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नॉर्थ कोरिया ने इस मासूम के साथ जो किया, जंगली जानवर भी नहीं करते

अमेरिकी स्टूडेंट, ओटो वार्मबीयर के प्रोपोगेंडा पोस्टर चुराने पर, नॉर्थ कोरिया ने हद पार कर दी.

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ओटो वार्मबीयर पर नॉर्थ कोरिया में चले मुक़दमे की हृदय विदारक तस्वीर. (AFP)
आज 16 मार्च है और आज की तारीख़ का संबंध है, 15 साल की कठोर कारावास की एक सज़ा से. सज़ा, जिसके दो साल भी पूरे नहीं हुए और सज़ा पाने वाला मार डाला गया.
ओटो वार्मबीयर. अमेरिका के ओहायो राज्य में स्थित सिनसिनाटी शहर के एक होनहार छात्र. ओहायो के सबसे बड़े स्कूल्स में से एक में दूसरा ग्रेड पाने वाले ओटो, ‘किंग ऑफ़ मैथ्स’ तो कहलाते ही थे, साथ ही एक प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ी और तैराक भी थे.
कुछ कोर्स होते हैं न, जिसमें आपको एकाध साल विदेश में पढ़ना होता है. ‘स्टूडेंट एक्सचेंज’ या फिर, ‘स्टडी अब्रॉड’ जैसे किसी प्रोग्राम के तहत. बस उसी के वास्ते ओटो को 2016 में, हॉन्ग-कॉन्ग में पढ़ने जाना था. 12 दिसंबर, 1994 को पैदा हुए इस नवयुवक की उस वक्त उम्र 22-23 साल के करीब रही होगी. तो जिस दौरान वो पैकिंग वगैरह में व्यस्त थे, उन्हें चाइना बेस्ड एक ट्रेवल एजेंसी, ‘यंग पायनियर’ का विज्ञापन दिखा-
घूमिये एक ऐसी जगह, जहां आपकी मां नहीं चाहेगी कि आप जाएं.
ये जगह थी नॉर्थ कोरिया. ओटो ने टिकट बुक कर लिए. 1,200 डॉलर्स देकर. ‘फ़ाइव डेज़, फोर नाइट’ का टूर पैकेज. सोचा न्यू इयर वहीं मनाऊंगा. फिर तो पढ़ाई-लिखाई और जॉब में सर खपाना है.
ओटो वार्मबीयर की कॉलेज के दिनों की एक तस्वीर. (AFP) ओटो वार्मबीयर की कॉलेज के दिनों की एक तस्वीर. (AFP)


हालांकि ओटो के माता-पिता ओटो की इस यात्रा से रोमांचित तो नहीं ही थे, लेकिन उनकी मां ने बाद में बताया था-
आप इस तरह से, वो भी ओटो जैसे बच्चे को क्यों ही मना करेंगे?
अमेरिका के विदेश विभाग ने भी उत्तर कोरिया की यात्रा को लेकर एक एडवाइज़री ज़ारी की हुई थी, जो कहती थी कि-
वहां यात्रा करने वाले नागरिकों के लिए सीधे मदद कर पाना अमेरिकी सरकार की शक्ति से परे होगा.
मगर ओटो इससे पहले अमेरिका के एक दूसरे दुश्मन देश, क्यूबा का दौरा कर चुके थे. जिससे वो काफ़ी हद तक कॉन्फ़िडेंट थे.
29 दिसंबर, 2015 को ओटो, बीजिंग से नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के लिए रवाना हुए. प्योंगयांग पहुंचते ही नॉर्थ कोरिया की सीमा पुलिस ने सभी टूरिस्ट्स के कैमरों को ज़ब्त कर लिया और मोबाइल को पूरी तरह से खंगाल डाला.
पहले दिन ‘यूथ पायनियर्स’ के इन टूरिस्ट्स को ‘एस प्यूब्लो’ नाम का एक अमेरिकी नौसेना का जासूसी जहाज़ दिखाया गया. इसे नॉर्थ कोरिया द्वारा 1968 में जब्त कर लिया गया था. एक नॉर्थ कोरिया के गाइड ने शान से टूरिस्ट्स को बताया-
ये जहाज ‘इंपीरियल एनिमी’ से कब्ज़ा किया गया है.
नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के द्वीप पर बसा यांग्गकाडो इंटरनेशनल होटल. (AFP) नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के द्वीप पर बसा यांग्गकाडो इंटरनेशनल होटल. (AFP)


