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फ्रेंडशिप डे पर भूली-बिसरी भूतपूर्व प्रेमिका के नाम खत

क्योंकि प्यार भले ही सिर्फ एक बार होता है, लेकिन इसका रिवीजन जिंदगी भर चलता है.

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SYMBOLICE IMAGE. फोटो क्रेडिट: REUTERS
संडे वाली चिट्ठी का इंतजार कर रहे हो. सॉरी डूड, इस संडे दिव्य प्रकाश दुबे तनिक बिजी हैं. दिव्य की नई किताब आ रही है न, तो बस उसी के कामों में. 'महीनों से चली आ रही संडे वाली चिट्ठी की प्रथा टूट जाएगी.' यही सोच रहे हो क्या? अब हम दिव्य प्रकाश दुबे जैसी संडे वाली चिट्ठी तो नहीं लिख सकते. पर पोस्टकार्ड लिख सकते हैं. तो इस बार एक नया वाला पोस्टकार्ड पढ़ लो. अब चूंकि आज फ्रेंडशिप डे है. इसलिए ये पोस्टकार्ड उस लड़की को लिखा जा रहा है, जिसे कभी उम्मीद से होने के चलते फ्रेंडशिप बैंड दिया था.
प्यारी पिंकी, ऑबियसली ये तुम्हारा बदला हुआ नाम है. असली नाम लिखके सीलमपुर के लौंडों से खुद को पिटवाने की हिम्मत आज भी नहीं जुटा पाया हूं. आज तुम्हें पोस्टकार्ड दो वजहों से लिख रहा हूं. एक तो ये कि फ्रेंडशिप डे है. दूजा ये कि नाग पंचमी है. हैप्पी फ्रेंडशिप डे पिंकी. सुना है कि तुम्हारी शादी हो गई. इसलिए नाग पंचमी की भी शुभकामनाएं. तुम्हें याद है कि जब हम स्कूल में थे, तब मैं तुम्हारे लिए झालर लटका ब्रेसलेट लाया था. जिसे स्कूल की घंटी बजते ही मैं तुम्हें देने के लिए तुम्हारे पीछे-पीछे निकल पड़ा था. काफी देर चलने के बाद जब गली के आखिरी मोड़ पर मैंने तुम्हें ब्रेसलेट देने की कोशिश करते हुए पुकारा था. एक्सकूजमी पिंकी. हां बोलिए. पिंकी मुझसे फ्रेैंडशिप करोगी. (और ये कहते हुए मैंने तुम्हारे हाथ पर ब्रेसलेट पहनाने की कोशिश की, तभी...) झापड़ भगवान कस्सम पिंकी. जब-जब फ्रेंडशिप डे आता है, मेरे गालों पर तुम्हारा वो जोरदार पंच याद आता है. ये दर्द आज ज्यादा कर्रा हो रहा है, जब नाग पंच-मी और फ्रेंडशिप डे साथ पड़ रहे हैं. तुम्हें उस रोज़ जरा भी लज्जा नहीं आई, मेरे गालों पर झापड़ सूतते हुए. तुमने इस बात का ख्याल भी नहीं रखा कि दोपहर के एक बजे तक मैंने अपनी स्कूल शर्ट की क्रीज तक नहीं बिगड़ने दी थी. ताकि जब तुमसे मिलूं तो तुम इम्प्रेस हो जाओ. पर तुमने तो गाल की खाल की ही सिलवट बिगाड़ दी थी. अल्लाह कसम, गुस्से में तीन दिन तक मंदिर के सामने से निकलते हुए मैंने भगवान के आगे हाथ नहीं जोड़े थे.
क्या मेरा कसूर इतना था कि मैं फ्रेंडशिप बैंड देने के रास्ते तुमसे लवशिप करना चाहता था? इसमें गलत ही क्या है. 'धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना' गाना भी तो यही प्रेरणा देता है.
खैर, अब इत्ते साल बीत गए हैं तो क्या ही शिकवा करूं, पर एक बात कबूलनी थी. तुम्हारे झापड़ के बाद रिकवर करने में मैंने ज्यादा दिन नहीं लगाए थे. अगस्त की कल्लाहट फरवरी में शांत हुई. तुम्हें तुम्हारी सहेली राखी याद है? जो तनिक सांवली थी, पर चलती थी तो पीछे से तुम्हारी जैसी लगती थी. तुम्हें जिसका गुलाबी रंग का ब्रेसलेट और आई लव यू बोलता ग्रीटिंग कार्ड बहुत पसंद था. हां तो तुम जान लो, ये दोनों चीजें मैंने ही उसे गिफ्ट की थीं. 14 फरवरी को. राखी ने सोचने के लिए बस दो दिन मांगे और वो तैयार हो गई. तुम्हारी तरह नहीं, कि झापड़ रसीद दे. राखी ने बाद में मुझे बताया था कि तुम मेरे दिए हुए गिफ्ट की बहुत तारीफ करती थी. मैं मन ही मन खूब हंसता था किस्मत पर. ओह येस बेबी, तुम्हारी किस्मत पर. मैंने राखी को कसम दी थी कि तुम्हें कुछ न बताए. आज इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि अब न राखी है न पिंकी. अब मैं हूं और इस बीच एक नई बनी है. मेरे प्यार करने का क्रम रुका नहीं है. ये आज भी बदस्तूर जारी है. क्योंकि
प्यार भले ही सिर्फ एक बार होता है, लेकिन इसका रिवीजन जिंदगी भर चलता है. मैं बस रिवीजन किए जा रहा हूं. थैंक्स टू योर झापड़.
सिर्फ तुम्हारा ही नहीं विकास

दिव्य प्रकाश दुबे की लिखी संडे वाली चिट्ठी यहां पढ़िए

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