26 अक्टूबर 2016 को दिल्ली पुलिस ने चिड़ियाघर के पास तीन लोगों को धर दबोचा. एक था महमूद अख्तर, पाकिस्तानी हाई कमीशन का मुलाज़िम. दूसरा, मौलाना रमज़ान, राजस्थान के एक मदरसे का मौलवी. और तीसरा, सुभाष जांगिड़, एक छोटी सी परचून की दुकान का मालिक. असल में महमूद अख्तर, ISI का एजेंट था. मौलाना रमजान और सुभाष जांगिड़ पर दिल्ली पुलिस ने इल्ज़ाम लगाया कि ये कुछ हज़ार कमाने के लालच में डेढ़ साल से सेना और BSF के मूवमेंट की ख़ुफ़िया जानकारी बेच रहे थे. तो समझते हैं कि पाकिस्तान पूरे भारत में अपने प्यादे कैसे बिछाता है और उनसे क्या काम करवाता है?
ISI कैसे भारतीयों को जासूस के तौर पर भर्ती करती है, इसके पीछे सिर्फ पैसे का लालच होता है या कुछ और? एयरफोर्स के अफसर भी इस जाल में कैसे फंस जाते हैं? जानने के लिए देखें आसान भाषा में का ये एपिसोड.
आसान भाषा में: भारतीयों से कैसे गद्दारी करवाती है पाकिस्तान की ISI?
ISI सिर्फ अपने एजेंट्स पर निर्भर नहीं रहती है, वो टेम्पररी एजेंट्स को रिक्रूट करती है. किसी ख़ास मिशन की जानकारी निकलवाने के लिए वो भारत में ही भारतीयों को भी रिक्रूट करने की कोशिश करती है.
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