इसके बाद बाकी टूरिस्ट्स, ओटो को ‘इंपीरियल एनिमी’ नाम से ही चिढ़ाने लगे. इन टूरिस्ट्स में से कुछ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के थे, और 10 अमेरिकी.
न्यू ईयर्स ईव (नव वर्ष की पूर्व संध्या) के दौरान सभी पर्यटकों ने बार में बैठकर बियर वग़ैरह पी. उसके बाद न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए सभी लोग प्योंगयांग के ‘किम इल-संग स्क्वायर’ में इकट्ठा हो गए. वहां इनके अलावा हज़ारों लोकल भी मौजूद थे. इसके बाद पूरा ग्रुप यांग्गकाडो इंटरनेशनल होटल वापस आ गया. कुछ लोग बियर पीने चले गए, कुछ बॉलिंग एरिया में. इस दौरान ओटो कहां गए किसी पर्यटक को नहीं पता. 40 साल का एक ब्रिटिश नागरिक डैनी ग्राटों, जो इस टूर में ओटो वार्मबीयर के रूममेट थे, ने बाद में बताया-
उन दो घंटों के दौरान ओटो कहां थे, हममें से कोई नहीं जानता था.
02 तारीख़ को नॉर्थ कोरिया से वापसी थी. ओटो अपनी फ़्लाइट का इंतज़ार कर रहे थे. नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के एयरपोर्ट पर. इतने में दो नॉर्थ कोरियन गार्ड्स आए. वो ओटो वार्मबीयर को अपने साथ ले गए.
ओटो के रूम पार्टनर डैनी ग्राटों को लगा कि अधिकारी सिर्फ़ इस ‘अमेरिकी’ को थोड़ा परेशान करना चाह रहे हैं. वो ओटो से मज़ाक़ में बोले-
चलो फिर दोस्त. ये हमारी आखिरी मुलाक़ात है, अब हम तुम्हें क़भी नहीं देख पाएंगे.
ओटो के माता पिता. (तस्वीर: AP) ओटो के माता पिता. (तस्वीर: AP)


ओटो भी मुस्कुरा दिए. दोनों नहीं जानते थे कि डैनी की मज़ाक़ में कही बात सच साबित हो जाएगी. जैसे ही प्लेन जाने को तैयार हुआ, नॉर्थ अमेरिका का एक अधिकारी उसमें सवार हुआ और घोषणा की कि-
ओटो बहुत बीमार है और उसे अस्पताल ले जाया गया है.
यूं विमान, ओटो को लिए बिना ही नॉर्थ कोरिया से चल दिया.
इसके बाद नॉर्थ कोरिया की कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (KCNA) ने घोषणा की कि ओटो वार्मबियर को ‘राज्य के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्य’ करने के चलते हिरासत में लिया गया है. इसके बाद लगभग अगले दो महीनों तक, नॉर्थ कोरिया ‘शत्रुतापूर्ण कार्य’ की विस्तृत और सटीक जानकारी देने से इनकार करता रहा.
फिर 29 फरवरी, 2016 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, ओटो ने एक पहले से ही लिखे हुए स्टेटमेंट को पढ़ा. इसमें उन्होंने कबूल किया कि, उन्होंने-
यांग्गकाडो इंटरनेशनल होटल की दूसरी मंज़िल में स्थित एक प्रतिबंधित क्षेत्र से एक प्रचार पोस्टर चुराने का प्रयास किया था, जिसे वो घर ले जाना चाहते थे.
प्योंगयांग का ‘किम इल-संग स्क्वेर’, जहां न्यू इयर पार्टी मनाई गई. (तस्वीर: विकीकॉमन/Laika ac from USA - Juche Tower) प्योंगयांग का ‘किम इल-संग स्क्वेर’, जहां न्यू इयर पार्टी मनाई गई. (तस्वीर: विकीकॉमन/Laika ac from USA - Juche Tower)


