11 जुलाई 2022. संसद से जुड़ी एक और एतिहासिक तारीख. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अशोक स्तंभ का अनावरण किया. चार शेरों, एक अशोक चक्र और चार अन्य पशुओं के इस खूबसूरत मिश्रण के बारे में हम स्कूल के दिनों से पढ़ते आए हैं. इस बार ख़ास बात ये है कि संसद की नई बिल्डिंग की छत पर इनस्टॉल किया गया ‘राष्ट्रीय प्रतीक’ (National Emblem) काफी विशालकाय है. कांस्य से बना 6.5 मीटर लम्बा और वज़न 9500 किलो! इस महाकाय स्तंभ को एक स्टील की संरचना सहारा देती है, जिसका का वज़न 6500 किलो है.
हमें 'सत्यमेव जयते' का आदर्श सिखाने वाले अशोक स्तंभ की कहानी क्या है?
चार शेरों, एक अशोक चक्र और चार अन्य पशुओं के इस खूबसूरत मिश्रण के बारे में हम स्कूल के दिनों से पढ़ते आए हैं.

अपनी स्थापना से लेकर अवधारणा तक, ये विशालकाय कांस्य (bronze) का प्रतीक कुल आठ चरणों से गुज़रा. इसे औरंगाबाद, दिल्ली और जयपुर में सुनील देवरे और लक्ष्मण व्यास नाम के कलाकारों ने मिलकर बनाया है. इसे बनाने में आए खर्च का सोचकर सर खुजा रहे हैं तो रुक जाइए, हम बात देते हैं. 1200 करोड़ रुपये में ये खूबसूरती असलियत में तब्दील हुई है.
आपको बता दें, नई संसद के शुरूआती डिजाइन में छत पर एक शिखर शामिल था. इसे 2020 में बदल कर अशोक स्तंभ करा गया. संसद की नई ईमारत भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है. नई पार्लियामेंट बिल्डिंग (Parliament building) के निर्माण का काम संसद के शीतकालीन सत्र से पहले पूरा होने की उम्मीद है.

भारत के राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ के ऊपर बना अशोक स्तंभ. सामने से 3 शेर दिखते हैं और एक अशोक चक्र. पर असल में हमारे नेशनल एंब्लेम में होते हैं चार शेर, एक-दूसरे से सटे हुए. एक शेर पीछे की तरफ होता है. सामने से नहीं दिखता.

शेरों के नीचे होता है अशोक चक्र– जो बौद्ध धर्म में धर्मचक्र का प्रतीक है. इसमें 24 तीलियां होती हैं– इंग्लिश में बोले तो ‘स्पोक्स’. इसके साथ ही नीचे के गोल आधार पर, 4 पशु बने होते हैं– हाथी, घोड़ा, सांड और सिंह. हर पशु के बीच में एक धर्म चक्र बना होता है. प्रतीक के नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा होता है.
बताते हैं कि ‘सत्यमेव जयते’ मुन्डक उपनिषद से लिया गया है. इसका मतलब होता है- सत्य की विजय. सारनाथ में मौजूद अशोक स्तंभ (Sarnath Lion Capital) से प्रेरित ये प्रतीक हमें संसद से लेकर राष्ट्रपति भवन तक और सरकारी कार्यालयों से लेकर अधिकारियों के ऑफिस तक देखने को मिलता है. सारनाथ में मौजूद मूल स्तंभ पॉलिश्ड सैंडस्टोन (बलुआ पत्थर) के एक ही ब्लाक से बनाया गया है.
जब इतनी डिटेल जान ही ली है, तो एक और बात जानते चलिए. सम्राट अशोक ने ‘लायन कैपिटल’ का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया था. इसे उस जगह को चिह्नित करने के लिए बनाया गया था जहां महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था.
साल 1950, तारीख थी 26 जनवरी. तब भारत सरकार द्वारा इसी लायन कैपिटल को राज्य चिह्न के रूप में अपनाया गया था. दीनानाथ भार्गव वो पेंटर थे जिन्होंने अशोक की लायन कैपिटल को चित्रित और प्रकाशित किया था. दीनानाथ उस वक़्त शान्ति निकेतन में पढ़ रहे थे. तब प्रसिद्ध चित्रकार नन्दलाल बोसे ने उन्हें भारतीय संविधान की पांडुलिपि के पन्नों को डिजाइन कर रहे ग्रुप में शामिल किया था.

इस राज्य प्रतीक का उपयोग भारत सरकार की आधिकारिक मुहर के रूप में किया जाता है. भारत राज्य (अनुचित उपयोग निषेध) अधिनियम, 2005 इस प्रयोग को नियंत्रित करता है. शक्ति, साहस, आत्मविश्वास के चार प्रतीक ये शेर एक सर्कुलर बेस पर आराम करते हैं.