इन दिनों ‘सुपर कंप्यूटर’ गूगल में बहुत ज़्यादा सर्च किया जा रहा है. कारण है अमेरिका का सुपर-कंप्यूटर जो दुनिया का सबसे तेज़ सुपर-कंप्यूटर बन गया है.
समिट नाम ने इस सुपर कंप्यूटर को हाल ही में लॉन्च किया गया. इससे पहले चाइना का सनवे तायहु-लाइट दुनिया का सबसे तेज़ सुपर-कंप्यूटर था.
तो क्या ये सुपर-कंप्यूटर हमारे घर और ऑफिस के कंप्यूटर से बिल्कुल अलग होते हैं या ये कंप्यूटर का ही कुछ मिलता जुलता रूप है?
हम ‘समिट’ के माध्यम से सुपर-कंप्यूटर को सुपर-कंप्यूटर के माध्यम से ‘समिट’ को समझने की कोशिश करेंगे. इस पोस्ट के माध्यम से हमारा उद्देश्य कंप्यूटर साइंस पढ़ना/पढ़ाना नहीं बस सुपर-कंप्यूटर के बारे में इतनी जानकारी ग्रहण और शेयर करना है कि जब इन सुपर कंप्यूटर की बात हो तो हम मौन न रहें और लोगों की ज्ञान वृद्धि कर सकें.

देखिए कंप्यूटर की जो भी परिभाषा है उस परिभाषा में ‘बहुत-बहुत ज़्यादा’ जोड़ के जो भी परिभाषा बनती है वही सुपर-कंप्यूटर की परिभाषा है.
यानी कंप्यूटर अगर कैलकुलेशन के मामले में फुटकर है तो सुपर-कंप्यूटर थोक. सुपर कंप्यूटर की कोई ऑफिशियल परिभाषा तो है नहीं, इसलिए हम उपमाओं के बल पर आपको जितना अधिक हो सके उतना आइडिया देने की कोशिश कर रहे हैं.
वो एक विज्ञापन की टैग-लाइन थी न, स्मॉल मिलाते जाओ लार्ज बनाते जाओ, सुपर कंप्यूटर के केस में भी यही होता है. ढेरों कंप्यूटर्स को मिला-मिला के, उन्हें एक नियत तरीके से जोड़ जोड़ के सुपर-कंप्यूटर बनता है और जितने ज़्यादा कंप्यूटर जोड़ो उतनी उसकी स्पीड बढ़ती चली जाती है.
यहां पर कंप्यूटर के सबसे महत्वपूर्ण अंग – माइक्रोप्रोसेसर की बात हो रही है. मतलब ये कि जितने ज़्यादा माइक्रोप्रोसेसर उतनी ज़्यादा स्पीड.

अब माइक्रोप्रोसेसर को भी लगे हाथों समझ लेते हैं. कंप्यूटर में स्क्रीन माउस वगैरह के अलावा एक और चीज़ होती है. माइक्रोप्रोसेसर. ये है कंप्यूटर का दिमाग. और जितना ज़्यादा दिमाग उतनी ज़्यादा कैल्क्यूलेशन की स्पीड. और अगर एक दिमाग से दूसरा दिमाग जोड़ दो तो स्पीड भी बढ़ती चली जाएगी.
अब ये लगा लीजिए कि ‘समिट’ में हज़ारों की संख्या में माइक्रोप्रोसेसर हैं. और इसी वजह से उसकी स्पीड 200 पेटाफ्लॉप्स है. फ्लॉप्स का अर्थ सुपर-कंप्यूटर के क्षेत्र में वो नहीं होता जो बॉक्स-ऑफिस के लिए होता है. ये समझ लीजिए कि जितने ज़्यादा फ्लॉप्स उतनी तेज़ सुपर-कंप्यूटर की स्पीड. और 200 पेटाफ्लॉप्स का मतलब है ‘दस हज़ार खरब’ कैलक्यूलेशन एक सेकंड में कर सकने की क्षमता.
आगे बढ़ें उससे पहले फ्लॉप्स को थोड़ा और समझ लेते हैं.
फ्लॉप्स का फुल फॉर्म है – फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशन्स प्रति सेकेंड. इतना समझ लीजिए कि ये कंप्यूटिंग के क्षेत्र में ऐसा ही है जैसे वजन के क्षेत्र में ग्राम और दूरी के क्षेत्र में मीटर. एक पेटा फ्लॉप में टेन टू दी पॉवर फिफ्टीन फ्लॉप्स होते हैं. मतलब एक के आगे पन्द्रह शून्य. तो इससे अंदाज़ा लग सकता है कि ‘समिट’ कितना तेज़ होगा. आपका लैपटॉप अगर कभी समिट से मिलेगा तो बोलेगा –
कि मैं चल भी नहीं सकता और तुम दौड़ जाते हो!

