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जब राकेश मारिया ने एक स्कूटर की चाभी के दम पर पूरा मुंबई ब्लास्ट केस सुलझा दिया

इसी किस्से में टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम के भी नाम हैं.

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ब्लास्ट के बाद लोकेशन की तलाशी लेती मुंबई पुलिस. कुल दो घंटे, दस मिनट के फासले में मुंबई में 12 ब्लास्ट हुए थे. (फाइल फोटो- India Today)
साल 1993 . 12 मार्च को मुंबई में एक के बाद एक कुल 12 बम ब्लास्ट हुए. 13 मार्च की सुबह चढ़ते-चढ़ते डीसीपी ट्रैफिक राकेश मारिया को ब्लास्ट केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर का ज़िम्मा सौंपा जा चुका था. राकेश मारिया ने देश के सबसे बड़े हमलों में से एक का केस सुलझाने का काम कैसे किया? शुरुआत कहां से की? कौन-सा बड़ा नाम इसमें शामिल रहा? कौन-सा नाम पहली बार सामने आया? और इन सबमें एक वैन का क्या रोल था? सब जानेंगे.
शाम से ही काम शुरू, रात तक पहला सुराग
राकेश मारिया ने इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के तौर पर कमान संभालने की शाम सबसे पहले अपने कुछ साथियों को बुलाया. वो साथी, जिन्हें मारिया इस जांच में अपने साथ लेने वाले थे. साथियों से कहा कि हमें ये केस सुलझाना है और सबसे ख़ास बात- हमें जीरो से शुरुआत करनी है.
मारिया ने पहला ऑर्डर दिया. बिल्कुल बेसिक को फॉलो करने जैसा- कंट्रोल रूम फीड पर पैनी नज़र रखी जाए. रात आठ बजे ये सब बात हुई और करीब साढ़े नौ बजे पहला सुराग भी मिल गया. पता चला कि वर्ली में हथियारों से भरी एक मारुति वैन कार मिली है. साढ़े दस बजे तक पुलिस ने वैन को ज़ब्त भी कर लिया. वैन में थीं- सात एके-56 असॉल्ट रायफल, 14 मैग्ज़ीन, पिस्टल और चार हैंड ग्रेनेड.
जब पहली बार टाइगर मेमन का नाम आया
पता चला कि वैन रुबिना सुलेमान मेमन के नाम पर है. पता- माहिम की अल हुसैनी बिल्डिंग.
मारिया ने अपने एक इन्फॉर्मर से पूछा- “ये अल हुसैनी बिल्डिंग के मेमन कौन हैं?”
जवाब था- “टाइगर मेमन. उसका फ्लैट है इधर.”
मारिया- “टाइगर मेमन. पहली बार नाम सुन रहा हूं. कौन है?”
जवाब- “स्मगलर है सर. अंडरवर्ल्ड.”
पुलिस टाइगर मेमन के फ्लैट की तलाशी लेने पहुंच चुकी थी. एक इंडिपेंडेंट विटनेस के सामने घर का ताला तोड़ा गया. तलाशी ली गई.
अब उस बजाज स्कूटर की बात
टाइगर मेमन के फ्लैट की तलाशी ली गई, तो एक बजाज स्कूटर की चाबी मिली. चाबी पर नंबर था-449. ये स्कूटर ही केस को सुलझाने वाला था. कैसे? इसके लिए दो दिन पीछे चलना पड़ेगा.
ब्लास्ट के अगले दिन पुलिस को नयागांव क्रॉस रोड पर एक स्कूटर मिला था. लावारिस स्कूटर. बम डिटेक्शन टीम को बुलाया गया. स्कूटर की तलाशी ली गई. पता चला कि इस स्कूटर में भी कई किलो आरडीएक्स भरा था. न जाने कैसे, धमाका नहीं हुआ. शायद हमलावरों से बम फिट करने में ही चूक हो गई थी. पुलिस ने स्कूटर ज़ब्त कर लिया था. ये स्कूटर मारिया की निगरानी में ही ज़ब्त किया गया था.
टाइगर मेमन के घर से जो चाबी मिली, वो उसी बजाज स्कूटर की थी. मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस का सबसे बड़ा सुराग राकेश मारिया के हाथ लग चुका था.
मेमन ने लड़कों को भागने के लिए रुपए दिए थे
टाइगर मेमन ने ही मुंबई में धमाके करने के लिए 23 लड़कों की टीम तैयार की. उनकी इस्लामाबाद में ट्रेनिंग कराई गई. धमाके के बाद भारत छोड़कर नेपाल भाग जाने के लिए सबको पांच-पांच हजार रुपए भी दिए.
राकेश मारिया और उनकी टीम को केस की सबसे बड़ी कड़ी का पता चल चुका था. 15 मार्च की सुबह छह बजे मारिया जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस एमएन सिंह के घर थे. उनको बता रहे थे, “सर, केस डिटेक्टेड.”
अब बाकी था एक्शन. हमले के ज़िम्मेदार एक-एक शख्स को पकड़कर भारत लाने की कोशिश शुरू हो गई थी.
# मारिया ने ऑफिसर्स और जवानों को मिलाकर कुल 162 लोगों की टीम तैयार की.
# तीन दिन के अंदर मारिया ने मुंबई के अलग-अलग थानों से लोगों को लेकर अपनी ये टीम तैयार की.
# सर्च और इन्वेस्टिगेशन टीम ने देश के 21 राज्यों के कुल 79 शहरों को छाना. इसके अलावा दो यूनियन टेरेटरीज़ भी.
# शुरुआती जांच में ही पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (ISI) और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का भी नाम सामने आया.
दाऊद को चूड़ियां भेजने वाली कहानी
अपनी किताब Let Me Say It Now में राकेश मारिया लिखते हैं-
अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एक किस्सा पानी पी-पीकर सुनाया जाता है. 1992 में बाबरी मस्ज़िद गिराए जाने के बाद मुंबई के कुछ मुस्लिम इसका बदला लेना चाहते थे. बदला लेने के लिए मदद मांगी गई दुबई में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से. दाऊद ने साफ मना कर दिया.
कहा जाता है कि इसके बाद कुछ मुस्लिम महिलाओं ने दाऊद को चूड़ियां भेजीं. लानत के तौर पर. ये बात दाऊद को लग गई और उसने टाइगर मेमन और मोहम्मद दौसा के साथ मिलकर मुंबई हमले की प्लानिंग रच डाली.
“मारिया साब, बड़े लोगों को पकड़िए”
पुलिस ने पूरी साज़िश में शामिल तीन लोगों को पकड़ा. बादशाह खान, हनीफ और समीर. इनसे पूछताछ से ही एक सबसे चौंकाने वाला नाम निकला.
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संजय दत्त को घर में अवैध हथियार छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. (फोटो- India Today)

