The Lallantop

ट्विटर: इस स्टोरी में धोखा है, ड्रामा है और क्रांति भी है, आपको क्या पसंद आया?

ट्विटर से जुड़े पांच दिलचस्प क़िस्से. आज लॉन्चिंग की सालगिरह है.

post-main-image
ट्विटर की कहानी में कदम-कदम पर रोमांच उमड़ता है.
साल 2006. अमेरिका का सैन फ्रांसिस्को शहर. फ़रवरी के महीने में शहर की ठंड गुनगुनी होती है. रात के दो बज रहे थे. एक बार के बाहर खड़ी कार में दो लोग बतिया रहे थे. जैक और नोआ. दोनों नशे में थे. ज़िंदगी से टूटे हुए भी. एक का हाल ही में तलाक हुआ था. दूसरा अपने काम से खुश नहीं था. 
उन्होंने अपनी कंपनी के बारे में बात शुरू की. ODEO. पॉडकास्ट बनाने वाली वेबसाइट. जो आईपॉड लॉन्च होने के बाद से लगातार घाटे में चल रही थी. जैक इस कंपनी में वेब डेवलपर की नौकरी कर रहा था, जबकि नोआ कंपनी का को-फ़ाउंडर था.
जैक ने भारी मन से कहा,
मेरे लिए इस जगह पर कुछ नहीं रखा. मैं ये काम छोड़कर फ़ैशन डिजाइनर बनने की सोच रहा हूं.
नोआ ने पूछा, "इरादा तो मेरा भी कुछ ऐसा ही है. असल में तुम करना क्या चाहते हो?" तब जैक ने अपनी दबी इच्छा बताई. एक ऐसी वेबसाइट बनाने का सपना, जिस पर लोग अपना करेंट स्टेटस बताएं. वो क्या कर रहे हैं, क्या सोच रहे हैं. नोआ ने कहा, "प्लान तो अच्छा है. इस पर काम करते हैं."
ट्विटर का सबसे काबिल दिमाग, जिसे उसके दोस्तों ने दुत्कार दिया.
ट्विटर का सबसे काबिल दिमाग, जिसे उसके दोस्तों ने दुत्कार दिया.


कुछ दिनों के बाद ODEO के ऑफ़िस में एक मीटिंग हुई. कुल 14 लोगों की टीम थी. उनको अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया. बोला गया, नया आइडिया लेकर आएं. जैक ने एक कागज़ पर बिखरी हैंडराइटिंग में आइडिया लिखा, जिस पर नोआ ने हामी भरी. इस कागज़ से निकला प्रोडक्ट ट्विटर था. 15 जुलाई को ट्विटर की लॉन्चिंग की सालगिरह होती है.
डूबती शाम, उगता सूरज
2005 की बात है. तब इंटरनेट सबकी पहुंच में नहीं था. एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर था. नाम था- नोआ ग्लास. उसके पास एक आइडिया था. किसी फ़ोन नंबर पर कॉल करिए और आपका मैसेज MP3 में बदल जाएगा. नोआ लंबे समय से इसे लॉन्च करने की सोच रहा था. लेकिन पैसे की कमी थी. आइडिया ठंडे बस्ते में बंद था. ऐसे में उसकी मुलाक़ात एवन विलियम्स से हुई. ब्लॉग पब्लिश करने वाली वेबसाइट Blogger.com का फ़ाउंडर. 2003 में ब्लॉगर को गूगल ने खरीद लिया. एवन को इस डील से खूब पैसे मिले थे. उसने नोआ के वेंचर में दिलचस्पी दिखाई. एवन ने ODEO में पैसा लगा दिया. जुलाई, 2005 में ODEO लॉन्च हो गया. इसके जरिए लोग ऑडियो रिकॉर्ड और शेयर कर सकते थे.
ठीक उसी समय एपल ने iTunes पॉडकास्टिंग की शुरुआत की थी. एपल के पास दो करोड़ आईपॉड यूज़र थे. ODEO को झटका लगा. इससे एवन विलियम्स और नोआ ग्लास के बीच खटपट शुरू हो गई. नौबत यहां तक आ गई कि कंपनी पर ताला लगाने की बात शुरू हो गई.
ODEO कंपनी ने ही ट्विटर की शुरुआत की थी.
ODEO कंपनी ने ही ट्विटर की शुरुआत की थी.


