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क्यों एक गैंगरेप झारखंड की आधी लोकसभा सीटों पर प्रभाव डाल सकता है?

और जिसकी वजह से पुलिस के सैकड़ों जवान जंगल-जंगल भटक रहे हैं.

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खूंटी में हुए एक गैंगरेप के बाद सरकार और पत्थलगड़ी समर्थक आमने-सामने आ गए हैं. इस टकराव में पुलिस के तीन जवान बंधक बने हैं, एक ग्रामीण की मौत हो चुकी है और खूंटी और उसके आस-पास सैकड़ों पुलिसवाले सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं.
झारखंड में अगले साल दिसंबर में जब विधानसभा के चुनाव होंगे, तो उससे पहले देश में लोकसभा के चुनाव हो चुके होंगे. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को बड़ी कामयाबी मिली थी. उसने झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं दो सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में गई थीं. अब जब पूरे देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां करीब-करीब शुरू हो चुकी हैं, झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. इन चुनावों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास पर है. क्योंकि रघुबर दास इकलौते ऐसे नेता हैं, जो अब तक सबसे लंबे समय के लिए इस कुर्सी पर बैठे हुए हैं.
रघुबर दास झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो इतने लंबे समय तक इस पद पर बरकरार हैं.
रघुबर दास झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो इतने लंबे समय तक इस पद पर बरकरार हैं.

झारखंड में कुल 24 जिले हैं, जिनमें से 13 जिलों में पत्थलगड़ी का प्रभाव माना जाता है. इनमें से भी चार जिले सबसे ज्यादा पत्थलगड़ी प्रभावित हैं. अगले साल दिसंबर में राज्य में विधानसभा के भी चुनाव हैं. ऐसे में रघुबर दास को एक साथ दो मोर्चों पर तैयारी करनी है. लेकिन पिछले दिनों खूंटी में हुए गैंगरेप के बाद सरकार और पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच जो विवाद शुरू हुआ है, उससे सरकार परेशानी में है. 13 जिलों के आदिवासी एक बड़ा वोट बैंक हैं, जो पत्थलगड़ी समर्थक हैं और उन्होंने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. खूंटी गैंगरेप में पत्थलगड़ी समर्थकों का नाम आने के बाद उनके पास सरकार की खिलाफत करने का एक बड़ा मौका भी मिल गया है, जिसका वो फायदा उठा रहे हैं. वहीं आगामी चुनाव के लिए सक्रिय झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस भी सीधे तौर पर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं.
कहां से शुरू हुआ पूरा मामला?
खूंटी जिले के कोचांग का एक गांव है बुरूडीह. यहां की पहाड़ियों पर स्कॉट मैन मिडिल स्कूल है. इस स्कूल में 800 से ज्यादा लड़के और लड़कियां पढ़ते हैं. 19 जून को इस स्कूल में नुक्कड़ नाटक करने आईं पांच लड़कियों को अगवा कर लिया गया था और जंगल में ले जाकर उनके साथ रेप किया गया था.
गांव से 10 किलोमीटर दूर इसी जंगल में पांंच नाबालिगों के साथ गैंगरेप हुआ था. (Photo : Prahatkhabar)
गांव से 10 किलोमीटर दूर इसी जंगल में पांंच नाबालिगों के साथ गैंगरेप हुआ था. (Photo : Prahatkhabar)

पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक 18 जून को खूंटी के पिस्टाकोली में आशा किरण नाम की संस्था के कुछ लोग नुक्कड़ नाटक करने पहुंचे थे. ये टीम मानव तस्करी के खिलाफ नुक्कड़ नाटक कर लोगों में जागरूकता फैलाती थी. नाटक के दौरान इस टीम की सिस्टर संगीता से एक शख्स मिला और उसने कहा कि वो कोचांग का मुखिया है. उसे उनका कार्यक्रम पसंद है और वो चाहता है कि कोचांग में भी ऐसा कार्यक्रम किया जाए. रंजीता ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन उस आदमी के कहने पर टीम कोचांग में नाटक करने के लिए तैयार हो गई. इसके बाद 19 जून को छह लोगों की टीम बनाकर तीन लड़के और तीन लड़कियों के साथ ही आशा किरण की दो लड़कियां और दो सिस्टर ड्राइवर के साथ गाड़ी से कोचांग पहुंच गए. वहां के बाजार में नुक्कड़ नाटक शुरू हो गया. इसी दौरान टीम के साथ गईं दोनों सिस्टर ने कहा कि वो लोग बगल के स्कूल के फादर से मिलकर आ रही हैं. कुछ देर बाद सिस्टर ने पूरी टीम को ही स्कूल में बुला लिया, जहां फिर से नुक्कड़ नाटक शुरू हो गया. इसी बीच दो लड़के आए और फादर से बात करने लगे. नाटक खत्म हुआ तो फादर ने टीम की लड़कियों से कहा कि ये लड़के उन लड़कियों को कुछ देर के लिए लेकर जाएंगे और फिर वापस पहुंचा देंगे. लड़कियों ने विरोध किया और सिस्टर के साथ जाने की जिद की, लेकिन हथियारों के बल पर लड़के उन लड़कियों को एक कार और एक एंबुलेंस से लेकर चले गए.
Jungle officer
पुलिस अपराधियों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है, जिसके बाद हालात और खराब हो गए. (Photo : Prabhatkhabar)