हनीफ और समीर से सख़्त पूछताछ चल रही थी, तभी वो बोले, “साब, आप बड़े लोगों को पकड़ते नहीं क्या?”
मारिया- “कौन बड़े लोग”
हनीफ, समीर- “संजू बाबा”
मारिया- “कौन संजू”
हनीफ, समीर- “संजय दत्त. हीरो.”
इस नाम की तो किसी को उम्मीद ही नहीं थी. मारिया अपनी किताब में लिखते हैं- मुझे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था.
खैर, संजय दत्त पर अवैध हथियार रखने का दोष साबित हुआ था. बाद में उन्होंने इसकी सज़ा भी काटी.
मेमन परिवार के कुल सात लोगों को ब्लास्ट केस में दोषी करार दिया गया. सबसे बड़े मुज़रिम- टाइगर और याकूब मेमन. टाइगर मेमन अब भी फरार है. याकूब को 2015 में फांसी दी गई.
राकेश मारिया को ये केस सुलझाने के लिए पुलिस मेडल मिला. खास बात ये रही कि उन्हें 13 साल की सर्विस के बाद ही ये मेडल मिल गया, जबकि अमूमन पुलिस मेडल के लिए कम से कम 15 साल की सर्विस होनी चाहिए.
लेकिन इन सबके बीच उस बजाज स्कूटर को मत भूलिएगा, जो केस को सुलझाने की सबसे पहली और सबसे बड़ी कड़ी बना.


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