इस दौरान उन्होंने कहा कि, उन्होंने ऐसा-
एक स्थानीय मेथोडिस्ट चर्च, फ़्रेंडशिप यूनाइटेड, के कहने पर किया.
ये ‘मेथोडिस्ट चर्च’ वाली बात इसलिए ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्यूंकि ओटो एक यहूदी थे. और बाद में फ़्रेंडशिप यूनाइटेड ने भी इस बात का खंडन किया था.
नॉर्थ कोरिया ने बाद में एक सीसीटीवी फ़ुटेज भी रिलीज़ की. इसमें एक अज्ञात व्यक्ति होटल के एक प्रतिबंधित क्षेत्र की दीवार से एक फ़्रेमयुक्त प्रचार पोस्टर को हटा रहा था. वीडियो की क्वालिटी इतनी घटिया थी कि आप निश्चित नहीं कह सकते थे कि वो कौन था. लेकिन नॉर्थ कोरिया का दावा था कि वो ओटो थे.
फिर आया आज से 5 साल पहले, आज की तारीख़ वाला दिन. 16 मार्च, 2016. इस दिन वार्मबीयर को नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम कोर्ट में दोषी ठहराया गया. उन पर उत्तर कोरिया के आपराधिक कोड के अनुच्छेद 60 के तहत ‘संपत्ति को हानि पहुंचाने’ का आरोप लगाया गया था. अदालत ने माना कि ओटो वार्मबियर ने ये अपराध, ‘नॉर्थ कोरिया के प्रति अमेरिकी सरकार की शत्रुतापूर्ण नीति’ का अनुसरण करते हुए किया था. नॉर्थ कोरिया के लोगों के बीच एकता को ख़त्म करने के वास्ते.
मुक़दमा एक घंटे चला, जिसमें ओटो वार्मबीयर को 15 साल की कड़ी सजा सुनाई गई. साक्ष्य के रूप में उनका कबूलनामा, उनके फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज, और गवाहों के बयान इस्तेमाल किए गए थे.
ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी ग़लती थी: ओटो वार्मबीयर. (तस्वीर: AFP) ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी ग़लती थी: ओटो वार्मबीयर. (तस्वीर: AFP)


लेकिन ओटो को लगभग डेढ़ साल के भीतर-भीतर ही अमेरिका भेज दिया गया. 13 जून, 2017 को. जब ओटो अमेरिका पहुंचे तो उनकी दशा बहुत ख़राब थी.
ओटो के पिता फ्रेड वार्मबियर ने ओटो से मिलते ही उन्हें गले से लगा लिया. फ्रेड ने ओटो को बताया कि वो ओटो को बहुत मिस करते थे. और उसके घर आ जाने पर बहुत ख़ुश थे.
इस सबके दौरन ओटो जगे हुए तो थे लेकिन कोई प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थे. इस स्थिति को आम तौर पर ‘वेजिटेटिव स्टेट’ के रूप में जाना जाता है. वो अपने दम पर सांस लेने और अपनी आंखें झपकाने में सक्षम थे, लेकिन इसके अलावा वो आसपास की चीज़ों के प्रति पूरी तरह उदासीन थे.
वापसी के छह दिनों बाद ओटो के माता-पिता ने ओटो के डाक्टर्स से उनकी फ़ीडिंग ट्यूब को हटाने का अनुरोध किया. उसी दिन वार्मबीयर ने दोपहर ढाई बजे के क़रीब दम तोड़ दिया.
अब सिर्फ़ ओटो की यादें बाकी हैं. (तस्वीर: AFP) अब सिर्फ़ ओटो की यादें बाकी हैं. (तस्वीर: AFP)


तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने वार्मबियर की मृत्यु के संबंध में एक बयान जारी किया-
माता-पिता के लिए एक बच्चे को उसकी युवावस्था में खोने के दुःख से बड़ा दुःख कुछ नहीं है. नॉर्थ कोरियाई शासन के नवीनतम शिकार पर शोक मनाते हुए अमेरिका एक बार फिर उसकी क्रूरता की निंदा करता है.
हालांकि डॉक्टर्स को आज तक नहीं पता कि ओटो का ‘वेजिटेटिव स्टेट’ में जाने का क्या कारण था. लेकिन जहां नॉर्थ कोरिया की सरकार इसे, ‘नींद की गोली’ का असर बताती है, वहीं अमेरिकी डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसा होना असंभव है. नॉर्थ कोरिया के अलावा बाकी सभी लोग, जो भी इस स्टोरी को जानते हैं, उनका मानना है कि ये मौत नॉर्थ कोरिया की ही दी हुई है.
ओटो वार्मबीयर, उनकी सज़ा, उनकी मौत से जुड़ी कई बातें हैं, जिनके चलते एक टीस सी रह जाती है. कि, ‘यूं होता तो क्या होता?’ जैसा ओटो अपने कॉलेज में दिनों में ‘दी ऑफ़िस’ नाम के एक सीरियल का डायलॉग ख़ूब रिपीट किया करते थे-
काश कि ‘अच्छे पुराने दिनों’ (good old days) के बीत जाने से पहले ही पता चल सकता कि अभी आपके वो दिन चल रहे हैं.
ओटो की शवयात्रा. (तस्वीर: AFP) ओटो की शवयात्रा. (तस्वीर: AFP)