कानपुर की एक अदालत ने यूपी सरकार के मंत्री राकेश सचान (Rakesh Sachan) को 31 साल पुराने आर्म्स एक्ट के एक मामले में एक साल की सजा सुनाई है. सजा के अलावा राकेश सचान पर 1500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. हालांकि सचान के पिछले दो दिनों खबरों में होने की वजह सिर्फ ये मामला नहीं है. उन पर ये भी आरोप है कि शनिवार 6 अगस्त को कोर्ट की तरफ से दोषी ठहराए जाने के बाद राकेश सचान वहां से अपनी फाइल लेकर भाग गए थे.
कौन हैं यूपी सरकार के मंत्री राकेश सचान, जो कोर्ट से अपनी केस फाइल ही ले भागे?
अदालत ने राकेश सचान को 31 साल पुराने आर्म्स एक्ट के एक मामले में एक साल की सजा सुनाई है और 1500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

राकेश सचान योगी सरकार में कबीना मंत्री हैं. बात करेंगे राकेश सचान के राजनीतिक करियर पर, किस किस पार्टी में रहे, कब विधायक बने और कब सांसद, कब मंत्री पद मिला और उन पर दर्ज मुकदमों पर.

राकेश सचान का जन्म 1964 में यूपी के कानपुर में हुआ. पढ़ाई वहीं हुई. स्कूली शिक्षा के बाद कानपुर यूनिवर्सिटी में B.Sc में एडमिशन लिया. सचान के कॉलेज में रहने के दौरान ही कानपुर में एक घटना घटी. साल 1991 की बात है. नौबस्ता में नृपेंद्र सचान नाम के छात्र नेता का मर्डर हो जाता है. इसी दौरान राकेश सचान को नौबस्ता की पुलिस ने एक लाइसेंसी राइफल के साथ पकड़ा. सचान पर आरोप था कि इस राइफल का लाइसेंस उनके पास नहीं था. ऐसे में पुलिस ने केस दर्ज किया. 31 साल बाद अब इस मुकदमें में कानपुर की कोर्ट ने सचान को दोषी पाया है.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के शपथपत्र में राकेश सचान ने बताया था कि उन पर कुल 8 मुकदमें दर्ज हुए हैं. आजतक से जुड़े रंजय की खबर के मुताबिक फिलहाल उन पर 4 मुकदमें चल रहे हैं. इन मामलों में आर्म्स एक्ट का एक और केस शामिल है. 2010 में राकेश पर IPC की धारा 420 के तहत भी केस दर्ज हुआ था.
रिपोर्ट के मुताबिक राकेश सचान कहते हैं कि उन पर दर्ज मुकदमों को खत्म करने के लिए सरकारों ने आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं पाया. बकौल सचान ये मुकदमें उन पर छात्र जीवन में दर्ज किए गए थे, जिन्हें अखिलेश सरकार ने खत्म करने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. वो कहते हैं कि उनकी सरकार (योगी सरकार) में भी उन पर दर्ज मुकदमों को खत्म करने का आदेश दिया गया है, लेकिन ये आदेश जिलाधिकारी के पास लंबित है.
राजनीतिक करियरसचान कानपुर के किदवई नगर इलाके के रहने वाले हैं. कानपुर के साथ-साथ वो राजनीति में भी घाट-घाट छू कर आए हैं. राजनीति की शुरुआत उन्होंने समाजवादी पार्टी से की थी. 1993 में सचान को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया. वो कानपुर की घाटमपुर सीट से पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद उन्हें 2002 में सपा ने फिर टिकट दिया. घाटमपुर से ही सचान दोबारा विधायक चुने गए.

सपा में रहते हुए राकेश सचान ने 16 साल से ज्यादा समय तक राजनीति की. बताया जाता है कि वो मुलायम सिंह यादव परिवार के नज़दीक रहे. 2009 में सपा ने उन्हें लोकसभा भेजा. यूपी की फतेहपुर सीट से वो सांसद चुने गए. पार्टी ने उन्हें 2014 में फिर लोकसभा का टिकट दिया. लेकिन इस बार सचान हार गए. कहा जाता है कि इसके कुछ समय बाद सचान की अखिलेश से कुछ अनबन हो गई. इसके चलते 2019 में उन्होंने सपा छोड़ दी.
सपा छोड़ राकेश सचान कांग्रेस में शामिल हो गए. बताते हैं कि कांग्रेस में आने के बाद वो जल्दी ही गांधी परिवार की ‘गुडबुक्स’ में आग गए. 2019 लोकसभा चुनाव में सचान को कांग्रेस ने फतेहपुर से टिकट दे दिया. हालांकि वो हार गए.

यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सचान समझ गए थे कि अब कांग्रेस के भरोसे उनकी राजनीति ज्यादा चल नहीं पाएगी. सो चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. पार्टी ने उन्हें कानपुर की भोगनीपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया. जीत के बाद सचान को योगी कैबिनेट में जगह भी मिल गई. राकेश सचान फिलहाल यूपी की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उनके पास MSME, खादी ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा, और वस्त्रोद्योग मंत्रालय हैं.
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