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वो खिलाड़ी जिसे टूर्नामेंट के बीच से बुलाकर बेस्ट फुटबॉलर का अवॉर्ड दिया गया था

आज के दिन बड्डे होता है इनका.

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Indian Football के दिग्गज Sunil Chettri
हमारे देश में क्रिकेट के अलावा भी ढेरों खेल हैं. हालांकि उनके कोई भगवान तो नहीं हैं लेकिन सुपरस्टार जरूर हैं. ऐसा ही एक एक खेल है फुटबॉल. बाकी दुनिया में तो इसकी जबरदस्त फॉलोविंग है, लेकिन इंडिया में उतनी नहीं है. अब शायद धीरे धीरे बढ़ रही है. इस खेल का एक महान खिलाड़ी इंडिया से भी है. सुनील छेत्री नाम है. जिसके नाम भारत के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने के साथ सबसे ज्यादा गोल करने का भी रिकॉर्ड है.
छेत्री भारत के पहले फुटबॉलर हैं जिन्होंने मेज़र सॉकर लीग (MLS) में हिस्सा लिया. 3 अगस्त, 1984 को हैदराबाद के सिकंदराबाद में पैदा हुए सुनील का पूरा परिवार ही फुटबाल खेलता है. उनके पापा केबी छेत्री आर्मी के लिए खेले, उनकी मां और जुड़वा बहनें नेपाल की राष्ट्रीय महिला टीम के लिए खेल चुकी हैं. सुनील ने भी छोटी उम्र में ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था. फिलहाल सुनील भारत की राष्ट्रीय टीम के कप्तान हैं और साथ ही इंडियन सुपर लीग (ISL) टीम बेंगलुरु फुटबॉल क्लब के लिए भी खेलते हैं.
बेंगलुरु एफ सी की जर्सी में सुनील छेत्री.(फ़ोटो:फुटबॉल फैशन)
बेंगलुरु एफ सी की जर्सी में सुनील छेत्री.(फ़ोटो:फुटबॉल फैशन)

 
दिल्ली से निकले आखिरी फुटबॉल सुपरस्टार
सुनील ने अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत दिल्ली सॉकर लीग से की थी. दिल्ली की इस लीग में वो सिटी FC नाम की टीम से खेलते थे. देखने वाले बताते हैं कि उस दौर में ये टूर्नामेंट भारी डिमांड में रहता था. देखने वालों की गज़ब भीड़ आती थी. सालों पुरानी इस लीग की अब वो डिमांड नहीं रही है. सुनील के बाद इस टूर्नामेंट से रॉबिन सिंह निकले थे जिनका करियर कुछ खास नहीं चल रहा.
देसी फुटबॉल लीग से चमके थे
सुनील छेत्री राष्ट्रीय टीम में आने से पहले नेशनल फुटबॉल लीग में खेलते थे. नेशनल लीग में सुनील का आग़ाज़ मोहन बगान टीम के साथ हुआ. 2002 से 2005 तक मोहन बगान के लिए खेलने वाले सुनील ने 3 सीजन में 8 गोल दागे. 2005 में सुनील JCT (जगतजीत कॉटन एंड टेक्सटाइल एफसी) फुटबॉल क्लब से जुड़ गए. इस क्लब के साथ उनका सफ़र ज्यादा लंबा तो नहीं पर यादगार रहा. इस क्लब के साथ पहले सीजन में तो सुनील ने मात्र 3 गोल किये लेकिन 2006 में 7 गोल दागकर पिछले सीजन का भी हिसाब बराबर कर दिया.
अब बारी थी संतोष ट्रॉफी की, जो भारत की सबसे बड़ी डोमेस्टिक लीग थी जिसमें तमाम राज्यों के साथ कई सरकारी संस्थान भी खेलते हैं. संतोष ट्रॉफी में दिल्ली के लिए खेलते हुए छेत्री ने दो हैट्रिक दागी. लेकिन इनके इतने शानदार प्रदर्शन के बावजूद दिल्ली प्री-क्वार्टर फाइनल में तमिलनाडु से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई.
एक मैच के दौरान सुनील. (फ़ोटो:गोल)
एक मैच के दौरान सुनील. (फ़ोटो:गोल)