‘समिट’ में इतना ज़्यादा तामझाम है कि दो टेनिस कोर्ट बन जाएं. और नॉर्मली भी सुपर-कंप्यूटर इत्ते बड़े-बड़े ही होते हैं. डेस्क में रखे जाने योग्य नहीं, थ्री बीएचके के बराबर. टेनिस कोर्ट के बराबर. मैरिज हॉल के बराबर.
जितना भारी भरकम सुपर-कंप्यूटर होगा उतनी ही बड़ी होगी उसे ठंडा रखने की व्यवस्था. हमारे आपके लैपटॉप में एक पंखे से कंप्यूटर का माइक्रोप्रोसेसर ठंडा हो जाता है. होने को फिर भी कुछ न कुछ गर्मी बनी ही रहती है. आपने अपने या किसी मित्र के ऑफिस में देखा होगा कि ‘सर्वर रूम’ यानी जहां पर कंप्यूटर सर्वर रखे जाती हैं उसे ठंडा करने की बड़ी तगड़ी व्यवस्था होती है. और सुपर-कंप्यूटर में तो हज़ारों ऐसे सर्वर होते हैं. समिट में साढ़े चार हज़ार से ज़्यादा सर्वर हैं, तो इससे कितनी गर्मी उत्पन्न होती होगी और इसे ठंडा रखने के लिए कितने एसी चाहिए होंगे इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
जहां पर्सनल कंप्यूटर ‘पर्सनल’ होते हैं, मतलब किसी एक व्यक्ति को ध्यान में रखकर बनाए और बेचे जाते हैं वहीं सुपर-कंप्यूटर किसी संस्था या सरकार के होते हैं. क्यूंकि इनका काम भी किसी एक के लिए नहीं कईयों के लिए होता है. साथ ही इनके जिम्मे एक्सेल शीट बनाने, वीडियो गेम खेलने सरीखा छोटा-मोटा नहीं बहुत बड़ा और बहुत सीरियस काम होता है. जैसे कि – मौसम की जानकारियां प्राप्त करना. डीएनए, परमाणु, अणु जैसी सूक्ष्म चीज़ों की गणनाएं करना. क्वांटम फिजिक्स और सैनिक अनुसंधानों में भी इनका प्रयोग होता है.

इन सुपर कंप्यूटर्स की कीमत भी बहुत अधिक होती है. और ये बात बताने की कोई ज़रूरत भी नहीं, क्यूंकि बताए गए ताम-झाम और ‘विशालता’ से भी आप समझ ही गए होंगे कि इसे बनाना, चलाना और चलाए रखना भी सफेद हाथी पालने सरीखा है.
और हां हमारे घर वाले कंप्यूटर से इसकी तुलना की जाए तो जहां पर्सनल कंप्यूटर और लैपटॉप में सुविधा का ख्याल रखा जाता है, कि इसे अधिक से अधिक लोग प्रयोग में ला सकें वहीं सुपर कंप्यूटर में स्पीड बढ़ाना ही सबसे बड़ा उद्देश्य होता है क्यूंकि इन कंप्यूटर्स को हम आप जैसे लोग नहीं विशेषज्ञ लोग ही यूज़ करते हैं. मतलब अगर हमारे पर्सनल कंप्यूटर कार या बाइक हैं तो सुपर-कंप्यूटर रॉकेट या कम से कम एरोप्लेन तो हैं ही.
मतलब पर्सनल कंप्यूटर के क्षेत्र में सॉफ्टवेयर ऐसे होते हैं कि कंप्यूटर अधिक से अधिक यूज़र-फ्रेंडली बने. लेकिन सुपर-कंप्यूटर में ऐसा कोई प्रयास नहीं किया जाता. क्यूंकि उसे यूज़ करने वाले कंप्यूटर-फ्रेंडली होते हैं. अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं. और एक सुपर-कंप्यूटर को यूज़ करने के लिए एक दो नहीं पूरी टीम की दरकार होती है.
दुनिया के टॉप टेन सुपर कंप्यूटर की बात की जाए तो समिट के बाद दूसरे नंबर पर सनवे तायहु-लाईट आता है. इसकी स्पीड 93 पेटाफ्लॉप्स है. इसके अलावा टॉप 5 में ये तीन कंप्यूटर आते हैं –
#3 – टियान्हे – 2 | स्पीड: 33.8 पेटाफ्लॉप्स | देश – चाइना
#4 – पिज़ डाइंट | स्पीड – 19.5 पेटाफ्लॉप्स | देश – स्विट्ज़रलैंड
#5 – टाइटन | 17.5 पेटाफ्लॉप्स | यूनाइटेड स्टेट्स
भारत में देखा जाए तो सबसे फ़ास्ट सुपर कंप्यूटर प्रत्यूष है. इसकी पीक पॉवर 6.8 पेटाफ्लॉप्स है. प्रत्यूष दो हाई परफोर्मिंग कंप्यूटिंग फैसिलिटी से मिल कर बना है. इसका 4.0 पेटाफ्लॉप्स वाला यूनिट पुणे स्थित IITM में है. और 2.8 पेटाफ्लॉप्स वाला हिस्सा नोएडा स्थित NCMRWF में है.

IITM के एक स्टेटमेंट के अनुसार प्रत्यूष मौसम और जलवायु रिसर्च के लिए समर्पित दुनिया का चौथा सबसे फ़ास्ट सुपर कंप्यूटर है.
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