एक युवक कार के पीछे-पीछे बाइक से था. कार छोटाउली होते हुए एक सुनसान जगह पर पहुंची. एक खपरैलनुमा मकान में टीम के साथ गए संजय कुमार नाम के शख्स को उतार दिया गया. इसी दौरान एक ने कहा कि तुमलोग पत्थलगड़ी का विरोध करती हो, इसलिए तुम सबको ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि जीवन भर याद रहे. इसके बाद वो लोग लड़कियों को लेकर जंगल में चले गए. सुबह 11 बजे जंगल में गई लड़कियां शाम के छह बजे के करीब जंगल से बाहर निकलीं. उन्हें देखकर लग रहा था कि उनके साथ रेप हुआ है. लड़कियों के बाहर आने के बाद हथियारबंद लड़कों ने लड़कियों के साथ आए संजय के साथ मारपीट की, पेशाब पिलाया और कहा कि तुम लोग बाहरी हो, जो पत्थलगड़ी का विरोध करते हो. इसके बाद लड़कियों और संजय को हथियारबंदों ने फादर के पास छोड़ दिया. एक पीड़ित लड़की की ओर से खूंटी थाने में दर्ज करवाई गई एफआईआर के मुताबिक फादर की वजह से ही उन लड़कियों के साथ रेप हुआ था. लड़की ने बताया कि उनके साथ रेप के दौरान वीडियो भी बनाया गया. वो लोग आरोप लगाते रहे कि तुम सब लोग पुलिस के एजेंट हो. वारदात के बाद जब लड़कियां फादर के पास पहुंचीं, तो फादर ने इस घटना का जिक्र किसी से भी करने से मना कर दिया. फादर ने लड़कियों को धमकी दी कि किसी से कहने पर उनके मां-बाप की हत्या कर दी जाएगी. इसके बाद लड़कियों को वापस गाड़ी में बिठा दिया गया और सभी लोग अपने-अपने घरों को लौट गए.
फिर शुरू हुई पुलिस की जांच और विवाद हो गया

पुलिस ने पत्थलगड़ी समर्थकों को गिरफ्तार करने की कोशिश की, जिसके बाद विवाद और भी बड़ा हो गया. पूरा मुद्दा गैंगरेप से हटकर पत्थलगड़ी पर आकर टिक गया है.

