The Lallantop

ये औरत 100 साल पहले रेगिस्तान की रानी बन चुकी थी!

दुनिया घूमने की ख्वाहिश रखनेवाले, मन में एक जासूस पाले लोग इसे जरूर पढ़ लें.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
पारुल
पारुल

नक्शेबाज सीरीज की आज 9वीं किस्त आप पढ़ेंगे. क्यों पढ़ेंगे, ये अब कहने वाली बात नहीं रह गई. घुमक्कड़ लोगों के लिए दी लल्लनटॉप ने नक्शेबाज सीरीज शुरू की है. इस सीरीज में हम आपको दुनिया में जो टॉप ट्रैवलर्स हुए हैं, उनके बारे में बताते हैं. आज पढ़िए गर्टरूड बेल के बारे में. ये सर्वगुण संपन्न लेडी थीं. जासूस, इतिहासकार थीं. अब ये दोनों काम घर बैठे तो हो नहीं सकते. बाहर निकलना पड़ता है. टहिलना पड़ता है. हां तो ऐसी टहिलने वाली ही थीं गर्टरूड बेल. इनके बारे में लिखा है पारुल ने. आज इनके बारे में जानिए:


 

गर्टरूड बेल

ये इंग्लैंड की एक सरकारी ऑफिसर थीं. साथ ही ट्रैवलर, जासूस और हिस्टोरियन भी थीं. बेल 19वीं सेंचुरी में घूमने निकली थीं.
NAKSHEBAZ BANNER

ड्राइविंग फ़ोर्स:
पढ़ाई के बाद गर्टरूड बेल चाचा से मिलने ईरान गईं. बस इसी के बाद से उन्हें घूमने का चस्का लग गया. वैसे इन्हें पहले से ही घूमने-फिरने और एडवेंचर का काफी शौक था.
फॅमिली बैकग्राउंड/इनकम लेवल:
ये भी बड़े पैसेवाले घर से थीं. इनके दादाजी की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां थीं. साथ में वो ब्रिटिश सांसद भी थे. गर्टरूड बेल तीन साल की थीं, तभी उनकी मम्मी गुज़र गईं. उनके बाद वो अपने पापा के काफी करीब आ गईं. उनके पापा शहर के मेयर थे. और इंग्लैंड की पॉलिटिक्स में बड़े आदमी थे. बेल को बचपन से एडवेंचर का बड़ा शौक था. फिर घर के माहौल की वजह से पॉलिटिक्स में भी मन लगता था. इन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड से हिस्ट्री की पढ़ाई की थी.
ट्रेवल रूट/जगहें:
बेल सबसे पहले तो ईरान गईं. फिर तो अगले दस साल तक खूब घूमीं. स्विट्ज़रलैंड में पहाड़ों पर चढ़ाई की. और ढेर सारी भाषाएं सीखी. गर्टरूड बेल कुछ वक़्त बाद फिलिस्तीन सीरिया और जेरूसलम घूमने निकलीं. फिर अगले बारह साल में 6 बार अरेबिया में घूमने गईं. इसी बीच कई सारे पहाड़ों की चढ़ाई की. फिर वो इराक भी गईं.
इराक में बेल
इराक में बेल

जब पहला वर्ल्ड वॉर शुरू हुआ, तो बेल चाहती थीं कि उनकी पोस्टिंग मिडिल ईस्ट में कहीं हो जाए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. तब उन्होंने फ्रांस जाकर रेड क्रॉस के साथ काम किया. लेकिन बेल ने मिडिल ईस्ट में काफी वक़्त गुज़ारा था. वहां के कई लोकल लोगों से उनकी अच्छी जान-पहचान थी. और एक औरत होने की वजह से वो ट्राइब के सरदारों के घर तक जाकर उनके यहां की औरतों से मिल पाती थीं. इसी वजह से बाद में उन्हें एक लंबे वक़्त तक मिडिल ईस्ट में ही पोस्टिंग दी गई. वो ब्रिटिश सैनिकों को अरेबिया के रेगिस्तान के कठिन रास्तों में हेल्प करती थीं.
इसके बाद गर्टरूड बेल को काहिरा में इंग्लैंड की आर्मी इंटेलीजेंस विभाग में शामिल कर दिया गया. फिर बसरा में बेल ब्रिटिश सैनिकों को मैप बनाकर रास्ते समझाती थीं. और लड़ाई के पॉलिटिकल दावपेंच भी सिखाती थीं. ये ब्रिटिश आर्मी की पहली महिला पॉलिटिकल ऑफिसर थीं. और यूरोप की पहली औरत जिसने मिडिल ईस्ट के कल्चर को पढ़ा और समझा. इराक के म्यूज़ियम के कलेक्शन में भी बेल ने काफी मदद की थी.
मुश्किलें:
कितनी मुश्किलें रही होंगी, क्या ही बताएं. अकेले घूमना-फिरना, पहाड़ों की चढ़ाई करना, सब कुछ मुश्किल ही रहा होगा उन्नीसवीं सेंचुरी की एक औरत के लिए.
आउटपुट:
पहली बार ईरान में घुमते-फिरते वक़्त ही उन्होंने 'पर्शियन पिक्चर्स' नाम से एक किताब लिख डाली. फिर बाद में जब उनका अक्सर आना-जाना होने लगा, तो उन्होंने एक और किताब लिखी. ये 'सरिया: द डेजर्ट एंड द सोन' (Syria: The Desert and the Sown) नाम की ट्रेवल अकाउंट थी. जिसमें फोटोज के साथ-साथ फुल डिटेल में सीरिया के कई शहरों के बारे में लिखा है. जिससे यूरोप के लोगों को अरेबियन रेगिस्तान के बारे में पहली बार अच्छे से पता चल पाया. 2015 में ही गर्टरूड बेल के ऊपर एक फिल्म बनी थी 'क्वीन ऑफ़ द डेजर्ट' नाम की. https://www.youtube.com/watch?v=aOFo1rpUTrY
नक्शेबाज सीरीज की बाकी किस्ते पढ़ने के लिए नीचे लटके नक्शेबाज टैग पर क्लिक करें.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement