क्या रशियन एयरबेस पर हुए यूक्रेन के ड्रोन हमले के पीछे अमेरिकी सेटेलाइट की आंखें थीं? क्या ट्रंप चुपचाप पुतिन के खिलाफ चाल चल रहे हैं? ये सवाल आजकल रूसी सोशल मीडिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक की टेबल तक गूंज रहे हैं.
ट्रंप ने किया पुतिन के साथ खेल: US की खुफिया मदद से यूक्रेन ने लिखी ऑपरेशन स्पाइडवेब की स्क्रिप्ट!
Russia में चर्चा है कि 1 जून को Ukraine के Operation Spiderweb में अमेरिकी satellite intelligence का बड़ा रोल था। आरोप है कि USA ने रूस के bomber airbases की जानकारी यूक्रेन को दी। Donald Trump पर भी शक है कि उन्होंने 33 साल पुराने एक समझौते की आड़ में Vladimir Putin को भरोसे में लिया और फिर double-cross कर दिया। इससे Russia-US tensions और भड़क सकते हैं।

मामला ‘स्पाइडर वेब’ नाम के उस ऑपरेशन से जुड़ा है जिसमें यूक्रेन ने रूस के अंदर घुसकर उसके पांच एयरबेस पर ड्रोन हमला कर दिया. हमले में रूस के दर्जनों ट्यूपोलिव बॉम्बर या तो जले, या फिर कबाड़ हो गए. ये वही बॉम्बर हैं जिनसे रूस यूक्रेन पर लंबी दूरी के मिसाइल हमले करता है. अब रूस में एक तबका कह रहा है -"हमारे बॉम्बर खुले में क्यों खड़े थे? क्या अमेरिकियों ने जानबूझकर हमारे कार्ड्स यूक्रेन को दिखा दिए?"

ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने साफ कहा कि रूस के बॉम्बर खुले में खड़े थे. सैटेलाइट ने उनकी फोटो खींची. फिर क्या? यूक्रेन के पास हाईटेक ड्रोन थे और पिन लोकेशन. वो सीधे पहुंचे और रूस के गढ़ में सेंध मार दी.
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक डगलस बैरी, जो IISS में रक्षा मामलों के बड़े जानकार हैं, उन्होंने साफ कहा:
यूक्रेन को इतनी दूर तक ड्रोन भेजने के लिए पश्चिमी देशों की सेटेलाइट इंटेलिजेंस पर निर्भर रहना पड़ता है.
मतलब साफ है—ड्रोन उड़ाए गए वहां से, जहां से पहले ही सेटेलाइट ने देख रखा था कि 'शिकार' खुले में बैठा है. मगर जानने वाली बात ये है कि रशियन बॉम्बर कोई धूप सेंकने के लिए खुले में नहीं खड़े थे. इसकी वजह था एक समझौता.
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ओपन स्काइज: संधि जो अब शक के घेरे मेंअब सवाल ये है कि रूस के विमान खुले में क्यों खड़े थे? तो जनाब, जवाब है -ओपन स्काइज ट्रिटी (TREATY ON OPEN SKIES) .
इस संधि पर 24 मार्च 1992 को अमेरिका और रूस समेत 34 देशों ने साइन किया था. मकसद था पारदर्शिता. मतलब ये कि कोई देश अपने मिलिट्री बेस, हवाई अड्डों और युद्धक विमानों को छिपाकर न रखे. सबके ऊपर निगरानी रखने का हक होगा -वो भी सेटेलाइट या सर्विलांस फ्लाइट्स से.
मगर रूस में लोग कह रहे हैं -ये पारदर्शिता अब रूस के खिलाफ ही इस्तेमाल हो जा रही है. अमेरिका ने इस संधि का फायदा उठाकर रशियन बॉम्बर की फोटो खींची, यूक्रेन को दी और ड्रोन उड़वा दिए.

