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दुनिया की सबसे धाकड़ फेमिनिस्ट, जिसकी बातें मर्दों को ज्यादा सुननी चाहिए

जिंदगी जीने का तरीका इनसे सीख लें तो लोग इंसान बन जाएं.

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सिमोन दे बेवॉर. दुनिया भर के नारीवादियों की चहेती लेखिका. इनकी किताब 'दि सेकंड सेक्स' फेमिनिस्टों के लिए गीता जैसी है. हम आजकल जिस जेंडर इक्वैलिटी की माला जपते रहते हैं, सिमोन ने उसके सही मायनों को खुद भी जिया था और लोगों को भी ऐसा जीना सिखाती थीं. जर्मन की जर्नलिस्ट एलिस श्‍वाइत्‍जर ने सिमोन का लंबा-चौड़ा इंटरव्यू लिया था. ये इंटरव्यू सिमोन की किताब 'दि सेकंड सेक्स' के तीस साल पूरा होने पर लिया गया था. इंटरव्यू में सिमोन ने औरतों की जिंदगी, उनके हक, उनकी आजादी के बारे में खूब सारी बातें की थीं. हम उनके उस इंटरव्यू और उनकी किताबों, भाषणों से कुछ बातें चुनकर लाए हैं: 1. pg3 मेरी समझ में औरत को मातृत्व और शादी की जकड़ से आजादी पाने के लिए बहुत सतर्क और चौकन्ना रहना चाहिए. अगर किसी औरत को बच्चा बहुत प्यारा लगता है तो उसे उन चीजों पर ध्यान से सोचना चाहिए, जो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी सिर्फ औरत पर डाल देती हैं. इस तरह मां होना वाकई में गुलामी ही है. पिता और समाज, बच्चे की सारी जिम्मेदारी मां पर ही डाल देते हैं. औरतों को छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल करने के लिए अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ती है. 2. pg2   सभी कामों की इम्पॉर्टेंस एक ही तरह की होती है. जैसे कि खिड़कियां साफ करने में क्या बुराई है?  यह काम उतना ही जरूरी है, जितनी कि टाइपिंग. बुरा तो तब है, जब किसी इंसान को खिड़कियों की सफाई करने के लिए मजबूर किया जाता है. इंटरनेशनल वीमेन ईयर मनाया जाना बहुत ही विकृत और भौंडा विचार है. हरेक साल को अंतर्राष्ट्रीय महिला साल होना चाहिए. बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानव साल मनाया जाना चाहिए. 3. pg5 मैं मातृत्व की विरोधी नहीं हूं. मेरा कहना सिर्फ ये है कि मां बनने को एक भयानक काम बना दिया गया है.  मैं मदरहुड के खिलाफ नहीं हूं, बल्कि उस सोच के खिलाफ हूं, उस आचार संहिता के खिलाफ हूं, जो हर औरत से मां बनने की अपेक्षा करती है. वे बिल्कुल अकेले होते हैं, सो जिंदगी में कुछ होने के लिए वो बच्चे पैदा करते हैं और यह तो बच्चे के लिए भी बहुत भयानक बात है. और फिर जैसे ही बच्चा बड़ा होता है, वह हर हाल में घर छोड़कर चला जाता है. बच्चा भीतरी अकेलेपन से मुक्ति की कोई गारंटी नहीं है. 4. pg6 वो छोटी-छोटी लड़कियां, जो बिलकुल स्त्रीनुमा होती हैं, वो ऐसी बना दी जाती हैं, न कि जन्म से ही ऐसी होती हैं. जब मर्द हमसे कहते हैं कि 'एक अच्छी और सभ्य औरत बनने के रास्ते पर चलो और सारी भारी और कठिन चीजें, जैसे ताकत, रेपुटेशन और करियर हमारे लिए छोड़ दो, तुम जैसी हो वैसी ही खुश रहो', तो ये बहुत ही खतरनाक चीज है. 5. pg4  
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