'हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना?' जून 2022 में नागपुर में एक प्रशिक्षण वर्ग को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का नसीहत भरा ये सवाल उन लोगों के लिए था जो काशी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग देख रहे थे. तब की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोहन भागवत ने ये भी कहा था कि राम मंदिर आंदोलन में संघ ऐतिहासिक कारणों से जुड़ा था और वो काम पूरा हो गया. अब वह किसी भी ऐसे आंदोलन से नहीं जुड़ना चाहता. लेकिन लगता है 2025 आते-आते उनके विचार ‘थोड़े’ बदल गए हैं.
मोहन भागवत बोले, 'RSS स्वयंसेवक काशी-मथुरा आंदोलन में जा सकते हैं', 2022 वाला बयान क्या था?
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि मथुरा और काशी के लिए अगर आंदोलन होता है तो संघ उसमें हिस्सा नहीं लेगा लेकिन उसके स्वयंसेवक ले सकते हैं.


संघ के 100 साल पूरे होने के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने कहा कि काशी और मथुरा के लिए हिंदू समाज का (आंदोलन का) आग्रह रहेगा और हिंदू होने के नाते आरएसएस के स्वयंसेवक भी इस आंदोलन में हिस्सा ले सकते हैं. संघ प्रमुख ने ये तो स्पष्ट किया कि संघ ऐसे किसी आंदोलन में हिस्सा नहीं लेगा, लेकिन अपने पुराने बयान में संशोधन करते हुए ये भी कहा कि उन्होंने शिवलिंग न ढूंढने की बात अयोध्या, काशी और मथुरा को छोड़कर कही थी.
भागवत ने 2022 में क्या कहा था?जून 2022 में मोहन भागवत ने ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर कहा था कि इतिहास हम नहीं बदल सकते. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों के. उन्होंने आगे कहा था,
ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धाएं हैं. परंपरा से चलती आई हैं. हम कर रहे हैं ठीक है. परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना?
बीबीसी के मुताबिक भागवत ने स्पष्ट किया था कि संघ आगे मंदिरों को लेकर कोई आंदोलन नहीं करेगा. एक राम मंदिर आंदोलन था जिसमें वह अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से सम्मिलित हुआ था. वो काम पूरा हुआ. अब संघ को कोई आंदोलन नहीं करना है और भविष्य में संघ किसी भी मंदिर के आंदोलन में शामिल नहीं होने वाला है.
'निर्णय में बदलाव है?'गुरुवार, 28 अगस्त को संघ प्रमुख से इस बयान को लेकर सवाल किया गया कि क्या वह अपने निर्णय पर अटल हैं या इसमें कोई बदलाव है?
इस पर भागवत ने कहा,
संघ आंदोलन में जाता नहीं है. एकमात्र आंदोलन राम मंदिर का था, जिसमें हम ऐतिहासिक कारणों से जुड़े और जुड़े इसलिए उसे आखिर तक ले गए. अब बाकी आंदोलनों में संघ नहीं जाएगा, लेकिन हिंदू मानस में काशी, मथुरा और अयोध्या तीनों का महत्व है. दो जन्मभूमि हैं और एक निवास स्थान है. तो हिंदू समाज इसका आग्रह करेगा.
भागवत ने आगे कहा,
संस्कृति और समाज के हिसाब से संघ इस आंदोलन में नहीं जाएगा लेकिन संघ के स्वयंसेवक जा सकते हैं. क्योंकि वो हिंदू हैं. लेकिन इन तीन (अयोध्या, काशी, मथुरा) को छोड़कर मैंने कहा है कि हर जगह मंदिर मत ढूंढो. हर जगह शिवलिंग मत ढूंढो.
उन्होंने कहा,
मैं अगर ये कह सकता हूं. हिंदु संगठन का प्रमुख. जिसको स्वयंसेवक भी प्रश्न पूछते रहते हैं तो इतना भी होना चाहिए न कि चलो तीन की ही बात है. ले लो. ये क्यों न हो? ये भाईचारे के लिए बहुत बड़ा कदम आगे होगा.
इसके अलावा सरसंघचालक मोहन भागवत ने 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि संघ में ऐसी कोई नियमावली नहीं है, जिसमें 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके व्यक्ति को पद छोड़ना पड़े. भागवत ने कहा कि संघ में सब स्वयंसेवक हैं. उन्हें जो काम दिया जाता है, वही करना होता है. उम्र का बहाना बनाकर वे काम से इनकार नहीं कर सकते.
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