सेना में दो स्तर पर मेडल दिए जाते हैं. एक युद्ध के दौरान वीरता दिखाने पर और दूसरा शांति के दौरान वीरता दिखाने पर. ये वीरता पुरस्कार साल में दो बार घोषित किए जाते हैं. गणतंत्र दिवस के अवसर पर और फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर. इन पुरस्कारों का वरीयता क्रम है परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र.
युद्ध के दौरान दिए जाने वाले मेडल
युद्ध के दौरान वीरता दिखाने पर परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया जाता है.
परमवीर चक्र

परम वीर चक्र
परमवीर च्रक भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. ज्यादातर मरणोपरांत दिया जाता है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता शूरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. पहली बार 3 नवंबर, 1947 को भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन के मेजर सोमनाथ शर्मा को ये पुरस्कार दिया गया था. हालांकि इस पुरस्कार को देने की औपचारिक घोषणा 26 जनवरी, 1950 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी. आखिरी बार 6 जुलाई, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. इस परमवीर चक्र को आर्मी के ही एक अफसर विक्रम खानोलकर की पत्नी सविता खानोलकर ने डिजाइन किया था. इसे बैंगनी रंग के रिबन के साथ पहना जाता है. अब तक 21 लोगों को ये सम्मान मिल चुका है.
महावीर चक्र

महावीर चक्र
मिलिट्री का दूसरा सबसे बड़ा अवॉर्ड. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. यह मरणोपरांत भी दिया जा सकता है. सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी रैंक के अधिकारी, प्रादेशिक सेना, रिजर्व बल और किसी अन्य विधिवत सशस्त्र बल के लोगों को दिया जा सकता है. मुख्य नर्स, सिस्टर्स, नर्सों और नर्सिंग सेवाओं के कर्मचारियों और अस्पतालों में अन्य सेवाओं से संबंधित लोगों, किसी भी लिंग के नागरिकों या नियमित या अस्थायी रूप से कार्यरत उपर्युक्त सुरक्षा बलों में से किसी से भी सम्बंधित व्यक्ति को इस अवार्ड के लिए युद्ध क्षेत्र में बहादुरी दिखाने के लिए चुना जाता है. 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान ये मेडल सबसे ज्यादा दिए गए थे.
वीर चक्र

वीर चक्र
युद्ध के समय वीरता के लिए दिया जाने वाला यह तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है, जो दुश्मन के खिलाफ दिखाई गई बहादुरी के लिए दिया जाता है. यह पदक भी सैनिकों और असैनिकों को दिया जा सकता है. इसने ब्रिटिश Dishtinguished Service Cross( DSC), Military Cross (MC)और Dishtinguished Flying Cross (DFC) की जगह ली थी. 26 जनवरी 1950 से इसकी शुरुआत हुई. इस मेडल को 16mm नीले और 16mm केसरिया रंग के रिबन के साथ पहना जाता है.
शांति के दौरान दिए जाने वाले मेडल
जब युद्ध नहीं हो रहा होता है, तब भी सेना के जवानों को वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं. भारत ने अपनी आखिरी लड़ाई पाकिस्तान के साथ 1999 में लड़ी थी. लेकिन उसके बाद भी एयर स्ट्राइक, आतंकवादी घटनाएं, सीमा पर घुसपैठ और क्रास बॉर्डर फायरिंग जैसी चीजें होती रहती हैं, जिनमें असाधारण वीरता की ज़रूरत होती है. और ऐसी वीरता दिखाने वालों को सम्मान मिलता है. शांति के समय दिए जाने वाले ऐसे पुरस्कारों में है अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र.
अशोक चक्र

अशोक चक्र
इसे पीसटाइम का परम वीर चक्र माना जाता है. यानी युद्ध से अलग वीरता और साहस के लिए दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवार्ड. इसने ब्रिटिश जॉर्ज क्रॉस अवार्ड की जगह ली थी. फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुहास बिस्वास पहले इंडियन थे, जिन्हें ये अवॉर्ड मिला. इस अवार्ड की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को हुई थी. तब इसे अशोक चक्र क्लास 1 कहा जाता था. बाद में 1967 में इसे अशोक चक्र कहा जाने लगा. इसके अलावा कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र की भी शुरुआत हुई. इसे हरे रिबन के साथ पहना जाता है जिसमें एक केसरिया पट्टी बनी होती है.
कीर्ति चक्र

