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खजुराहो 2.0: संगीत, संभोग, संग्राम और सिनेमा

खजुराहो में हुआ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, जो सिनेमा के लोकतंत्रीकरण का अद्भुत प्रयास है.

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खजुराहो फिल्म फेस्टीवल की बात काफी अलग ही थी. फोटो- दुष्यंत
Dushyant
ये लेख दुष्यंत ने खजुराहो से लौटकर लिखा है. दुष्यंत वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं. दिल्ली से लेकर मुंबई तक और बीकानेर से लेकर श्रीगंगानगर तक नाप चुके हैं. कभी पढ़ाई तो कभी शोध के लिए. इतिहास में पीएचडी हैं. पढ़ाया भी है. चार फिल्मों के लिए गाने भी लिखे हैं. यहां खजुराहो में हुए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का लेखा-जोखा लिख रहे हैं. पढ़िए.

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