इसी दौरान एवन विलियम्स की मुलाक़ात जैक डोर्सी से हुई. एक कैफ़े में. डोर्सी वेब डिजाइनिंग का काम करता था. फिलहाल बेरोज़गार था. एक दिन पहले वो जूते की दुकान में नौकरी मांगने गया था, जहां उसके हाथ निराशा लगी थी. डोर्सी न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से ड्रॉपआउट था. उसे बचपन से ही बोलने में दिक्कत होती थी. वो काफ़ी शर्मीला भी था. डोर्सी ने एवन को अपना रेज्यूमे भेजा. इंटरव्यू के लिए बुलावा आया. एवन और नोआ भी कॉलेज ड्रॉपआउट थे. उनको बेतरतीब लोग ज़्यादा पंसद आते थे. डोर्सी से बातचीत जम गई. डोर्सी को ODEO में जॉब मिल गई.
जैक डोर्सी ODEO में आया, तो उसकी दोस्ती नोआ ग्लास से हुई. फ़रवरी 2006 की शाम दोनों दोस्त अपनी कार में बैठकर अलग-अलग रास्ते पर निकलने की तैयारी कर रहे थे. तभी उनके दिमाग में आइडिया आया था. इसकी कहानी आप ऊपर देख चुके हैं.
एक फ़ाउंडर जिसे भुला दिया गया
ODEO में ग्रुप्स बनाकर आइडिया लाने का काम अक्सर किया जाता था. ऐसे ही एक दिन जैक डोर्सी ने अपना प्लान बताया. एक नंबर पर मैसेज करिए और आपका मैसेज आपके सभी दोस्तों तक पहुंच जाए. नोआ ने हामी भरी और इसे आगे बढ़ाने की तैयारी हुई.
नोआ ग्लास ने इस प्रोडक्ट को नाम दिया ‘twttr’. यही Twitter का शुरुआती नाम था. जैक डोर्सी ने 22 मार्च, 2006 को पहला ट्वीट किया. इसमें भी twttr नाम लिखा था. बेसिकली, ट्विटर का नाम नोआ ग्लास की देन थी. एवन विलियम्स आइडिया से ज़्यादा खुश नहींं था. फिर भी उसने प्लान के लिए समय दिया. नोआ ग्लास को इस प्रोजेक्ट का हेड बनाया गया. पूरी कंपनी में दो ही लोग थे, जो इस प्रोडक्ट की सफलता को लेकर श्योर थे. नोआ ग्लास और जैक डोर्सी. एक और बंदा था, जो कभी-कभी अपनी सलाह दिया करता था. गूगल की नौकरी छोड़कर आया बिज़ स्टोन. वो एवन विलियम्स का दोस्त था. 
एवन विलियम्स, बिज़ स्टोन और नोआ ग्लास. इस फ़्रेम में जैक डोर्सी बहुत बाद में आया.
एवन विलियम्स, बिज़ स्टोन और नोआ ग्लास. इस फ़्रेम में जैक डोर्सी बहुत बाद में आया.