19 जून की इस घटना के बारे में पुलिस को 20 जून की रात को जानकारी मिली. पुलिस किसी तरह से एक लड़की को बयान देने के लिए राजी कर पाई. पुलिस ने अपनी तफ्तीश में पाया कि इस गैंगरेप के पीछे पत्थलगड़ी समर्थक और पीएलएफआई के उग्रवादी हैं. पुलिस के मुताबिक वारदात से पहले पत्थलगड़ी का प्रमुख नेता जॉन जोनास तिडू जंगल में बैठे पीएलएफआई उग्रवादियों के पास गया था और उनसे कहा था कि नुक्कड़ नाटक करने आए लोग पुलिस और प्रशासन के जासूस हैं. ये सब लोग पत्थलगड़ी के विरोधी हैं, इसलिए इनका अपहरण कर लो और सबक सिखाओ. इस गैंगरेप के मामले में पुलिस ने कुल छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया. पुलिस ने कोचांग मिशन के फादर अल्फोंस आइंद के साथ ही पत्थलगड़ी समर्थक अजूब सांडी पूर्ति और आशीष लोगों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने दावा किया कि इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड जॉन जोनास तिडू है. उसके साथ जुनास मूंडू, पीएलएफआई का एरिया कमांडर बाजी समद उर्फ टकला और उग्रवादी नोएल सांडी भी था. पुलिस ने टकला पर 50 हजार रुपये के इनाम की भी घोषणा कर दी. एडीजी आरके मल्लिक ने दावा किया कि वारदात के दिन जॉन जोनास तिडू कोचांग के आरसी मिशन स्कूल में पहुंचा था. नुक्कड़ नाटक देखकर उसने पीएलएफआई उग्रवादियों को भी मौके पर बुला लिया और सबलोगों ने मिलकर लड़कियों का अपहरण किया, उनसे गैंगरेप किया और फिर वापस स्कूल में छोड़ गए. पुलिस का दावा है कि जॉन जोनास तिडू दो सिस्टर्स को भी अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन फादर ने बताया कि दोनों ही नन हैं, जिसके बाद जॉन जोनास तिडू ने उनको छोड़ दिया.
क्या कहते हैं पत्थलगड़ी समर्थक
जॉन जोनास तिडू को पुलिस गैंगरेप का मास्टरमाइंड बता रही है.
जॉन जोनास तिडू को पुलिस गैंगरेप का मास्टरमाइंड बता रही है.

पत्थलगड़ी आदिवासियों की एक पुरानी परंपरा है. पिछले कई सालों से झारखंड में सरकारी तौर पर इसका विरोध बढ़ा है, लेकिन पिछले दो साल से सरकार और पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच विवाद हिंसक हो गया है. कई बार पत्थलगड़ी समर्थकों ने सेना और पुलिस के जवानों को बंधक बनाया है, तो कई बार पत्थलगड़ी समर्थक सेना और पुलिस के निशाने पर आए हैं. ऐसे में अड़की में पांच लड़कियों के साथ हुए गैंगरेप में जब पत्थलगड़ी समर्थक नेता जॉन जोनास तिडू का नाम आया, तो उसने सिरे से इस बात को खारिज़ कर दिया. 24 जून को जॉन जोनास तिडू ने खूंटी में एक जनसभा का आयोजन किया और करीब दो हजार लोगों की मौजूदगी में खुद को बेगुनाह बताया. जॉन जोनास तिडू ने कहा कि इस गैंगरेप के लिए झारखंड की पुलिस जिम्मेदार है और वो पत्थलगड़ी को बदनाम करने के लिए ऐसे आरोप लगा रही है. जॉन ने कहा कि पहले पुलिस ने अफीम की खेती के नाम पर पत्थलगड़ी को बदनाम किया, फिर हथियारों के नाम पर बदनाम किया और जब इन वजहों से भी पुलिस पत्थगड़ी का विरोध नहीं कर पाई तो उसने गैंगरेप जैसा आरोप लगा दिया. जॉन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वो और उसकी पूरी टीम गैंगरेप करने वालों की तलाश कर रही है. जैसे ही गैंगरेप करने वाले मिलेंगे, वो खुद उन्हें फांसी पर लटका देगा.
जॉन जोनास तिडू की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाती रही पुलिस

पुलिस ने जॉन जोनास तिडू को गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो पत्थलगड़ी समर्थकों ने विरोध कर दिया.

खूंटी गैंगरेप ने नेशनल मीडिया की सुर्खियां बटोरीं, जिसके बाद पुलिस पर इस गैंगरेप के आरोपियों की गिरफ्तारी का दवाब बढ़ता ही गया. कई जगह सर्च ऑपरेशन के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिली. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि 26 जून को खूंटी से छह किलोमीटर दूर घाघरा में पत्थलगड़ी का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम में करीब दो हजार लोग शामिल हैं. और इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जॉन जोनास तिडू और जोसेफ पूर्ति भी आने वाले हैं, जो खूंटी गैंगरेप के मुख्य आरोपी हैं. जानकारी मिलने के बाद पुलिस की एक टीम घाघरा पहुंची. पुलिस के मुताबिक वहां पत्थलगड़ी में मौजूद लोगों ने पुलिस का विरोध किया और उनके जवानों को अगवा करने की कोशिश की. किसी भी टकराव से बचने के लिए पुलिस की टीम पीछे हटती गई, लेकिन पत्थलगड़ी समर्थक उग्र हो गए थे. खुद का किसी तरह से बचाव होता न देख पुलिस ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर लाठी चार्ज कर दिया. वहीं पत्थलगड़ी समर्थकों ने भी पुलिसवालों पर पथराव कर दिया. पुलिस और पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच हुई इस मारपीट में करीब 10 पत्थलगड़ी समर्थक घायल हो गए, जिनमें से एक गंभीर रूप से घायल हो गया. इसके बाद पत्थलगड़ी समर्थकों की भीड़ तितर-बितर हो गई और फिर पुलिस खाली हाथ वापस खूंटी मुख्यालय लौट आई.
झारखंड में खूंटी के घाघरा में पत्थलगड़ी करने वालों पर पुलिस का तांडव.... आखिर BJP सरकार गाँव के लोगों के साथ वार्ता क्यों नहीं करना चाहती है ? BJP सरकार शांतिपूर्ण प्रशासन की जगह, खून - खराबा का प्रशासन बनाना चाहती है सिर्फ और सिर्फ, आदिवासी की खूठकट्टी जमीन जहाँ सोना का खान है... उसे लेने के लिये! इस युद्ध में सरना और ईसाई धर्म के आदिवासी दोनों हताहत होंगे... This is defunct administration!
Posted by Pradeep Hemrom
on Tuesday, 26 June 2018
फिर पुलिस से बदला लेने के लिए किया सांसद के घर पर हमला

पत्थलगड़ी समर्थकों और पुलिसवालों के बीच हुए टकराव में पहली बार पुलिस भारी पड़ गई. बाद में पत्थलगड़ी समर्थकों ने सांसद कड़िया मुंडा के तीन गार्डों का अपहरण कर लिया.

पुलिस फोर्स की लाठियों से घायल हुए पत्थलगड़ी समर्थक उस वक्त तो तितर-बितर हो गए, लेकिन शाम होते-होते वो एक बार फिर से इकट्ठा हो गए. इस बार उनका जमावड़ा खूंटी शहर में हुआ. करीब 300 की संख्या में शहर में जुटे पत्थलगड़ी समर्थक बीजेपी सांसद कडिया मुंडा के घर पहुंचे. वहां सांसद नहीं थे और घर की रखवाली में एक गार्ड और चार पुलिसवाले तैनात थे. भीड़ ने पुलिसवालों को देखा तो कहा कि ये भी तो पुलिसवाले ही हैं, इन्हें ही ले चलो. इसके बाद पत्थलगड़ी समर्थकों की भीड़ ने मुंडा के घर की सुरक्षा में तैनात तीन पुलिसवालों सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सियोन सुरीन को बंधक बना लिया और उनकी इंसास राइफल छीन ली. वहीं सुरक्षा में तैनात चौथा पुलिसकर्मी वहां से भाग गया और छिपकर अपनी जान बचाई. इसके बाद पत्थलगड़ी समर्थकों ने सांसद के घर में उत्पात मचाया. तोड़-फोड़ की और तीनों पुलिसवालों को लेकर घाघरा की ओर चले गए.
खूंटी में जारी है संघर्ष #पत्थलगड़ी
Posted by Anand Dutta
on Tuesday, 26 June 2018
इसके बाद बीजेपी सांसद कडिया मुंडा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि उनके घर तैनात जवानों को अगवा करने वाले पत्थलगड़ी समर्थक हैं. वो किसी की तलाश में यहां आए थे. उनका मकसद पुलिस प्रशासन को लाचार कर अपनी पत्थलगड़ी परंपरा को कायम करना है. अब भी पत्थलगड़ी समर्थकों के कब्जे में ही हैं तीनों पुलिसवाले


