1988 में शुरू हुआ बीआर चोपड़ा वाला महाभारत 1990 तक चला. श्रीकृष्णा 1993 में शुरू होकर 1996 तक चला. इतने कम समय में इन धारावाहिकों ने देश की जनता का दिमाग अपने कब्जे में ले लिया. कम समय इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आजकल टीवी सीरियल 7-8 साल चल जाते हैं, तो वेब सीरीज के हर साल नए सीजन आते हैं. मगर याददाश्त से जिस तरह वो 2-3 साल चले सीरियल चिपके, उतना कोई नहीं टिक पाता. इसकी सबसे बड़ी वजह है लोगों का कृष्ण पर विश्वास और उस जमाने में मनोरंजन के लिए सिर्फ टीवी का होना. वो ज़माना गुजरे हुए कई साल हो गए. स्क्रीन के कृष्ण को असली मानने वाले बड़े हो गए. और वो कृष्ण भी अपना मेकअप उतारकर नए कामों में लग गए. वो मोहक मुस्कान वाले बचपने वाले कृष्ण जवान हो गए और युवा कृष्ण बुजुर्ग हो गए. आजकल ये लोग कहां हैं और क्या कर रहे हैं, उसकी सारी खोज खबर हमने ली.
नीतीश भरद्वाज

बॉम्बे वेटेरिनरी कॉलेज से जानवरों के डॉक्टर की डिग्री लेने वाले नीतीश कुमार ने डाक्टरी की पटरी छोड़कर मराठी थिएटर का रास्ता पकड़ लिया था. बीआर चोपड़ा की महाभारत शुरू हुई तो प्रोड्यूसर्स ने किसी और को कृष्ण के रोल के लिए चुन लिया था. लेकिन लेखक राही मासूम रजा, कॉन्सेप्चुअल एडवाइजर पंडित नरेंद्र शर्मा और रवि चोपड़ा को वो जमा नहीं. तो नरेंद्र शर्मा के दिमाग में नीतीश भरद्वाज का नाम आया. उन्होंने नीतीश को अपने घर बुलाया. कहा कि जो भी कृष्ण के बारे में जानते हो वो बताओ. बताते बताते तीन घंटे बीत गए. नरेंद्र शर्मा को यकीन हो गया कि इस आदमी को काफी मालूम है. तो कहा कि अब ये रोल तुम कर जाओ. इस तरह नीतीश को कृष्ण का रोल मिला, भारत के सबसे बड़े महाकाव्य पर बनने वाले शो महाभारत में. सीरियल शुरू हो चुका था और देश भर में लोगों के मनोरंजन और आस्था का केंद्र बन गया था. ऐसे ही एक दिन की कहानी नीतीश बताते हैं कि जयपुर में कुरुक्षेत्र बना हुआ था. यानी कुरुक्षेत्र का सेट जयपुर में लगा हुआ था. कौरवों पांडवों में धुंआधार लड़ाई चल रही थी. उस दिन कृष्ण का यानी नीतीश का कोई सीक्वेंस शूट शेड्यूल नहीं था. तो वो अपने बेस कैंप पर आराम फरमा रहे थे. तभी कैमरा पर्सन धर्म चोपड़ा आए और उनको गाड़ी में बिठाकर ले गए. कहा कि गांव वाले घेरकर खड़े हैं कि जब तक हमको श्रीकृष्ण के दर्शन नहीं कराओगे, शूटिंग शुरू नहीं होने देंगे.
महाभारत के बाद नीतीश कृष्ण हो गए और बहुत सारे काम किए. 1996 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की और जमशेदपुर से इंदर सिंह नामधारी को हराकर सांसद बने. फिर अपनी मर्जी से राजनीति से संन्यास ले लिया. थिएटर किया. गीता और रामायण नाम के दो रेडियो शो किए. लास्ट टाइम ऋतिक रोशन के चाचा बने थे, मोहन जो दारो फिल्म में. आजकल केदारनाथ की शूटिंग में व्यस्त हैं और हमने जब उनसे बात की तो जयपुर थे.
स्वप्निल जोशी

स्वप्निल जोशी रामानंद सागर कृत श्रीकृष्णा में, संदीपनि आश्रम में
स्वप्निल 15 साल के थे जब पहली बार रामानंद सागर के सामने 'लाइट कैमरा एक्शन' फ़ेस किया. रामानंद सागर रामायण का नेक्स्ट लेवल उत्तर रामायण बना रहे थे. उसमें राम के पुत्र कुश का रोल स्वप्निल ने किया. ये साल 1993 की बात है. इसी साल सागर ने श्रीकृष्णा भी शुरू किया. इसमें किशोर कृष्ण का रोल स्वप्निल जोशी ने किया. कोमल टाइप के दिखने वाले स्वप्निल ने जब मोटे से कंस को पटककर मारा तो देखने वालों को एकदम से मजा ही आ गया. स्वप्निल जोशी गुलामे मुस्तफा, दिव विल प्यार व्यार जैसी कुछ फिल्मों में काम किया है लेकिन सीरियल बहुत सारे किए हैं.

कृष्ण के रूप में ऑडियन्स को भाव विभोर करने वाले स्वप्निल 2007 में हंसाने के धंधे में उतर गए. कॉमेडियन वीआईपी के साथ कॉमेडी सर्कस में जोड़ी बनाई. फिर इतने सारे कॉमेडी शोज़ में काम किया कि कृष्ण वाला सीन धुंधलाने लगा. कॉमेडी सर्कस के आठवें सीजन में वो और वीआईपी विनर रहे. 2016 में कोन होइल मराठी करोड़पति नाम का शो होस्ट किया. 2017 में मशहूर कोरियोग्राफर गणेश आचार्य ने भिकारी नाम की मराठी एक्शन फिल्म डायरेक्ट की, इसमें स्वप्निल ने सम्राट जयकर का रोल किया था.
सर्वदमन बनर्जी

तीसरे यादगार कृष्ण रामानंद सागर वाली श्रीकृष्णा के सर्वदमन डी बनर्जी. श्रीकृष्णा सीरियल के अलावा सर्वदमन ने कुछ और आध्यात्मिक टाइप के प्रोजेक्ट्स में काम किया था जैसे आदि शंकराचार्य, दत्तात्रेय और स्वामी विवेकानंद. शंकराचार्य को 1983 का बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला था. लास्ट टाइम सर्वदमन एमएस धोनी फिल्म में दिखे थे धोनी के कोच चंचल भट्टाचार्य के रोल में. लेकिन कृष्ण का इतना शानदार रोल करने वाले सर्वदमन इस ग्लैमर इंडस्ट्री से बाहर रहते हैं. आजकल ऋषिकेष में हैं. नदियों और पहाड़ों के बीच स्वर्गनुमा माहौल में अपना एक मेडीटेशन सेंटर चलाते हैं, देश विदेश से आने वाले लोग उनके यहां योग और मेडीटेशन के फायदे उठाते हैं. इसके अलावा पंख नाम का एक NGO है जिसको वो संभाले हुए हैं. इसके जरिए वो तकरीबन 200 बच्चों की पढ़ाई लिखाई का ध्यान रखते हैं और 50 महिलाओं को ढंग की जिंदगी बिताने लायक बनाने के लिए काम की ट्रेनिंग दिलाते हैं.

उनके मन में ग्लैमर वाली दुनिया छोड़कर ऐसी शांत सी जगह पर बसने और काम करने का खयाल कैसे और कब आया, इसकी कहानी भी दिलचस्प है. वो बताते हैं कि ग्लैमर वाली दुनिया में ग्लैमर है ही नहीं, वो तो देखने वालों के लिए है. उसमें काम करने वालों के लिए कोई ग्लैमर नहीं, हमाई आंखें खराब हो गईं कृष्णा की शूटिंग में तेज रोशनी में काम करते हुए. कहते हैं कि उनके अंदर आध्यात्मिक एनर्जी बचपन से ही जोर मार रही थी. पांच साल के थे तो बोलते नहीं थे, लोग सोचते थे कि लड़का गूंगा है. फिर पढ़ाई लिखाई करके एक्टिंग में आए और ये श्री कृष्णा वाला प्रोजेक्ट चल रहा था तभी उनका मन इस सबसे हट गया. रामानंद सागर से हाथ जोड़ लिए कि दद्दा अब हमको माफ करो, ये हमारा लास्ट प्रोजेक्ट है इसके बाद जय श्री कृष्ण.
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