कीर्ति चक्र
इसे 1952 में अशोक चक्र क्लास 2 नाम दिया गया था. बाद में 1967 में इसे कीर्ति चक्र कर दिया गया. इसे भी हरे रिबन के साथ पहना जाता है लेकिन केसरिया पट्टी दो होती हैं. शौर्य और वीरता के लिए कीर्ति चक्र दिया जाता है. यह शांति काल में दिया जाने वाला वीरता पदक है. यह मरणोपरांत भी दिया जा सकता है.
शौर्य चक्र

शौर्य चक्र
कह सकते हैं कि कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र, अशोक चक्र के ही दो वर्ग हैं. यह शांति के समय वीरता के प्रदर्शन के लिए दिया जाने वाला पदक है. इसका मेडल कांसे से बना होता है, जिसे हरे रंग की तीन खड़ी लाइनों द्वारा बराबर भागों में विभाजित फीते के साथ दिया जाता है.
इसके अलावा वीरता दिखाने के लिए और भी कई अवॉर्ड दिए जाते हैं.
सेना मेडल: सेना मेडल व्यक्तिगत वीरता और ड्यूटी के दौरान साहसिक काम करने के लिए दिया जाता है. इसे 17 जून 1960 को शुरू किया गया था. 1 फरवरी, 1999 को केंद्र सरकार ने इसके लिए 250 रुपए महीने देना शुरू किया और फिर इसे 1000 रुपए कर दिया गया. इस मेडल से पहले वीर चक्र, शौर्य चक्र और युद्ध सेवा मेडल दिए जाते थे. सेना मेडल चांदी का होता है और इसके बीच में एक संगीन बनी होती है.सर्वोत्तम युद्ध सेवा मेडल: युद्ध,संघर्ष, और युद्धस्थिति के दौरान विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया जाता है. यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा सकता है. सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ प्रादेशिक सेना की टुकड़ियां अतिरिक्त सैन्य बल और रिजर्व बल या किसी भी सशस्त्र बल के सभी रैंकों के सैनिक व अधिकारियों को ये मेडल दिया जा सकता है.
जब युद्ध न चल रहा हो तब इसी तरह की सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल दिए जाते हैं. इन सबके अलावा दूसरे सर्विस और कैम्पेन मेडल में सामान्य सेवा मेडल, सियाचिन ग्लेशियर मेडल, संग्राम मेडल, सैन्य सेवा मेडल आते हैं. साथ सर्विस में बिताए गए दिनों के आधार पर भी मेडल दिए जाते हैं. जैसे लॉन्ग सर्विस मेडल, मेरिटोरियस सर्विस मेडल, लॉन्ग सर्विस एंड गुड कंडक्ट मेडल, 30 इयर लॉन्ग सर्विस मेडल, 20 इयर, 9 इयर सर्विस मेडल, टेरिटोरियल आर्मी डेकोरेशन, टेरिटोरियल आर्मी मेडल.
कितना मिलता है भत्ता?
वीरता के लिए सम्मानित होने वाले सैनिकों और उनके परिवार को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई सुविधाएं मिलती हैं. पेंशन, मेडिकल, ट्रैवल अलाउंस जैसी सुविधाएं शामिल हैं. सरकार की ओर से भत्ता भी मिलता है. मोदी सरकार ने 2017 में वीरता पुरस्कार पाने वालों का भत्ता बढ़ाया था.
परमवीर चक्र विजेताओं को पहले 10,000 रुपये भत्ता मिलता था जिसे बढ़ाकर 20,000 किया गया. वहीं अशोक चक्र जीतने वालों का भत्ता 6,000 से बढ़कर 12,000 किया गया था. महावीर चक्र विजेताओं का भत्ता 5,000 से बढ़कर 10,000 रुपये, कीर्ति चक्र विजेताओं का भत्ता 4,500 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये वहीं वीर चक्र विजेताओं को 3,500 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये किया था. इसी तरह शौर्य चक्र, मिलिट्री क्रॉस और अन्य विजेताओं के भत्ते को भी सरकार ने बढ़ाया था.
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