The Lallantop

संसद का 'शून्यकाल' क्या होता है, जिसमें जया बच्चन ने सवाल पूछा और फिर बवाल कट गया

'शून्यकाल' में किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं?

Advertisement
post-main-image
लोकसभा और राज्यसभा, दोनों में शून्यकाल होता है. जिसमें संसद सदस्य ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछते हैं. (फोटो-पीटीआई)
जया बच्चन. एक्ट्रेस और समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद. उन्होंने मॉनसून सत्र के दूसरे दिन यानी मंगलवार, 15 सितंबर को बॉलीवुड में ड्रग्स विवाद के मुद्दे को राज्यसभा में उठाया. उन्होंने अभिनेता और बीजेपी सांसद रवि किशन और कंगना रनौत का नाम लिए बिना उनके बयानों पर पलटवार किया. उन्होंने शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाया था. जया बच्चन के शून्यकाल के दौरान कही गई बातों का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, तो कुछ लोग समर्थन.
Jaya Bachchan जया बच्चन 15 सितंबर के दिन संसद में बोलते हुए. (फोटो- PTI)

खैर, हम यहां खबर के बारे में बात नहीं करने वाले हैं. खबरों में रहते हैं, तो इस पूरे मामले के बार में आपने पढ़ा, सुना और देखा होगा. हम आसान भाषा में बात करेंगे कि संसद का शून्यकाल होता क्या है?
संसद के शून्यकाल को समझने के लिए हमें प्रश्नकाल के बारे में भी थोड़ा जानना होगा. हालांकि हम इस बारे में पहले बात कर चुके हैं. फिर भी याद दिला देते हैं.

क्या होता है प्रश्नकाल

संसद की कार्यवाही में प्रश्‍न पूछना सदस्यों का संसदीय अधिकार माना गया है. सांसद लोगों और व्यवस्थाओं से जुड़े सवाल कर सकते हैं. संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में सांसद सवाल पूछ सकते हैं. मंत्री या सरकार के प्रतिनिधि इसका सदन में जवाब देते हैं. दोनों सदनों में सवाल पूछने के लिए एक-एक घंटे का समय तय होता है. इसे प्रश्नकाल कहते हैं.
इस बारे में और जानने के लिए आप यहां
पढ़ सकते हैं.

शून्यकाल क्या होता है

जीरो आवर या शून्यकाल भारतीय संसद से ही निकला एक आइडिया है. यानी इसकी शुरुआत भारत में हुई. हालांकि शून्यकाल का जिक्र संसद की कार्यवाही की प्रक्रिया में कहीं नहीं है. 'जीरो आवर' का आइडिया संसद के पहले दशक में निकला, जब सांसदों को राष्ट्रीय और अपने संसदीय क्षेत्र के अहम मुद्दों को उठाने की जरूरत महसूस हुई. ये भी कहा जाता है कि ये नाम अख़बारों का दिया हुआ है.
शुरुआत के दिनों में संसद में एक बजे लंच ब्रेक हुआ करता था. ऐसे में सांसदों को दोपहर 12 बजे बिना किसी पूर्व नोटिस के राष्ट्रीय मुद्दे उठाने का अच्छा मौका मिल जाता था. इस दौरान उन्हें एक घंटे का लंबा वक्त मिल जाता था. धीरे-धीरे ये घंटा 'जीरो आवर' के तौर पर जाना जाने लगा. दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी जीरो आवर की कार्यवाही को भी प्रसारित करने का निर्देश देने लगे, ताकि इसे और प्रभावी बनाया जा सके.
Loksabha सबसे ज्यादा शून्यकाल चलाने का रिकॉर्ड 17वीं लोकसभा के पास है. (फाइल फोटो)

शुरुआत कैसे हुई?

छठी लोकसभा के दौरान प्रश्नकाल के बाद सांसद देश और दुनिया से जुड़े सवाल पूछने लगे. धीरे-धीरे अन्य सदस्यों ने भी सवाल पूछना शुरू कर दिया. हालांकि शुरुआत में शून्यकाल में ज्यादा समय नहीं लगता था. सातवीं और आठवीं लोकसभाओं में शून्यकाल पांच से 15 मिनट तक ही चलता रहा. नौवीं लोकसभा में अध्यक्ष रवि राय ने शून्यकाल को न्याय संगत और सम्माननीय बनाने का फैसला लिया. नतीजा ये हुआ कि शून्यकाल एक घंटे से कहीं अधिक तक चलने लगा. ऐसा भी देखा गया कि कभी-कभी यह दो-दो घंटे या उससे भी अधिक देर तक चला. एक रिकॉर्ड जान लीजिए. 17वीं लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने तो रिकॉर्ड ही बना दिया. 4 घंटे 48 मिनट तक जीरो आवर चलाकर.
Parliament संसद में दो सदन हैं. राज्यसभा और लोकसभा.

