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दूसरे देश जितने तेज कंप्यूटर हम क्यों नहीं बना पाते?

भारत के सुपर कंप्यूटर परम सिद्धि को टॉप-500 में 63वां स्थान मिला है

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प्रत्यूष और परम शिवाय. भारत के अच्छे सुपर कंप्यूटर्स में से एक हैं. (फोटो- Social Media/India Today)
भारत में बना एक सुपर कंप्यूटर है- परम सिद्धि. इसे नेशनल सुपर कंप्यूटर मिशन (NSM) के तहत तैयार किया गया है. इस मिशन का मिशन है देश में अच्छे-अच्छे और ढेर सारे सुपर कंप्यूटर तैयार करना. इसी परम सिद्धि को अब दुनियाभर के सबसे जाबड़ 500 सुपर कंप्यूटरों की लिस्ट में बिल्ला नंबर-63 मिला है. ये अच्छी बात है कि हमारे देश के कंप्यूटर ग्लोबल रैंकिंग में जगह बना रहे हैं. लेकिन असली ‘गर्व’ करने का समय अभी नहीं आया है. आइए, आपको ले चलते हैं सुपर कंप्यूटर की इसी दुनिया में. हम देश में सुपर कंप्यूटर की बात करते हैं तो हमारा हाल फुटबॉल रैंकिंग जैसा होने लगता है. फुटबॉल में टॉप-100 में आने पर भी हम ‘गौरवान्वित’ हो जाते हैं. माने ‘मैच हारे, लेकिन दिल जीते’ वाला हाल. यही स्थिति हो जाती है जब हम एक ग्लोबल रैंकिंग में 63वें नंबर पर आने पर भी गर्व कर लेते हैं. हमें देखना ये चाहिए कि भारत सुपर कंप्यूटर की रेस में कहां खड़ा है? हमारे यहां सुपर कंप्यूटर, अच्छे कंप्यूटर बनाने काम कैसा चल रहा है? यहां से आगे कैसे बढ़ना है? अमेरिका, चीन जैसे बाकी देश कहां खड़े हैं?

सुपर कंप्यूटर की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

देश में एक्सेल शीट और पीपीटी बनाने से भी बड़े-बड़े काम होते हैं. उसके लिए सुपर कंप्यूटर की जरूरत पड़ती है. 2015 में ये ज़िम्मेदारी सौंपी गई नेशनल सुपर कंप्यूटर मिशन को. NSM का टारगेट है एक ऐसा नेटवर्क तैयार करना, जिसमें 70 हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम हों. NSM के तहत बनने वाले ये सिस्टम देश के प्रीमियम एजुकेशन ऑर्गनाइजेशन में लगाए जाएंगे. जैसे कि- IIT, NIT, IISER वगैरह. भारत को 2019 में परम शिवाय मिला था. परम शिवाय यानी भारत को NSM के तहत मिला पहला सुपर कंप्यूटर. फरवरी-2019 में इसे IIT-BHU में इंस्टॉल किया गया था. कीमत थी करीब 32.5 करोड़ रुपए.

टारगेट से बहुत पीछे

NSM के तहत काम शुरू हुए पांच साल बीत चुके हैं. जो 70 कंप्यूटर बनाने का टारगेट है, उनमें से 11 तो इस साल यानी कि 2020 तक तैयार किए जाने थे. अभी इनमें से तैयार कितने हुए हैं- तीन. परम सिद्धि को मिलाकर. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी ने (MeitY) और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी (DST) ने NSM का जिम्मा संभाल रखा है. सारे काम में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ अडवांस कंप्यूटिंग-पुणे (C-DAC) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) को नोडल सेंटर बनाया गया है.

बजट का सिर्फ 17% मिला

किसी भी काम को करने की सर्वोच्च आवश्यकताओं में से एक होती है- पइसा. NSM प्रोजेक्ट के लिए कुल बजट पास हुआ था- 4500 करोड़ रुपए. C-DAC और IISc को मिला कितना? 750 करोड़ रुपए ओन्ली. यानी जितना पैसा पास हुआ था, उसका सिर्फ 16.67 फीसदी. ये जानकारी मार्च में लगी एक आरटीआई से मिली थी. पूरा प्रोजेक्ट सात साल का है. पांच साल पूरे होने को आ रहे हैं. 2022 में प्रोजेक्ट की डेडलाइन है. और अब तक कितना काम हो चुका है, वो तो ऊपर बता ही चुके हैं.

सुपर कंप्यूटर का पूरा सिस्टम

सुपर कंप्यूटर मतलब दुनिया का सबसे तेज, सबसे धांसू कंप्यूटर. माने हमारे-आपके घर में जो कंप्यूटर होते हैं, उसकी कैपेसिटी को कई-कई गुना बढ़ा दें, तो बनता है एक सुपर कंप्यूटर. सुपर कंप्यूटर और आपके घर के कंप्यूटर में क्या अंतर होता है? ये यहां पढ़ सकते हैं. सुपर कंप्यूटर की इतनी रंगबाजी रहती है भौकाली माइक्रोप्रोसेसर की वजह से. माइक्रोप्रोसेसर होता है कंप्यूटर का दिमाग. जितना ज़्यादा दिमाग, उतनी झमाझम कैलकुलेशन. उतनी बढ़िया स्पीड. अब सोचिए कि एक सुपर कंप्यूटर में हज़ारों की गिनती में माइक्रोप्रोसेसर लगे होते हैं. इसी वजह से उसकी स्पीड 200 पेटाफ्लॉप्स तक होती है. फ्लॉप्स माने वो बॉक्स-ऑफिस वाला हिट-फ्लॉप नहीं. समझ लीजिए कि जितने ज़्यादा फ्लॉप्स, उतनी फास्ट सुपर-कंप्यूटर की स्पीड. और 200 पेटाफ्लॉप्स का मतलब है ‘दस हज़ार खरब’ कैलकुलेशन एक सेकंड में कर सकने की क्षमता.

बाकी देश और हमारी तुलना

सुपर कंप्यूटर के मामले में हम दुनिया के बाकी देशों की तुलना में कहां खड़े हैं? वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम (WEF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 500 बेस्ट सुपर कंप्यूटरों में सबसे ज़्यादा 219 चीन के पास हैं. दूसरे नंबर पर 116 सुपर कंप्यूटर के साथ अमेरिका है. अब आप पूछेंगे कि भारत के पास कितने हैं? हाई-परफॉर्मिंग सुपर कंप्यूटरों की लिस्ट में भारत के तीन से चार सुपर कंप्यूटरों को ही शुमार किया जाता है. परम सिद्धि मिलाकर. WEF की रिपोर्ट ये भी कहती है कि भारत को अगर 2024 तक भी चीन, अमेरिका जैसे देशों से तुलना की स्थिति में पहुंचना है, तो अभी से सुपर कंप्यूटिंग पर तेजी से काम करना होगा. कई ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनना हो या अंतरिक्ष में सफलता हासिल करनी हो, तमाम काम सिर्फ बेहतर सुपर कंप्यूटर पर ही निर्भर हैं. इसलिए इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है. वरना गर्व करिए, नंबर-63 तो हम हैं ही.