ईरान और इजरायल के बीच तनाव (Iran Israel Conflict) बढ़ता जा रहा है. बैलिस्टिक मिसाइल्स से लेकर B2 Bombers तक इस संघर्ष में कूद पड़े हैं. इस बीच ईरान ने सेज्जिल बैलिस्टिक मिसाइल (Sejjil Ballistic Missile) से इजरायल पर हमला किया है. ये एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (Long Range Ballistic Missile - LRBM) है. इस मिसाइल को उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम (Iron Dome) और डेविड स्लिंग (David Sling), दोनों में से कोई नहीं रोक सका. इससे न सिर्फ आयरन डोम की अजेय छवि को धक्का लगा, बल्कि इजरायल को अमेरिका से मदद मांगनी पड़ी.
ईरान की वो मिसाइल जिसे Iron Dome भी नहीं रोक पाया, और युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो गई
Iran की Sejjil मिसाइल को उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम Iron Dome और David Sling, दोनों में से कोई नहीं रोक सका. इससे न सिर्फ आयरन डोम की अजेय छवि को धक्का लगा, बल्कि Israel को US की मदद लेनी पड़ी.

इसके बाद ही अमेरिका ने B-2 Bomber से ईरानी न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया. साथ ही ये साफ हो गया कि ईरानी मिसाइल्स को पूरी तरह से रोकने में इजरायल नाकाम हो रहा है, खासकर बैलिस्टिक मिसाइल्स. आइए सेज्जिल बैलिस्टिक मिसाइल ( What is Sejjil Ballistic Missile?) के बारे में विस्तार से जानते हैं…
ईरानी मिसाइलबीते कई सालों से ईरान अमेरिकी प्रतिबंध झेल रहा है. यही वजह है कि रक्षा मामलों में उसकी खरीद काफी लिमिटेड रह गई है. लेकिन ईरान ने इस बात को समझते हुए 2 चीजों पर खूब मेहनत की है. पहला है ड्रोन्स, और दूसरा है मिसाइल टेक्नोलॉजी. नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस जैसे देशों की मदद से ईरान ने बैलिस्टिक और हाइपरसॉनिक मिसाइल्स बनाई हैं. लेकिन सेज्जिल वो मिसाइल है जो पूरी तरह से ईरानी है. ईरान ने इसे पूरी तरह अपने देश में ही डेवलप किया है.

मिसाइल्स की तकनीक और डेवलपमेंट पर नजर रखने वाली वेबसाइट Missile Threat के मुताबिक सेज्जिल का डेवलपमेंट 1990 के दशक के अंत में शुरू हुआ. लेकिन इसके डेवलपमेंट को Zelzal मिसाइल से जोड़ा जाता है जो कि एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (Short Range Ballistic Missile) है. कहा जाता है कि इसके विकास में चीन ने भी सहायता की है. इस मिसाइल को जो चीज सबसे खास बनाती है, वो है इसकी टू-स्टेज फ्यूल टेक्नोलॉजी. यानी इसमें ईंधन के लिए दो हिस्से हैं. पहला हिस्सा वो जो लॉन्च के साथ मिसाइल को ऊंचाई पर ले जाता है. इसके बाद ये हिस्सा अलग हो जाता है. दूसरा हिस्सा पूरी स्पीड से मिसाइल को टारगेट तक लेकर जाता है. इसलिए ये काफी सटीक मानी जाती है. इसके कुछ फीचर्स को देखें तो -
- लंबाई: 18 मीटर
- डायमीटर/चौड़ाई: 1.25 मीटर
- कुल वजन: 23 हजार 600 किलोग्राम
- पेलोड क्षमता: 700 किलोग्राम
- रेंज: 2 हजार किलोमीटर
- श्रेणी: मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM)
- अन्य नाम: Ashoura, Ashura, Sajil, Sajjil
ईरान ने Sejjil का पहला टेस्ट 2008 में किया था और मिसाइल ने कथित तौर पर 800 किलोमीटर की उड़ान भरी थी. बेहतर गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम का परीक्षण करने के लिए मई 2009 में दूसरा टेस्ट किया गया. 2009 के बाद से इसके कई परीक्षण हुए. हर बार ईरान ने इसकी तकनीक को पहले से बेहतर किया. एक परीक्षण हिंद महासागर में हुआ जिसमें इस मिसाइल ने लगभग 1,900 किलोमीटर की दूरी तय की.
सेज्जिल मिसाइल के बारे में कहा जाता है कि ये पूरी तरह ईरान की तकनीक है. हालांकि कुछ अटकलों ने इस मिसाइल को चीन की DF-11 और DF-15 से जोड़ा है. पहले की ईरानी प्रणालियों के उलट, यह मिसाइल पहले से बन रही उत्तर कोरियाई मिसाइल्स की नकल नहीं लगती है. इजरायल पर लगातार इस मिसाइल से हमला हुआ. खासकर उसकी पोर्ट सिटी हाइफा पर. अब तक के संघर्ष को देखें तो कम से कम 5 से अधिक बार इस मिसाइल ने इजरायली शहरों को हिट किया है. कई बार इसे रोका भी गया है लेकिन हर बार आयरन डोम ऐसा नहीं कर सका. इसके हमले से इजरायली लोगों के हताहत होने की तो कोई खबर नहीं है, लेकिन इससे पोर्ट के आसापास की बिल्डिंग्स को भारी नुकसान पहुंचा है.
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