किस तरह के सवाल पूछ सकते हैं

संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उन सवालों को पूछा जा सकता है, जिसके लिए इंतजार नहीं किया जा सकता. पब्लिक इंट्रेस्ट से जुड़े सवालों को पूछा जाता है. हालांकि शून्यकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवालों के लिए पहले से नोटिस देने की जरूरत नहीं पड़ती, जैसा कि प्रश्नकाल के दौरान उठाए जाने वाले सवालों के लिए पड़ती है. प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवालों के लिए 10 दिन पहले नोटिस देना होता है.
Ravi Kishan रवि किशन 14 सितंबर के दिन संसद में बोलते हुए. (फोटो- PTI)

लेकिन शून्यकाल में उठाए जाने वाले सवालों के लिए सांसदों को लोकसभा के स्पीकर या राज्यसभा के चेयरमैन को 10 बजे से पहले जि‍स महत्‍वपूर्ण वि‍षय को सभा में उठाना चाहते हैं, उसके बारे में साफ-साफ बताते हुए सूचना देनी होती है. इसे शॉर्ट नोटिस कह सकते हैं. हालांकि सभा में ऐसे मामले को उठाने या नहीं उठाने की अनुमति देना या न देना लोकसभा अध्‍यक्ष और राज्यसभा अध्यक्ष पर निर्भर करता है.
वर्तमान में शून्‍यकाल के दौरान लॉटरी से हर दिन 20 मामले उठाए जाने की अनुमति है. लेकिन कौन से सवाल पहले पूछे जाएंगे, यह फैसला अध्‍यक्ष के विवेक पर है. कहते हैं कि लॉटरी वाला सिस्टम इसलिए लाया गया, क्योंकि शून्यकाल के दौरान इतने सवाल आ जाते हैं कि सभी सवालों को नहीं लिया जा सकता.

शून्यकाल का समय क्या है?

लोकसभा: प्रश्नकाल के एक घंटे बाद शून्यकाल चलता है. लोकसभा में 12 बजे शून्यकाल का समय निर्धारित है. राज्यसभा- राज्यसभा में पहला एक घंटा शून्यकाल के लिए निर्धारित है. 11 बजे से 12 बजे के बीच.
(ये व्यवस्था नवंबर, 2014 से चली आ रही है.)

उन सवालों का क्या, जो शून्यकाल में पूछ नहीं पाए

इधर कुछ समय से ये भी देखने को मिला है कि शून्यकाल के दौरान निर्धारत समय पर नहीं पूछे जा सके सवाल शाम छह बजे लिए जाते हैं. या सभा के नियमित कार्य के बाद लिए जाते हैं. एक सप्ताह में सिर्फ एक सवाल शून्यकाल के दौरान कोई सदस्य पूछ सकता है. आमतौर पर एक सदस्य को सवाल पूछने के लिए तीन मिनट का समय दिया जाता है.
शून्यकाल में पूछे गए सवालों का जवाब मंत्री या सरकार के प्रतिनिधि देते हैं. फोटो: पीटीआई शून्यकाल में पूछे गए सवालों का जवाब मंत्री या सरकार के प्रतिनिधि देते हैं. फोटो: पीटीआई

जो सवाल नहीं पूछे गए, लेकिन उन सवालों को 10 बजे से पहले लोकसभा और राज्यसभा अध्यक्ष को भेजा गया था, उन्हें भी सदन के पटल पर रखा मान लिया जाता है. शून्यकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब संबंधित विभागों से जुड़े मंत्री मौखिक या लिखित में दे सकते हैं. जरूरी नहीं कि जिस दिन सवाल पूछा गया है, उसी दिन सरकार की ओर से जवाब भी मिले. संसद के उस पूरे सत्र के दौरान कभी भी शून्यकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब दिए जा सकते हैं.
हालांकि शून्यकाल को लेकर एक आलोचना भी है. इसे अनियमितता के तौर पर भी देखा जाता है. शून्यकाल की वजह से सदन के बाकी जरूरी काम, जैसे- विधायी, वित्तीय और अन्य नियमित काम प्रभावित होते हैं.


क्या करता है लोकसभा का डिप्टी स्पीकर, जान लीजिए

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement