छिंदवाड़ा लोकसभा सीट (Chhindwara Loksabha) से भारतीय जनता पार्टी के बंटी विवेक साहू (Bunty Vivek Sahu) को 6,44,738 वोट मिले हैं. इस तरह बंटी ने कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को हरा दिया है. कांग्रेस के नकुलनाथ (Nakul Nath) को 5,31,120 वोट मिले हैं. दोनों के बीच जीत-हार का मार्जिन 1,13,618 वोटों का रहा.
Chhindwara Loksabha Seat Result : बंटी विवेक साहू, कमलनाथ के लाल नकुलनाथ से 1 लाख से भी ज़्यादा वोटों से जीते
Chhindwara Loksabha Seat से Congress के Nakul Nath को चुनौती देने के लिए BJP ने Bunty Vivek Sahu को मैदान में उतारा था.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 2014 में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में कमलनाथ को कुल 5 लाख 59 हज़ार 755 वोट मिले थे. उन्होंने BJP के चौधरी चंद्रभान कुबेर सिंह को हराया था. चंद्रभान को 4 लाख 43 हज़ार 218 वोट मिले थे.
2019 का नतीजा2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ़ से मैदान में उतरे कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ. उस समय नकुलनाथ को 5 लाख 87 हज़ार 305 वोट मिले थे. जबकि BJP प्रत्याशी नाथन शाह को 5 लाख 49 हज़ार 769 वोट मिले थे.
BJP- बंटी विवेक साहू
कांग्रेस- नकुल नाथ
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 9 बार सांसद रहे हैं. 2019 में भी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने ही इस सीट से जीत दर्ज की थी. ये सीट कांग्रेस के लिए इतनी सेफ़ मानी जाती थी कि आपातकाल तक में छिंदवाड़ा से कांग्रेस ही जीती थी. हालांकि उनके ख़िलाफ़ 2024 में उतरे बंटी विवेक साहू. BJP ने इस बार छिंदवाड़ा की सीट को नाक का सवाल बना दिया था. 2023 विधानसभा चुनाव में कमलनाथ और बंटी विवेक साहू के वोटों का अंतर 34 हज़ार के क़रीब था. इसीलिए 2019 विधानसभा उपचुनाव में कमलनाथ से सिर्फ़ 25 हज़ार के वोटों से हारने वाले बंटी विवेक साहू ने इस बार चुनाव प्रचार में ख़ूब मेहनत की थी. उनकी इस मेहनत ने असर दिखाया है. कभी इंदिरा गांधी के 'तीसरे बेटे' कहे जाने वाले कमलनाथ अपने बेटे की सीट बचा पाते हैं या नहीं, उनका क्या होगा देखना दिलचस्प होगा. कांग्रेस को कमज़ोर करने के लिए BJP ने इस बार एक और ख़ास रणनीति बनाई थी. रणनीति ये कि छिंदवाड़ा में असंतुष्ट और प्रभावशाली नेताओं सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को BJP में शामिल कराया गया.
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छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में अनुसूचित जाति के वोटरों का प्रतिशत 12 फ़ीसदी, अनुसूचित जनजाति की 37 फ़ीसदी, जबकि मुसलमान वोटरों की आबादी का प्रतिशत 5 प्रतिशत है.
इतिहासछिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए 'अभेद्य गढ़' है. इसे 1952 के बाद BJP सिर्फ़ एक बार 1997 में भेद पाई है. इसके बाद हुए सारे चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है. 1952 में यहां रायचंदभाई शाह जीते, 1957 और 1962 में भीकूलाल चांडक. इसके बाद गार्गी शंकर मिश्रा ने यहां लगातार 3 बार 1967, 1971 और 1980 में जीत दर्ज की. इसके बाद यहां कमलनाथ ने कांग्रेस का झंड़ा गाड़ा. कमलनाथ ने 1980 में कांग्रेस (I) के लिए, फिर 1984, 1989 और 1991 में कांग्रेस के लिए जीत दर्ज की. इसके बाद उनकी पत्नी अलका नाथ ने 1996 में ये सीट अपने नाम की. वहीं, BJP की तरफ़ से जो एकमात्र जीत हुई, वो सुन्दर लाल पटवा के द्वारा 1997 में हुई. इसके बाद कमलनाथ की इस सीट पर फिर वापसी हुई. वापसी भी ऐसी की 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार पांच चुनाव जीते. इसके बाद आए कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ. उन्होंने कांग्रेस से ही 2019 में छिंदवाड़ा से जीत दर्ज की. 2024 के चुनाव में उनके ख़िलाफ़ खड़े हैं विवेक बंटी साहू.
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