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क्यों आकाश मेहरा की हत्या एक सामान्य आतंकी घटना नहीं है?

इस हत्याकांड से आतंकवादी क्या संदेश देना चाहते हैं?

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श्रीनगर में आकाश मेहरा को जब गोली मारी गई तो वह अपने ढाबे में बैठे हुए थे. (अशरफ वानी/ट्विटर)
हाल में कश्मीर में हुए एक हत्याकांड से घाटी के लोग के लोग सदमे में हैं. यहां बीती 17 फरवरी को आतंकवादियों ने आकाश मेहरा नाम के लड़के को गोली मार दी थी. बाद में उसकी मौत हो गई थी. इस हमले का वीडियो भी सामने आया था. वैसे तो कश्मीर में आतंकी वारदात होना हैरानी की बात नहीं है. लेकिन आकाश मेहरा की हत्या को जानकार कुछ मायनों में अलग बताते हैं. वे कहते हैं कि कश्मीर में काफी समय से आम लोगों पर कम ही आतंकी हमले हुए हैं. इसलिए इस हमले ने सबको हैरान किया है. लेकिन साथ ही, यह हत्या आतंकियों की बेचैनी भी दिखाता है, जो कश्मीर में सरकार की पकड़ मजूबत होने से तिलमिलाए हुए हैं. कौन हैं आकाश मेहरा?
आकाश मेहरा श्रीनगर के एक आम युवक थे. उनकी उम्र 25 साल थी. बीती 17 फरवरी को वह अपने ढाबे में बैठे थे कि तीन आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी. गंभीर हालात में आकाश को अस्पताल में भर्ती कराया गया. 11 दिनों तक जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ने के बाद 28 फरवरी को आकाश ने दम तोड़ दिया. खबर सामने आने के बाद आम कश्मीरी लोगों के साथ बड़े राजनेताओं ने आकाश की मौत पर दुख जताया. उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया,
'श्रीनगर में कृष्णा ढाबे के मालिक के बेटे आकाश की मौत की खबर बहुत दुखद है. हमले के बाद कई दिनों तक मौत से लड़ने के बाद वह हार गया. उसकी आत्मा को शांति मिले और परिवार को इस दुखद घड़ी से उबरने की ताकत मिले.' Very sad news about Akash, son of the owner of Krishna Dhaba in Srinagar. After a brave fight he lost the battle to recover from injuries suffered in the earlier attack. May his soul rest in peace & may his family find strength at this difficult time. — Omar Abdullah (@OmarAbdullah) February 28, 2021


वहीं, एलजी मनोज सिन्हा ने कहा,
'कृष्णा ढाबा के मालिक के बेटे आकाश मेहरा की मौत की खबर सुन कर दुख हुआ. मेरी सांत्वना दुखी परिवार के साथ है. भगवान उन्हें इस अपूर्णीय क्षति को सहने की क्षमता दे.'
Krishna Dhaba Srinagar Kashmir
डल झील के नजदीक स्थित कृष्णा ढाबा टूरिस्ट ही नहीं लोकल लोगों में भी काफी पॉपुलर है. (फोटो-अशरफ वानी)

आकाश वैसे तो एक आम कश्मीरी युवा थे. लेकिन एक बात उन्हें खास बनाती थी. वे श्रीनगर शहर के सोनवार इलाके के मशहूर कृष्णा ढाबे के मालिक रमेश कुमार मेहरा के बेटे थे. रमेश कुमार मेहरा 1984 से यह ढाबा श्रीनगर में डल झील के पास चला रहे हैं. शाकाहारी भोजन परोसने वाला कृष्णा ढाबा यहां काफी फेमस है. यह दुर्गनाग इलाके में स्थित है. सीजन में शाकाहारी खाने के शौकीनों का ढाबे पर तांता लगा रहता है. यह न सिर्फ टूरिस्ट, बल्कि राजनेताओं और लोकल लोगों में भी काफी फेमस है. इस ढाबे की खासियत इसका खाना तो है ही, साथ ही इसकी लोकेशन भी है. यह ढाबा श्रीनगर के बहुत वीआईपी इलाके में पड़ता है. भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) का कार्यालय और जम्मू-कश्मीर के चीफ जस्टिस के निवास जैसी कई महत्वपूर्ण इमारतें इस ढाबे से 200 मीटर के दायरे में स्थित हैं. किसने किया हमला? इस हमले के बाद 19 फरवरी को कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि आकाश की हत्या में शामिल तीनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस ने तीनों की तलाश आसपास के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की. तीनों को पुलवामा और दांगेरपुर से गिरफ्तार किया गया. विजय कुमार ने बताया कि आरोपियों के पास से बाइक और वह पिस्तौल बरामद हो गई है जिससे उन्होंने आकाश पर हमला किया था. उनकी मानें तो तीनों आरोपियों ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया है.
शीर्ष पुलिस अधिकारी के मुताबिक, ये तीनों हाल ही में एक आतंकी संगठन दि रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) में शामिल हुए हैं. इसे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी संगठन बताया जाता है. TRF काफी हद तक स्लीपर सेल की तरह काम कर रहा है. साल 2020 में कश्मीर घाटी में राजनीतिक कार्यकताओं पर हुए अधिकतर हमलों में TRF का हाथ रहा है. BJP से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं पर TRF का विशेष फोकस रहता है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, TRF 2020 में 11 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या में शामिल रहा है. इनमें से 9 बीजेपी से जुड़े थे.
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एक ही हफ्ते के भीतर आतंकियों ने 2 हमले किए. तस्वीर उस आतंकी की है जिसने 19 फरवरी को श्रीनगर के बाजार में दिन दहाड़े फायरिंग कर दी. इसमें दो पुलिसवालों की जान गई.
परिवार प्रशासन से नाख़ुश आकाश की मौत के बाद उनके परिवार और करीबी लोगों ने यूनियन टेरिटरी की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि प्रशासन और एलजी मनोज सिन्हा ने अगर आकाश को सूबे के बाहर भेज कर इलाज की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई होतीं तो शायद वह बच जाता. टेली पायनियर डॉट कॉम की खबर 
के मुताबिक, परिवार का आरोप है,
'प्रशासन ने बहुत कीमती वक्त बर्बाद किया. साथ ही 11 दिनों तक परिवार को गुमराह भी किया. अगर आकाश पर यहां हो रहे इलाज का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था तो उसे दिल्ली या दूसरे बड़े शहर में रेफर किया जा सकता था. सरकार को तेज एक्शन लेना चाहिए था. यह कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) को डराने के लिए चुन कर मारने की घटना है.'
जानकारों का भी ऐसा ही मानना है कि एक नामी अल्पसंख्यक परिवार के सदस्य को निशाना बना कर आतंकवादी संगठन संदेश देना चाहते हैं. दरअसल, जिस तरह से कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारी मजबूत पकड़ बना रहे हैं, उससे आतंकी संगठनों की बेचैनी बढ़ रही है. हाल ही में हुए डीडीसी चुनावों के बाद से आतंकी कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश में हैं.

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