# भारतीय हैं काशिफ?
पहला विवाद तो काशिफ की नागरिकता पर है. काशिफ 'रियल कश्मीर' से जुड़ने से पहले एक प्राउड पाकिस्तानी थे. लेकिन अब उनका कहना है कि वह भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं. काशिफ नागरिकता से जुड़े अपने सारे सबूत खत्म करते जा रहे हैं. वह पाकिस्तान से जुड़ा अपना हर लिंक छिपाने या मिटाने के चक्कर में हैं. यहां तक कि उन्होंने अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट की बात भी छिपाई. सितंबर में जब 'रियल कश्मीर' ने उन्हें साइन करने की बात कही थी, तब भी उनकी नागरिकता पर सवाल उठे थे. तब उन्होंने इन सवालों को सिरे से खारिज कर दिया था. काशिफ ने अपनी सफाई में कहा था कि वह भारतीय और अफ्रीकी मूल के हैं. उनके पिता लखनऊ में पैदा हुए, जबकि मां युगांडा से हैं. उन्होंने ब्रिटिश साउथ एशियन के रूप में पाकिस्तान के लिए खेला. 'हिंदुस्तान टाइम्स' के फुटबॉल करस्पॉन्डेंट भार्गब सरमा ने काशिफ के इन दावों पर लंबी ट्विटर थ्रेड लिखी. भार्गब ने लिखा-'वह कहता है कि वह ब्रिटिश साउथ एशियन के रूप में पाकिस्तान के लिए खेलने के योग्य था. यह सरासर झूठ है. पाकिस्तान के लिए खेलने के लिए आपके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट और नेशनल आईडी कार्ड होना चाहिए. प्रवासी प्लेयर्स भी पाकिस्तान के लिए खेलने से पहले दोहरी नागरिकता लेते हैं. फीफा के नियम साफ कहते हैं कि आपको देश के लिए खेलने के योग्य होने से पहले अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ती है. नागरिकता के सबूत में सिर्फ पासपोर्ट माना जाता है. हाल के साल में फीफा ने अपने पासपोर्ट नियम को और सख्त किया है. यहां तक कि फीफा के सदस्य हॉन्ग कॉन्ग, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स के कई लोग नहीं खेल पाते, क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं होता.'भार्गब ने ब्रिटिश फुटबॉल असोसिएशन के साथ काशिफ का एक पुराना इंटरव्यू भी शेयर किया. इसमें काशिफ ने कहा था,
'मुझे पता है कि फुटबॉलर बनना हर लड़के का सपना होता है. लेकिन मुझे पता है कि मेरे अंदर वह लगन है कि मैं ऊंचे लेवल तक पहुंच सकूं. हालांकि मैं इंग्लैंड में पैदा हुआ था, लेकिन मेरे पास दोहरी नागरिकता है. मेरा लक्ष्य प्रोफेशनल फुटबॉलर बनने का है और मैं इस देश के पहले एशियन प्रोफेशनल्स की लिस्ट में शामिल होना चाहूंगा.'
# पाकिस्तान लिंक
सितंबर, 2005 के इसी इंटरव्यू में लिखा था कि काशिफ नवंबर में दो महीने की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तानी नेशनल टीम जॉइन करेंगे. वह इससे पहले पाकिस्तान की अंडर-21 टीम का हिस्सा बन चुके थे. इसी आर्टिकल के मुताबिक, वह एक बार छुट्टियों में पाकिस्तान में एक फ्रेंडली मैच खेल रहे थे. वहीं उन्हें देखने के बाद पाकिस्तानी अंडर-21 टीम के लिए चुन लिया गया था. साल 2007 में काशिफ ने पाकिस्तानी चैनल दिन टीवी स्पोर्ट्स को एक इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया था कि उनके अब्बू पाकिस्तान के लिए हॉकी खेलते थे. इसी इंटरव्यू में जब एंकर ने उनसे पूछा कि पाकिस्तानी होने के नाते उन्हें इंग्लैंड में फुटबॉल खेलने में किसी तरह की परेशानी हुई, तो उन्होंने कहा- हां. बहुत परेशानी हुई. काशिफ ने यहां ब्रिटेन को रेसिस्ट देश भी बताया और पाकिस्तान की जमकर तारीफ की.# झूठ क्यों बोल रहे हैं काशिफ?
यहां एक और बात जानने लायक है. क्लब द्वारा काशिफ की साइनिंग ऑफिशल करने से पहले ही वह कश्मीर जा चुके थे. DPS श्रीनगर ने 12 मार्च, 2020 को ही अपनी वेबसाइट पर एक आर्टिकल पब्लिश किया था. इस आर्टिकल में लिखा था कि रियल कश्मीर के पाकिस्तानी फुटबॉलर काशिफ सिद्दीकी ने कक्षा नौ और 10 के बच्चों से बातचीत की. हमें DPS की वेबसाइट पर इस प्रोग्राम की काफी सारी तस्वीरें भी मिलीं.सुबिमल चुनी गोस्वामी, जिनकी कप्तानी में भारत ने जीता था 1962 एशियन गेम्स में फुटबॉल का गोल्ड मेडल