The Lallantop

इन 5 जजों की फाइल सरकार के पास क्यों पहुंची?

जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे गतिरोध के बीच ये फाइल भेजी गई है

Advertisement
post-main-image
कॉलेजियम की लिस्ट में राजस्थान, मणिपुर और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक-एक जज और पटना हाईकोर्ट के दो जज शामिल हैं

सुप्रीम कोर्ट को जल्द ही नए जज मिलने वाले हैं. कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने हाईकोर्ट के 5 जजों को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया है. इनमें राजस्थान, मणिपुर और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक-एक जज और पटना हाईकोर्ट के दो जज शामिल हैं. जिन जजों के नाम भेजे गए हैं, उनमें जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं.

Advertisement

पिछले कुछ समय से कानून मंत्री किरेन रिजिजू नियमित रूप से जजों को नियुक्त करने वाले कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं. और दूसरी तरफ से कभी मौजूदा CJI तो कभी पूर्व सीजेआई कॉलेजियम का बचाव कर रहे हैं. दोनों तरफ से दिये जा रहे तर्कों के बीच इन पांच जजों की फाइल सरकार के पास पहुंची है. ऐसे में इन जजों के बारे में जानना जरूरी हो जाता है. 

जस्टिस पंकज मिथल

राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं पंकज मिथल (Justice Pankaj Mithal). जन्म 17 जून, 1961 को हुआ था. साल 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातक किया. 1985 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मेरठ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की. जस्टिस पंकज मिथल ने साल 1985 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में एडवोकेट के रूप में खुद को रजिस्टर्ड कराया और प्रैक्टिस शुरू की.

Advertisement

एडवोकेट कोटे से जुलाई 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने, फिर जुलाई 2008 में परमानेंट हो गए. जनवरी 2021 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस पद की शपथ ली. इसके बाद अक्टूबर 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट पहुंच गए.

जस्टिस संजय करोल

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल (Justice Sanjay Karol) को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए जाने की सिफारिश की गई है. 23 अगस्त, 1961 को जन्म हुआ. जस्टिस करोल हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा, तहसील देहरा गोपीपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से कानून में डिग्री हासिल की. साल 1986 में एक वकील के रूप में काम शुरू किया.

1998 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता रहे. 1999 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने. इसके बाद मार्च 2007 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए. अप्रैल 2017 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाला. नवंबर 2018 को त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. फिर नवंबर 2019 में बतौर चीफ जस्टिस पटना हाईकोर्ट पहुंचे.

Advertisement
जस्टिस पीवी संजय कुमार

जस्टिस पीवी संजय कुमार (Justice P.V. Sanjay Kumar). मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस. इन्हें भी सुप्रीम कोर्ट में तैनात करने की सिफारिश हुई है. 14 अगस्त, 1963 को हैदराबाद में पैदा हुए जस्टिस कुमार के पिता पी रामचंद्र रेड्डी आंध्र प्रदेश के एडवोकेट जनरल रहे थे. संजय कुमार ने 1998 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की और वकालत की प्रैक्टिस शुरू की.

ये भी पढ़ें - जजों की नियुक्ति करने वाले कोलेजियम सिस्टम पर विवाद क्यों?

संजय कुमार अगस्त 2008 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त हुए. जनवरी 2010 में उन्हें स्थायी जज नियुक्त कर दिया गया. 14 अक्टूबर, 2019 को उनका तबादला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में किया गया. फरवरी 2021 में जस्टिस पीवी संजय कुमार मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए.

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह  

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (Justice Ahsanuddin Amanullah). इस बार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा की गयी सिफारिशों में पटना हाईकोर्ट के दूसरे जस्टिस हैं. 11 मई, 1963 को पैदा हुए. केमिस्ट्री में ऑनर्स के साथ स्नातक की डिग्री ली. पटना लॉ कॉलेज से लॉ किया.

जस्टिस अमानुल्लाह सितम्बर 1991 में प्रैक्टिस के लिए बिहार बार काउंसिल में इनरोल हुए. उन्होंने मुख्य रूप से पटना हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट, झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी एक्टिव रहे. जस्टिस अमानुल्लाह को जून 2011 में पटना हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया. करीब दस साल बाद अक्टूबर 2021 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर हो गया. कुछ महीने बाद ही जून 2022 में फिर पटना आ गए.

जस्टिस मनोज मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा चुने गए पांचवें जज मनोज मिश्रा (Justice Manoj Misra) हैं. उनका जन्म 2 जून, 1965 को हुआ था. मिश्रा ने साल 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ली. दिसंबर 1988 में वकील बने. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में नागरिक, राजस्व, आपराधिक और संवैधानिक मुद्दों पर बहस की. नवंबर 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही एडिशनल जस्टिस बने. मनोज मिश्रा अगस्त 2013 से हाईकोर्ट के स्थायी जज हैं.

दी लल्लनटॉप शो: क्या इस मुद्दे पर हो सकता है मोदी सरकार Vs चीफ जस्टिस चंद्रचूड़?

Advertisement