लेकिन I-league के पहले ही सीजन में जेसीटी की ओर से खेलते हुए छेत्री नें सात गोल दागे. उनके इस धांसू प्रदर्शन की बदौलत ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ने बीच टूर्नामेंट से बुलाकर उन्हें सर्वश्रेष्ठ भारतीय फुटबॉलर के अवॉर्ड से सम्मानित किया. सुनील को 2007, 2011, 2013 और 2014 में भी AIFF द्वारा इसी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
MLS में खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी
30 नवम्बर 2007 को हिन्दुस्तान टाइम्स के हवाले से खबर आई कि सुनील इंग्लैंड के क्वीन्स पार्क रेंजर्स (QPR) के साथ 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट करने जा रहे हैं. लेकिन इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने इजाजत नहीं दी क्योंकि उस वक़्त भारत टॉप- 70 टीमों में शामिल नहीं था.
इसके बाद भी सुनील पॉजिटिव बने रहे और अपनी तैयारी में लगे रहे. आखिर वो दिन भी आ ही गया जिसका सुनील के साथ सभी देशवासियों को बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था. मार्च 2010 में सुनील मेज़र सॉकर लीग (MLS) टीम कंसास सिटी विज़ार्ड से जुड़ गए. साउथ एशिया से बाहर किसी भी टूर्नामेंट में खेलने वाले तीसरे भारतीय थे सुनील. उनसे पहले ये कारनामा मोहम्मद सलीम और बाइचुंग भूटिया ने किया था.
कंसास सिटी के लिए खेलते हुए सुनील.(फ़ोटो: स्पोर्ट्सकीड़ा)
कंसास सिटी के लिए खेलते हुए सुनील.(फ़ोटो: स्पोर्ट्सकीड़ा)

सुनील ने अपना पहला प्रोफेशनल मैच Lamar Hunt U.S. Open Cup में Colorado Rapids टीम के खिलाफ खेला था. हालांकि इस मैच में कंसास की टीम को हार का सामना करना पड़ा था. सुनील को भी हाफ टाइम तक सबस्टिट्यूट कर दिया गया था.
उसके बाद छेत्री साल 2012 में पुर्तगाल के स्पोर्टिंग क्लब की रिज़र्व टीम से भी जुड़े. यहां उन्होंने अपना डेब्यू Segunda Liga यानि सेकेंड डिविजन में खेलते हुए किया था.
अंतर्राष्ट्रीय करियर
छेत्री ने अपना अंतर्राष्ट्रीय करियर 2007 में नेहरू कप से शुरू किया था. कम्बोडिया के खिलाफ अपने पहले ही मैच में छेत्री ने दो गोल मारे जिसकी बदौलत इंडिया ने वो मैच 6-0 से जीता था. उसी साल हुए फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप क्वालीफ़ायर में भारत को पहले ही दौर से बाहर होना पड़ा, लेकिन उन दोनों मैच में भी छेत्री ने दो गोल मारे थे. 2008 में हुए एएफसी कप (AFC Cup) में खेले सभी मैचों को मिलाकर छेत्री ने कुल 4 गोल मारे.
इस टूर्नामेंट के फाइनल में तजीकिस्तान के खिलाफ छेत्री ने हैट्रिक मारकर भारत को जीत दिलाई थी. इस जीत के बाद ही भारत 24 साल के बाद 2011 एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई कर पाया. 11 दिसम्बर 2011 को सैफ कप (SAFF Cup) के फाइनल में गोल दागने के साथ ही उन्होंने इस टूर्नामेंट के एक सीजन में सबसे ज्यादा गोल मारने का आईएम विजयन का रिकॉर्ड तोड़ दिया. विजयन ने 1997 के सैफ टूर्नामेंट में 6 गोल मारे थे.
एशिया कप  क्वालीफ़ायर में किर्गिस्तान के खिलाफ मारा गया उनका ये गोल देखने लायक है: 
सुनील छेत्री अभी भारत के सबसे सफल फुटबॉल खिलाड़ी हैं. वो भारतीय फुटबॉल को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और बेशक वो इसकी काबिलियत भी रखते हैं. लेकिन वो कहावत है न कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता. बेचारे छेत्री कब तक अकेले ये सब करते रहेंगे, एक समय ऐसा आएगा ही जब उन्हें भी इस खेल को अलविदा कहना पड़ेगा. भारत तब किसे ढूंढेगा जो फुटबॉल में हमारे देश को आगे लेकर जाएगा. अब छेत्री की उम्र भी 36 की हो चली है . तो हमें छेत्री के बाद के विकल्प ढूंढने शुरू कर देने चाहिए. भारत के हित में यही है. और हमें उम्मीद है कि हमारे सबसे चहेते और बड़े फुटबॉलर भी यही चाहते होंगे.



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