दिखता है कोई नहीं जानता. फोटो सोर्स- बस्तर टाकीज
2010 में ताड़मेटला में CRPF के 75 जवानों समेत 76 लोगों की हत्या की गई थी. साल 2013 में नक्सलियों ने दरभा के झीरम घाटी में हमला कर कांग्रेस नेताओं समेत 32 लोगों की हत्या कर दी थी. 27 लोगों की मौत तो मौके पर ही हो गई थी और बाकियों ने इलाज के वक्त दम तोड़ दिया था. साल 2017 में बुर्कापाल में CRPF के 25 जवानों की हत्या कर दी गई थी. इन सभी वारदातों में एक बात कॉमन थी. इन सभी में किसी ना किसी रूप में हिडमा शामिल था. हिडमा यानी PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) की बटालियन-1 का मुखिया. देश का सबसे दुर्दांत नक्सली जो अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है. बीजापुर हमले के पीछे हिडमा का हाथ आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक हिडमा को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने उसकी सबसे लेटेस्ट लोकेशन को ट्रेस किया था. 24 मार्च 2021 को उसे सुकमा के जगरगुंडा में देखा गया था. IB और CRPF की स्पेशल टीम उसकी लोकेशन को ट्रेस कर रही थी. ऐसी खबरें हैं कि 3 अप्रैल को बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर करीब 200 नक्सली जमा हुए थे. इनमें PLGA की बटालियन नंबर 1 और उसका मुखिया हिडमा भी शामिल था.
सुरक्षाबलों ने उसको और बाकी नक्सलियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया. इस ऑपरेशन में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), STF, CRPF और कोबरा फोर्स के जवान शामिल थे. सुकमा और बीजापुर से आए जवान इस ऑपरेशन में हिस्सा ले रहे थे. दोपहर करीब 12 बजे PLGA की बटालियन नंबर-1 और सुरक्षाबलो की ज्वाइंट टीम के बीच मुठभेड़ शुरू हुई. इस मुठभेड़ में DRG के 8, STF के 6, कोबरा के 7 और बस्तर बटालियन के 1 जवान शहीद हो गए. वरिष्ठ अधिकारियों का दावा है कि इस एनकाउंटर में 12 नक्सली मारे गए और 16 घायल भी हुए हैं.
छत्तीसगढ़ के पत्रकार विकास तिवारी के मुताबिक नक्सलियों ने U शेप में 2 किलोमीटर का एम्बुश लगाया, यानी घात लगाई थी. जवान इस U शेप के एम्बुश में फंस गए थे. नक्सलियों ने उन्हें घेर कर फायरिंग की. ऐसा माना जा रहा है कि इस घात की प्लानिंग भी हिडमा और उसके साथियों ने की थी. दंडकारण्य के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है हिडमा शहीद हुए सभी जवान बेहद स्किल्ड थे, हथियारबंद थे, लेकिन फिर थी इस चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाए. इसका कारण ये है कि यह इलाका बेहद ही दुर्गम है. यहां जंगली जानवरों से भरे घने जंगल हैं. कई जगह तो ऐसी हैं जहां सूरज की रौशनी भी जमीन तक नहीं पहुंच पाए. ऐसे में सुरक्षाबलों के लिए सर्च ऑपरेशन चलाना कई बार कठिन हो जाता है, लेकिन हिडमा खुद यहीं का रहने वाला है. वो जानता है कि पानी कहां मिलेगा, जानवर कहां नहीं होंगे और रास्ते में कहां आबादी है और कहां नहीं. यानी उसके लिए यहां प्लानिंग करना और घात लगाना आसान है. साथ ही उसकी टीम के लोग भी यहां के ही रहने वाले हैं और वो भी आधुनिक हथियारों से लैस.
Naxal2 इलाके में विकास के काम नहीं होने देते नक्सली. फोटो सोर्स- PTI
बेहद क्रूर नक्सली के रूप में है हिडमा की पहचान हिडमा की उम्र तक का सही अंदाजा किसी को नहीं है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह 38 से 40 साल का है, तो कई रिपोर्ट उसे 50 से अधिक का बताती हैं. सुकमा जिले के पुवार्ती गांव का रहने वाला हिडमा कई नामों से जाना जाता है. मदवी हिडमा, हिडमन्ना, हिदमालु और संतोष जैसे नामों से पहचाना जाने वाला ये शख्स अपने साथ एके-47 रखता है.
इंडिया टुडे के संवाददाता आशीष पांडेय ने बताया,
“वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक हिडमा की उम्र 55 से 60 के बीच हो सकती है. इसकी लंबाई 5 फीट 6 इंच है. ये कोया आदिवासी है. ये सीपीआई माओवादी के सेंटर मिलिट्री कमीशन का भी मेंबर है. जो नक्सलियों की सर्वोच्च सैन्य संस्था है. ये 90 के दशक में नक्सल मूवमेंट से जुड़ा था और इसने बेहद तेजी से तरक्की की. ये उनकी 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी का मेंबर है, इससे पता चला है कि उसकी कितनी वैल्यू है.”
हिडमा माओवादी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का भी सदस्य है. वो खुद को किस कदर छुपा कर रखता है, इसका अंदाजा इस बात से भी हो जाता है कि उसकी कोई हालिया तस्वीर तक किसी खुफिया संगठन के पास नहीं है. हिडमा के ऊपर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित है, लेकिन उसकी 200 से 250 लोगों की टीम, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं, हमेशा उसकी ढाल का काम करती है.
Naxal1 सर्चिंग के दौरान की एक तस्वीर. फोसो सोर्स- PTI

आशीष पांडेय ने बताया,
“भारत के नक्सल आंदोलन में तेलुगू लॉबी हावी रही है. मतलब आंध्र और तेलंगाना के नक्सली ही हावी रहे हैं. ये (हिडमा) पहला आदिवासी है जो सर्वोच्च कमेटी में पहुंचा. बीजेपी के एक विधायक की हत्या हुई थी दंतेवाड़ा में, उस मामले में NIA ने इसको भी चार्जशीट किया हुआ है. दक्षिण बस्तर के जितने भी हमले हुए हैं, उनमें इसका हाथ माना जाता है.”
यूट्यूब चैनल 'बस्तर टाकीज' के फाउंडर विकास तिवारी बताते हैं कि वो बस्तर का एकमात्र आदिवासी है, जो कमांडर लेवल तक पहुंच पाया है. जहां बाकी सभी लीडर आंध्र मूल के हैं, वहीं हिडमा यहां का स्थानीय है. आंकड़े बताते हैं हालात की गंभीरता आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में 3 हजार 722 नक्सली हमले हुए. इन हमलों में 489 जवानों की मौत हो गई. इसी दौरान सुरक्षाबलों ने 656 नक्सलियों को मार गिराया. इन 10 सालों में हुई नक्सली घटनाओं में 736 आम लोगों की जान गई. नक्सल संकट को देखते हुए 2017-18 में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 92 करोड़ रुपए दिए थे. साल 2020-21 में इस राशि को बढ़ाकर 140 करोड़ रुपए कर दिया गया.
तो कुल मिलाकर अब सुरक्षाबलों और कोबरा फोर्सेस के निशाने पर हिडमा और उसकी बटालियन नंबर 1 है. गृहमंत्री अमित शाह ने भी बीजापुर पहुंचकर साफ कर दिया है कि ऑपरेशन रोका नहीं जाएगा. अब देखना ये होगा कि हिडमा कब सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़ेगा.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement