तारीख 26 मई 2025, जगह- गुजरात का वडोदरा जिला. मौका था, दाहोद रेलवे स्टेशन से 9000 हॉर्स पावर के पहले लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाने का. कार्यक्रम के केंद्र बिन्दु में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) थे, मगर ना चाहते हुए भी सुर्खियों में आ गए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Rail Minister Ashwini Vaishnaw).
रेलमंत्री सही थे, इंजन बिजली लौटाता है, ट्रोल्स इस साइंस को समझ लें!
लोकोमोटिव इंजन वाले बयान को लेकर सोशल मीडिया पर Rail Minister Ashwini Vaishnaw की ट्रोलिंग हो रही है, लेकिन हकीकत ये है कि ट्रोल करने वाले खुद तकनीक से अंजान हैं.

दरअसल हुआ ये कि उनकी कही एक बात पर सोशल मीडिया का एक धड़ा भड़क उठा और रेल मंत्री की ट्रोलिंग शुरू कर दी. तो चलिए सबसे पहले हम उस बयान पर एक नजर मार लेते हैं, जिसे लेकर रेल मंत्री वैष्णव को ट्रोल किया जा रहा है. रेल मंत्री ने अपने बयान में कहा था,
ये जो नया इंजन है, जब चलता है तो ऊपर के तार से बिजली लेता है, और जब रुकता है तो अपने जेनेरेटर से बिजली लेता है और ये बिजली वापस ट्रैक के ऊपर लगे तारों में भेजता है.
बस फिर क्या था - ट्रोल आ गए सोशल मीडिया के मैदान में. “इंजन कोई इन्वर्टर है क्या?”, “भौतिकी की धज्जियां”, “रेलवे में UPS लगा है क्या?” - ऐसे कॉमेंट्स से ट्विटर (अब X) और फेसबुक भर गया.
लेकिन असलियत क्या है?सच ये है कि रेल मंत्री ने जो कहा, वो तकनीकी रूप से बिल्कुल सही है. यह प्रक्रिया "रीजेनरेटिव ब्रेकिंग" (Regenerative Braking) कहलाती है. ये आज की अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक ट्रेनों में आम है.
कैसे काम करता है ये सिस्टम?जब ट्रेन चलती है, ऊपर के बिजली के तार से पैंटोग्राफ के जरिए बिजली लोकोमोटिव के ट्रैक्शन मोटर्स तक जाती है. ये मोटर्स पहियों को घुमाकर ट्रेन को आगे बढ़ाते हैं. लेकिन जब ट्रेन में ब्रेक लगता है, खासकर इलेक्ट्रिक इंजन में - तब वही ट्रैक्शन मोटर जनरेटर की तरह काम करने लगती है. यानी, पहियों की गति से बिजली बनती है.
अब इस बिजली का इस्तेमाल ब्रेकिंग में तो होता ही है, और कुछ बिजली वापस ओवरहेड तारों (OHE) में भेजी जाती है. रेल मंत्री ने भी तो यही कहा था कि जब ट्रेन रुकती है तो इंजन बिजली बनाता है और वापस तारों में भेजता है. यही तो Regenerative Braking है!
भारत में ये तकनीक कहां लागू है?हमारे देश में WAG-9, WAP-5, WAP-7 जैसे 3-फेज़ AC इंजन रीजेनरेटिव ब्रेकिंग में सक्षम हैं. दिल्ली मेट्रो, मुंबई लोकल, और ईएमयू ट्रेनें भी बिजली ग्रिड को वापस बिजली देती हैं. रेलवे ने खुद माना है कि उनके नए इलेक्ट्रिक इंजन इस प्रक्रिया से हर साल करोड़ों यूनिट बिजली ग्रिड को वापस देते हैं.
तकनीकी रूप से क्या ज़रूरी है?रेल मंत्री ने जो कहा, वैसा हर इंजन के साथ नहीं होता. कुछ तकनीकी जरूरतें होती हैं. मिसाल के तौर पर, Reversible Substations, ताकि बिजली को ग्रिड में लौटाया जा सके. इसके अलावा इंजन के अंदर स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स होने चाहिए. साथ ही कनेक्टेड ग्रिड भी जरूरी है जो वापस लौटाई गई बिजली को स्वीकार कर सके. भारत में इस सिस्टम को “feed back to grid” कहते हैं.
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