ट्विटर का कोड फ़्लोरियन वेबर ने लिखा था. 22 मार्च, 2006 को जैक डोर्सी ने पहला ट्वीट किया. just setting up my twttr. 15 जुलाई, 2006 को ट्विटर को ऑफ़िशियली लॉन्च कर दिया गया. जैक डोर्सी का आइडिया था कि कैरेक्टर की लिमिट 160 रखी जाए. अंत में 140 कैरेक्टर्स पर सहमति बन गई. 11 साल बाद इसे बढ़ाकर 280 कैरेक्टर्स पर लाया गया. 26 जुलाई, 2006. ऑफ़िस के बाद एवन विलियम्स और नोआ ग्लास पार्क में टहलने गए. एक बेंच पर बैठे. पुराने दिनों को याद किया. फिर एवन ने तीर छोड़ दिया. एवन ने नोआ को कहा, "तुम्हारे पास छह महीने का वक़्त है. ख़ुद कंपनी छोड़ दो या मुझे निकालना पड़ेगा."
नोआ का दिल टूट गया. उसी रात वो जैक डोर्सी से मिला. लगभग रोते हुए उसने अपनी आपबीती सुनाई. जैक डोर्सी ने पूरे वाकये के लिए विलियम्स को दोषी ठहराया. दोनों गले मिले. अपने-अपने घर लौट गए. दो हफ़्ते बाद नोआ ग्लास को ODEO और ट्विटर से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
जैक डोर्सी अभी ट्विटर के सीईओ हैं. एक समय था, जब वो बहुत शर्मीले हुआ करते थे. उन्हें बोलने में भी दिक्कत आती थी.
जैक डोर्सी अभी ट्विटर के सीईओ हैं. एक समय था, जब वो बहुत शर्मीले हुआ करते थे. उन्हें बोलने में भी दिक्कत आती थी.


न्यूयॉर्क टाइम्स ने 9 अक्टूबर, 2013 को एक स्टोरी छापी, All is fair in love and Twitter (इश्क़ और ट्विटर में सब जायज है). इसमें दावा किया गया कि जैक डोर्सी के दबाव में नोआ ग्लास को कंपनी से निकाला गया था. दरअसल, जैक डोर्सी ने एवन विलियम्स को दो ऑप्शन दिए थे. जैक डोर्सी और नोआ ग्लास में से एक को चुनने का. विलियम्स ने दूसरा ऑप्शन गायब कर दिया. नोआ ग्लास के जाते ही जैक डोर्सी को ट्विटर का सीईओ बना दिया गया.
द टिपिंग पॉइंट
ट्विटर को शुरू हए चार महीने हो चुके थे. लेकिन लोग इसे यूज नहीं कर रहे थे. 3 अगस्त को कैलिफ़ोर्निया में एक हल्का भूकंप आया. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.4 मापी गई. कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. लेकिन एक फायदा हुआ. ट्विटर को अपनी क्षमता पता चल गई. इस दिन लोग अपनी-अपनी जगह से घटना का हाल सुना रहे थे. तब लोगों को पता चला कि ट्विटर किस चिड़िया का नाम है. जिसका लोगो भी एक चिड़िया थी. लैरी बर्ड.
इसे सिमोन ऑग्जली नाम के एक ब्रिटिश ग्राफ़िक डिजाइनर ने बनाया था. ऑग्ज़ली ने उस ग्राफ़िक को बेचने के लिए iStock पर चढ़ा दिया था. यहां से ट्विटर के एक स्टाफ़ ने 15 डॉलर (लगभग 1125 रुपये) की कीमत में खरीदा. यही तस्वीर ट्विटर के भविष्य के लोगो का आधार बनी.
ट्विटर के लोगो में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं. (साभार: logaster.com)
ट्विटर के लोगो में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं. (साभार: logaster.com)


ट्विटर की पहली ग्रैंड एंट्री हुई मार्च, 2007 में. 12 मार्च को टेक्सस में साउथ बाय साउथवेस्ट कॉन्फ़्रेंस आयोजित हुआ. ये एक म्यूज़िक और पैरलल सिनेमा का फ़ेस्टिवल है. इसका इतिहास 1987 से शुरू होता है. इसमें ट्विटर ने जगह-जगह पर टीवी स्क्रीन लगाई. लोग रियल टाइम में ट्वीट करते थे. ये ट्वीट स्क्रीन पर अपडेट होते थे. इससे लोगों को बहुत आसानी से पता चल जाता था कि कहां पर क्या हो रहा है. जिस ट्विटर पर एक दिन में मुश्किल से 20 हज़ार ट्वीट आते थे, 12 मार्च, 2007 को 60,000 ट्वीट हुए.

टिपिंग पॉइंट. हिंदी में मतलब निकालें, तो वो पल जो, किसी बड़े लक्ष्य की चाबी बन जाए. ट्विटर को अपना टिपिंग पॉइंट मिल चुका था. 

