RSS प्रमुख मोहन भागवत ने देश के विभाजन में संघ की भूमिका पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि संघ इसके खिलाफ था, लेकिन तब उसकी ताकत इतनी नहीं थी कि बंटवारे को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने बंटवारे का विरोध करने के बाद इसकी सहमति दे दी थी, इसलिए इसे रोका नहीं जा सका.
विभाजन पर बोले मोहन भागवत, 'संघ की ताकत क्या थी, पूरा देश महात्मा जी के पीछे था'
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू राष्ट्र का मतलब यह नहीं है कि किसी को छोड़ दिया जाए.


RSS के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोहन भागवत ने कहा,
संघ ने विरोध किया था. लेकिन संघ की ताकत क्या थी उस समय. पूरा देश उस समय महात्मा (गांधी) जी के पीछे था. महात्मा जी ने तो कह दिया था कि विभाजन मेरी लाश पर होगा. गुरु (गोलवलकर) जी से एक कार्यकर्ता ने पूछा कि देश विभाजन की ओर बढ़ रहा है. तब गोलवलकर ने कहा कि नहीं, गांधी जी ने सहमति नहीं दी है, विभाजन नहीं होगा. लेकिन कुछ हुआ, जिसके बाद उन्होंने भी मान्य कर लिया. उनके (महात्मा गांधी) मान्य करने के बाद, संघ के कहने पर समाज समर्थन नहीं करता. और इसलिए विभाजन रुक नहीं सका. यानी उसको रोकने के लिए हम भी कुछ नहीं कर सके.
RSS की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर संघ ने तीन दिन के कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस दौरान भागवत ने हिंदू राष्ट्र को लेकर भी अपना बयान दिया. उन्होंने कहा,
"जब हम हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, तो सवाल उठाए जाते हैं. जब हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं, तो हमारा मतलब यह नहीं होता कि हम किसी को छोड़ देंगे. या हम किसी का विरोध कर रहे हैं. संघ ऐसा नहीं है. संघ किसी प्रतिक्रिया या विरोध से पैदा नहीं हुआ है."
दिल्ली में अपनी तीन दिवसीय व्याख्यान श्रंखला के आखिरी दिन, सरसंघचालक भागवत ने कहा कि संघ भाजपा जैसे अपने संबद्ध संगठनों के लिए निर्णय नहीं लेता है. उन्होंने कहा,
"हम तय करते तो इतना समय लगता क्या?... हम ऐसा नहीं करते."
गौरतलब है कि बीते महीनों में कई बार सूत्रों के हवाले ऐसी खबरें आई हैं कि नए बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी और RSS में खींचतान चल रही है.
वीडियो: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या को लेकर कहा- '3 बच्चे पैदा करें भारतीय...', देश के बंटवारे पर क्या कह गए?