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मिलने और बिछड़ने की कहानी शुरू हुई थी 1918 में. 1937 में कुरबान सईद के नाम से छपी 'अली एंड नीनो' में यही वक़्त दिया है जब दोनों पहली बार मिले थे. अली था अजरबेजानी मुसलमान और नीनो जॉर्जिया की क्रिश्चियन. वो भी राजकुमारी.

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पूरब-पश्चिम,मुस्लिम-ईसाई,लड़का-लड़की सब कुछ था इस कहानी में जो इश्क के आड़े आए. दोनों जैसे-तैसे मिलते हैं पर अली के मुल्क में हमला हो जाता और वो जंग में मारा जाता है दोनों हमेशा के लिए अलग हो जाते हैं.

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किताब बाद में 30 से ज्यादा भाषाओं में छपी. सौ के लगभग संस्करण छपे. पर कुरबान सईद कौन था कायदे से आजतक कोई न जान पाया. कुछ कहते हैं कि लेव नुस्सिम्बाम किताब के असल लेखक हैं. जिनने कुरबान के नाम से लिखा पर वैसे ही दावे और भी हैं. कुरबान कौन था ये बहस फिर कभी.

बुत का किस्सा ये कि इसे बनाया है जॉर्जियन मूर्तिकारा तमारा क्वेसिताद्जे ने. और कहानी जोड़ी 'अली और नीनो' से. दोनों बुत 26 फुट के हैं. 2007 में तमारा ने डिजाइन तैयार किया. 2010 में बटूमी शहर के सामने युद्ध के बीच पलते त्रासद अंत वाले प्यार का किस्सा बखान करने को रख दिया.

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अली और नीनो का हिन्दुस्तान से भी कनेक्शन है. 27 जनवरी को इस नाम से एक फिल्म आई है. और उसके डायरेक्टर भारतीय मूल के थे. जिनका नाम है आसिफ कपाड़िया.

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