26 जून की शाम को अगवा किए गए तीनों ही पुलिसवाले अब भी पत्थलगड़ी समर्थकों के कब्जे में हैं. पत्थलगड़ी समर्थकों ने उनकी रिहाई के लिए शर्त रखी थी कि खूंटी के डीसी और एसपी समेत सिर्फ पांच लोग उनसे आकर मिलें, बात करें और अपने जवानों को छुड़ाकर ले जाएं. पुलिस को डर था कि अगर सिर्फ पांच लोग ही जाएंगे, तो पत्थलगड़ी समर्थक उनको भी बंधक बना लेंगे. इससे बचने के लिए प्रशासन 27 जून की सुबह पूरी तैयारी के साथ घाघरा पहुंचा और जवानों की रिहाई की अपील की.
Khunti - Police started search operation in ghagra village to rescue 3 abducted arm guard of mp kariya munda ...Panic situation around the area
Posted by Rajesh Tomar
on Tuesday, 26 June 2018
पुलिस की अपील का पत्थलगड़ी समर्थकों पर कोई असर नहीं पड़ा. इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. इसका विरोध करते हुए पत्थलगड़ी समर्थकों ने पारंपरिक हथियारों तीर-धनुष, पत्थर और लाठी-डंडों से पुलिस टीम पर हमला कर दिया. पुलिस ने बचाव के लिए पहले तो लाठीचार्ज किया और जब इससे भी बात नहीं बनी तो पुलिस ने फायरिंग कर दी. इस फायरिंग में एक गांववाले की मौत हो गई. पुलिस ने 200 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर खूंटी की जेल में भेज दिया और उनकी कई गाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद पुलिस ने घाघरा के घर-घर जाकर तलाशी ली, लेकिन उन्हें उनके जवान किसी भी घर में नहीं मिले. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता और अपर पुलिस महानिदेशक आरके मलिक ने कहा-
'अभी तक सिपाहियों का पता नहीं चल पाया है. घाघरा में पुलिस लोगों को समझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कामयाबी नहीं मिली है. लेकिन पत्थलगड़ी की आड़ में किसी को भी गुंडागर्दी करने की छूट नहीं दी जाएगी और यहां कानून का राज कायम किया जाएगा.'
यूसुफ पूर्ति के घर भी छापेमारी का हुआ था विरोध

यूसुफ पूर्ति के खिलाफ अलग-अलग थानों में 12 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं.

पुलिस गैंगरेप के एक और आरोपी यूसुफ पूर्ति की गिरफ्तारी के लिए भी 27 जून की सुबह उसके गांव उदीबुरू पहुंची थी. सुबह तीन बजे ही 200 पुलिसवालों ने छापा मारा, लेकिन यूसुफ पूर्ति घर में नहीं मिला. इसके बाद यूसुफ की सुरक्षा में तैनात पत्थलगड़ी समर्थकों ने पुलिस पर तीर- धनुष से हमला कर दिया, जिसमें एक पुलिसवाले को चोट लग गई. इसके बाद पुलिसवाले भड़क गए और उन्होंने लाठीचार्ज कर दिया. पुलिस ने युसूफ के घर से बैंकों के पासबुक समेत कई और चीजें बरामद की हैं. इसके अलावा यूसुफ अलग से ग्रामसभा का बैंक बनाना चाहता था. उसने नींव भी रख दी थी, जिसे पुलिस ने तोड़ दिया. पुलिस के मुताबिक अकेले यूसुफ पर पत्थलगड़ी से जुड़े 12 केस दर्ज हैं और कोर्ट भी कई मामलों में गिरफ्तारी वॉरंट जारी कर चुकी है.
अभी क्या हालात हैं?

खूंटी और आस-पास के इलाकों में पुलिस के साथ ही आरएएफ के जवान कॉम्बिंग कर रहे हैं.

फिलहाल डीसी और खूंटी एसपी के साथ ही पुलिस के 300 जवान घाघरा और उसके आस-पास के इलाकों में डेरा डाले हुए हैं. वहीं 27 जून की सुबह से ही आरएएफ की कई टुकड़ियां जंगलों की खाक छान रही हैं. इसके अलावा पूरे खूंटी इलाके में पुलिस के लिए कुल 12 लोग सिरदर्द हैं, जिनको पकड़ने के लिए पुलिस की नौ टीमें लगी हुई हैं. इन 12 लोगों में जोसफ पूर्ति, जॉन जुनास तिड़ू, बलराम समद, शांतिमय हेम्ब्रम, आनंदमसीह मुंडू, जीदन हेरेंज, ठकुरा मुंडा, जोटो मुंडा, बिरसा आड़ेया, पौलुस टुटी, सुखराम मुंडा और दयाल कंडेर हैं. इनको पकड़ने के लिए दीपक कुमार शर्मा, शंभू सिंह, मुकेश कुमार बालनदेव रोशन गुडिया नाम के चार डीएसपी की अगुवाई में टीमें बनी हैं. पांच टीमें कुरूंगा के आसपास और चार टीमें कोचांग और इसके आसपास छापेमारी कर रही हैं.


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