एक पैग़ाम - सब माया है
ट्विटर के आइडिया को जब ODEO के शेयरहोल्डर्स के सामने पेश किया गया, तो उन्होंने इसे नकार दिया था. उन्हें लगा, इसमें कोई प्रॉफ़िट नहीं है. सितंबर, 2006 में एवन विलियम्स ने कंपनी के बोर्ड डायरेक्टर्स को एक चिट्ठी लिखी. एवन ने लिखा था, "इस कंपनी का कोई भविष्य नहीं है. मैं सारे शेयर्स खरीदने के लिए तैयार हूं. ताकि आपलोगों को नुकसान न उठाना पडे़." उस समय ट्विटर पर रजिस्टर्ड यूज़र्स की संख्या पांच हज़ार भी नहीं पहुंची थी.
एवन विलियम्स. ट्विटर का फ़ाइनेंशियल मास्टरमाइंड.
एवन विलियम्स. ट्विटर का फ़ाइनेंशियल मास्टरमाइंड.


शेयरहोल्डर्स अपना हिस्सा बेचने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गए. ये उनके जीवन का सबसे बुरा फ़ैसला साबित होने वाला था. एवन विलियम्स ने अकेले दम पर सारे शेयर्स खरीद लिए. तकरीबन पांच मिलियन डॉलर (अभी के हिसाब से 37.73 करोड़ रुपये) की क़ीमत मेंं. पांच साल बाद ट्विटर की क़ीमत पांच बिलियन डॉलर (37,773 करोड़ रुपये) तक पहुंच चुकी थी. 1000 गुणा ज़्यादा.
बाद में उन्हीं शेयरहोल्डर्स ने कहा, अगर एवन हमें अपने प्लान के बारे में बताता, तो हम अपने शेयर्स नहीं बेचते. लेकिन, अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत.
ट्विटर क्रांति
दिसंबर, 2010. ट्यूनीशिया का सिदी बुज़ीद शहर. मोहम्मद बज़ीज़ी नाम का एक नौजवान फल का ठेला लगाता था. वो घर का इकलौता कमाऊ शख़्स था. एक दिन उसके ठेले पर नगरपालिका वाले आए. परमिट दिखाने को कहा. बज़ीज़ी के पास परमिट नहीं था. अधिकारियों ने उसका ठेला ज़ब्त कर लिया. अगले दिन बज़ीज़ी अपने ठेला वापस लाने के लिए दफ़्तर पहुंचा. वहां उससे घूस मांगा गया.
कुछ न कर पाने की विवशता में उसने अपने शरीर में आग लगा ली. इस घटना का वीडियो बना. सोशल मीडिया पर शेयर हुआ और पहले ट्यूनीशिया, उसके बाद पूरे मिडिल-ईस्ट में विरोध शुरू हो गया. इन देशों में दशकों से तानाशाही सरकार चल रही थी. जनता के अधिकार दबाए गए थे. उनकी आज़ादी पर पहरा लगा था.
अरब क्रांति, जैस्मीन क्रांति या ट्विटर क्रांति. ट्यूनीशिया से शुरू हुई और पूरे अरब वर्ल्ड में फैल गई. (साभार: एपी)
अरब क्रांति, जैस्मीन क्रांति या ट्विटर क्रांति. ट्यूनीशिया से शुरू हुई और पूरे अरब वर्ल्ड में फैल गई. (साभार: एपी)


4 जनवरी, 2011 को बज़ीज़ी की मौत हो गई. इसके बाद प्रदर्शन और तेज़ हो गए. ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र जैसे देशों में सरकार गिर गई. प्रदर्शनकारियों ने ट्विटर, फ़ेसबुक और यूट्यूब के ज़रिए अपनी आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाया. एक प्रोटेस्टर ने कहा था-
हम फ़ेसबुक के जरिए प्रोटेस्ट का समय तय करते हैं, ट्विटर के माध्यम से प्रोटेस्ट को को-ऑर्डिनेट करते हैं और यूट्यूब के जरिए दुनिया को अपनी कहानी बताते हैं.
ट्विटर इतना मशहूर हुआ कि अरब क्रांति को ‘ट्विटर क्रांति’ का नाम दिया गया.