एक और मोड़ कहानी में तब आता है जब ट्रंप का नाम घसीटा जाने लगता है. यूक्रेनी खुफिया और कुछ वेस्टर्न रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ट्रंप की टीम को रूस की युद्ध योजनाओं की जानकारी थी, लेकिन अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट अलग ही चाल चल रहा था. अंदरूनी झगड़े की वजह से रूस को गलतफहमी हुई कि ट्रंप उनके दोस्त हैं, लेकिन इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने रूस को ‘लीक’ करके यूक्रेन को चुपचाप समर्थन दिया.
अगर ये सच है तो?अगर ये सच है कि अमेरिका ने जानबूझकर सेटेलाइट इमेज यूक्रेन को दी, और ओपन स्काइज संधि की आड़ में बॉम्बर्स की पोजिशन हासिल की गई, तो बात बहुत गंभीर है. रूस अब ओपन स्काइज जैसे समझौतों से पूरी तरह हट सकता है. अमेरिका पर 'डबल क्रॉस' का आरोप लग सकता है. और ये सब उस वक्त हो रहा है जब यूक्रेन युद्ध का तापमान 100 डिग्री पर है और ट्रंप टैरिफ और बिग ब्यूटीफुल बिल को लेकर अपने देश में ही चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. रूस के मिलिट्री एनालिस्ट पावेल फेलगेनहॉयर ने मॉस्को टाइम्स में लिखा है कि "
ऑपरेशन स्पाइडर वेब: नाम जितना स्टाइलिश, वार उतना घातकअगर अमेरिका ने सच में टारगेटिंग डेटा शेयर किया, तो ये पारंपरिक युद्ध नहीं, एक नया दौर है.
‘स्पाइडर वेब’ सुनने में किसी हॉलीवुड फिल्म का नाम लगता है, लेकिन रूस के लिए ये खौफनाक हकीकत बन गया. 1 जून 2025 को यूक्रेन ने एक साथ रूस के 5 एयरबेस पर ड्रोन हमला किया - इनमें शामिल थे Belaya (साइबेरिया), Dyagilevo (र्याज़ान), Ivanovo-Severny (इवानोवो), Olenya (मुरमान्स्क), और Ukrainka (आमूर) एयरबेस रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 बॉम्बर्स पूरी तरह नष्ट हुए और 12 गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त.
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अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि इनमें से कई Tu‑95 और Tu‑22M3 जैसे बमवर्षक थे -वही, जो यूक्रेन पर मिसाइल हमले करने में इस्तेमाल होते थे. रूस के पास ऐसे कुल 60–80 बॉम्बर्स हैं, और एक झटके में उसका बड़ा हिस्सा बेकार हो गया.

रूस ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की. उसने दावा किया कि उसने यूक्रेन की कई ड्रोन्स को मार गिराया, और कीव पर मिसाइलें दागीं. मगर नुकसान हो चुका था. रूस को यह अहसास हो गया कि अब उसके अंदरूनी एयरबेस भी ‘अजेय’ नहीं रहे.
अमेरिका-रूस के पास कितने सेटेलाइट और बॉम्बर?बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के पास करीब 200+ जासूसी और मिलिट्री सैटेलाइट्स हैं, जिनमें से कई हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाते हैं. रूस के पास ऐसे करीब 100 सेटेलाइट्स हैं.
बॉम्बर्स की बात करें तो -अमेरिका के पास B‑52, B‑1B, B‑2 और अब B‑21 जैसे स्टील्थ बॉम्बर्स हैं. एक अनुमान के मुताबिक अमेरिकी बॉम्बर्स की कुल संख्या डेढ़ सौ से ज्यादा है. जबकि रूस के हवाई बेड़े में Tu‑160, Tu‑95 और Tu‑22M3 जैसे बॉम्बर शामिल हैं. जिनकी संख्या करीब 120 के आसपास बताई जाती है.
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एक नए अटैक की पटकथा?अब आप सोचिए -एक पुरानी संधि, कुछ चमचमाते सेटेलाइट, खुले में खड़े रूसी बॉम्बर और यूक्रेन के स्मार्ट ड्रोन. ऊपर से अमेरिका की वो खुफिया एजेंसियां, जो दुश्मन की जेब में चुपके से AirTag डाल दें तो भी शक न हो. और इन सबके बीच, ट्रंप साहब -जिनकी दोस्ती भी फुल-फ्रंटल अटैक जैसी है और दुश्मनी भी.
अब रूसवाले गुस्से में हैं -कह रहे हैं कि ‘हमने दोस्ती के नाम पर दरवाज़ा खोला, और अंदर से चोरी कर ली गई.’ उधर अमेरिका कह रहा है -"हमने कुछ नहीं किया, सेटेलाइट हैं, क्या करें... दिखता सब है." यूक्रेन मुस्कुरा रहा है -"जो दिखता है, वही टिकता है... और बॉम्बर तो खुले में थे."
कुल मिलाकर ये जासूसी, सेटेलाइट, ड्रोन और डिप्लोमेसी का जो मिक्स बन रहा है, उसमें अब हल्दी नहीं -बारूद डली है. और जब बारूद का नाप गलत हो जाए, तो समझ लीजिए, अगली कहानी 'स्पाइडर वेब पार्ट-2' की स्क्रिप्ट बन रही है.
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