विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार, 23 जुलाई को दुनियाभर में चल रहे मंकी पॉक्स संकट को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी (वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल) घोषित किया. औपचारिक तौर पर जो टर्म (शब्दावली) WHO इस्तेमाल करता है, वो है ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ़ इंटरनेशनल कंसर्न’. शॉर्ट में कहें तो PHEIC. ये घोषणा संगठन के महानिदेशक (WHO Director General) टेड्रोस एडनॉम घेब्रियेसिस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने की.
WHO ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कब और क्यों करता है?
मंकीपॉक्स को WHO ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है.

मंकीपॉक्स संकट मई 2022 में शुरू हुआ. तब ब्रिटेन में इसके 20 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें ज़्यादातर समलैंगिक पुरुष थे. तब से, मंकी पॉक्स 75 देशों में फैल चुका है और इसके लगभग 16,000 मामले रिकॉर्ड किए जा चुके हैं. फिलहाल यूरोप इस स्वास्थ्य संकट के केंद्र में है.

पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ़ इंटरनेशनल कंसर्न को IHR (International Health Regulations, 2005) डिफाइन करता है. सीधा कहें तो PHEIC का मतलब होता है एक असाधारण घटना, जिसमें कोई बीमारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल जाती है और जिसके लिए सभी देशों का संगठित हो साथ काम करना ज़रूरी होता है. इस डेफिनिशन से तात्पर्य है कि ऐसी कोई स्थिति जो,
- गंभीर है, अचानक से आई है या असामान्य है.
- प्रभावित राज्य की सीमा से परे भी ये स्थिति और लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालती है.
- तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की जरूरत हो सकती है.
इसको एक अलार्म सिस्टम, कॉल टू एक्शन या आखिरी उपाय के रूप में देखा जा सकता है.
घोषणा कैसे होती है और इसका औचित्य क्या है?अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स की एक आपातकालीन समिति PHEIC के संदर्भ में WHO के डायरेक्टर-जनरल को तकनीकी सलाह देती है. DG अंतिम फैसला लेते हैं. ये फैसला इमरजेंसी कमिटी की सलाह, राज्य दलों द्वारा दी गई जानकारी, विशेषज्ञों और मानव स्वास्थ्य के जोखिम के आंकलन, आदि पर आधारित होता है.

IHR के तहत, टेम्पररी रिकमेन्डेशन जारी होने के तीन महीने बाद अपने आप ही एक्सपायर हो जाती हैं. इसी वजह से, महामारी की स्थिति की समीक्षा करने के लिए कम से कम तीन महीने में आपातकाल समितियों का फिर से गठन किया जाता है. इस बात का भी आंकलन किया जाता है कि क्या ये घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय बनी हुई है या नहीं और क्या टेम्पररी रिकमेन्डेशन्स मैं बदलाव की जरूरत है.
किसी भी बीमारी को PHEIC घोषित करना ग्लोबल लेवल पर फायदेमंद साबित होता हो सकता है. ये घोषणा इस बिनाह पर की जाती है कि इससे बीमारी के वैश्विक प्रसार को रोकने और कम करने के लिए पब्लिक हेल्थ सलूशंस, साथ ही फंडिंग और अन्य ज़रूरी संसाधनों को बढ़ावा मिलेगा. इसमें व्यापार और यात्रा से जुड़ी सलाह हो सकती हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन अब तक 7 बार PHEIC डिक्लेयर कर चुका है. 2009 में स्वाइन फ्लू, 2014 में पोलियो, 2016 में इबोला, 2018-20 किवू-इबोला, 2020 में कोविड-19 और 2022 में मंकी पॉक्स.

IHR माने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (2005) एक बाध्यकारी कानूनी समझौता है जिसमें 196 देश शामिल हैं. इनका उद्देश्य ग्लोबल समुदाय को गंभीर स्वास्थ्य खतरों से बचाना और उनकी रोकथाम में मदद करना है. ये ऐसे हेल्थ रिस्क हैं जो एक देश से निकलकर दुनियाभर में लोगों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम होते हैं.
बहरहाल, मंकीपॉक्स को लेकर PHEIC की घोषणा के बाद अब ये बीमारी कई देशों के रडार पर होगी. इससे बीमारी के खिलाफ फंडिंग के नए रास्ते भी खुल सकते हैं. अंत में एक ट्रिविया जानते जाइए. PHEIC केवल संक्रामक रोगों तक ही सीमित नहीं है. ये केमिकल एजेंट्स या रेडियोएक्टिव पदार्थों से होने वाली घटनाएं भी कवर करता सकता है.
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