भारत ने पाकिस्तान के डिफेंस अटैची को 'Persona Non Grata' यानी अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया है और उन्हें एक हफ्ते में भारत छोड़ने का आदेश दिया है. अब, आप सोच रहे होंगे, ये डिफेंस अटैची होते क्या हैं और ये किसे अवांछित घोषित किया गया? आइए समझते हैं!
पहलगाम हमला: 'डिफेंस अताशे' कौन होते हैं और उनका काम क्या है? भारत के एक्शन की वजह जान लीजिए
Defence Attache दूसरे देशों में अपने देश की Embassy या High Commission में तैनात होते हैं. इस पद पर देश की Army, Navy या Air Force के किसी वरिष्ठ अधिकारी को तैनात किया जाता है. भारत ने 7 दिनों के अंदर पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात सभी सैन्य सलाहकारों को देश छोड़कर चले जाने को कहा है.

सबसे पहले, हम आपको एक तस्वीर दिखाते हैं – ये वही तस्वीर है जब विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान से भारत लौटे थे, बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद. तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक महिला और एयरफोर्स की वर्दी में एक अधिकारी अभिनंदन के साथ हैं. ये अधिकारी भारतीय एयरफोर्स के नहीं थे, बल्कि पाकिस्तान में तैनात भारत के डिफेंस अटैची थे, जो एयरफोर्स के वरिष्ठ अधिकारी थे. अब ठीक उसी तरह, पाकिस्तान में तैनात भारत के डिफेंस अटैची को अवांछित घोषित कर दिया गया है, और भारत के अधिकारियों को भी पाकिस्तान से वापस बुला लिया गया है.

अब यहां ये जानना जरूरी है कि जनरल आसिम मुनीर और आतंकवादियों के अलावा पाकिस्तानी मिलिट्री के कौन लोग हैं जिन्हें भारत ने अवांछित यानी Persona Non Grata घोषित किया है. Persona Non Grata लैटिन भाषा का शब्द है जिसका इस्तेमाल कूटनीति/डिप्लोमेसी में होता है. किसी व्यक्ति को किसी देश में Persona Non Grata घोषित किए जाने का मतलब है कि उस व्यक्ति को किसी विशेष देश में राजनयिक या विदेशी, किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. Persona Non Grata लैटिन भाषा का शब्द है जिसका इस्तेमाल कूटनीति/डिप्लोमेसी में होता है. तो समझते हैं कि कौन होते हैं डिफेंस अताशे (Defence Attaché) ? और क्या काम होता है इनका किसी दूसरे देश में?
मिलिट्री या सैन्य अताशे को ही डिफेंस अताशे कहा जाता है. ये दूसरे देशों में अपने देश के दूतावास या उच्चायोग में तैनात होते हैं. इस पद पर देश की आर्मी, नेवी या एयरफोर्स के किसी वरिष्ठ अधिकारी को तैनात किया जाता है. डिफेंस अताशे का मुख्य काम उस देश में अपने देश की सैन्य नीतियों और रक्षा हितों को बढ़ावा देना होता है. ये जिस भी देश में तैनात होते हैं, उस देश से रक्षा मामलों में सहयोग के के लिए ये एक पुल की तरह काम करते हैं.
क्या करते हैं डिफेंस अताशे ?- डिफेंस अताशे द्विपक्षीय सैन्य और रक्षा संबंधों के लिए जिम्मेदार होता है.
- कुछ देश सुरक्षा मुद्दों, जैसे माइग्रेशन, पुलिस और लीगल मामलों पर काम करने के लिए भी अताशे नियुक्त करते हैं.
- डिफेंस अताशे उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), यूरोपीय संघ (European Union), पश्चिमी अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (ECOWAS) या संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे संगठनों के सैन्य मिशन के हिस्से के रूप में भी काम करते हैं. इन्हें ‘सैन्य सलाहकार’ या ‘मिशन के प्रमुख’ नामित किया जाता है.
कुल मिलाकर देखें तो ये अपने देश के सैन्य प्रतिनिधि होते हैं. चूंकि ये किसी दूसरे देश में होते हैं इसलिए इन्हें राजनयिक का दर्जा मिलता है. जरूरत पड़ने पर ये उच्चायुक्त/राजदूत को रक्षा मामलों पर सलाह भी देते हैं. इन्हें हर वो विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं जो किसी डिप्लोमैट मसलन उच्चायुक्त या राजदूत को प्राप्त होते हैं. बस अंतर इतना है की ये उच्चायुक्त/राजदूत से इतर केवल सैन्य मामलों के प्रतिनिधि होते हैं. जबकि उच्चायुक्त/राजदूत ओवरऑल हर मामले में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की वेबसाइट पर जाएं तो 18 अप्रैल 1961 को संपन्न हुए विएना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (Vienna Convention on Diplomatic Relations) का जिक्र मिलता है. इस कन्वेंशन के आर्टिकल 7 में में डिफेंस अताशे के लीगल स्टेटस को परिभाषित किया गया है.
इसके तहत अताशे भेजने वाला देश मिशन के कर्मचारियों के सदस्यों को स्वतंत्र रूप से नियुक्त कर सकता है, सैन्य, नौसैनिक या वायु सेना के मामले में. जिसे देश में ये नियुक्त होते हैं, वो देश उनके नाम पहले से मांग सकता है. कन्वेंशन के तहत रक्षा अताशे को राजनयिक स्टाफ का ही सदस्य माना जाता है. इससे उन्हें हर वो सुविधा और अधिकार मिलते हैं जो किसी उच्चायुक्त/राजदूत को प्राप्त होते हैं. इन विशेषाधिकारों के तहत अताशे को कुछ सुविधाएं मिलती हैं, जैसे
- राजनयिक प्रतिरक्षा (Diplomatic Immunity): राजनयिक कर्मचारियों के सदस्य के रूप में डिफेंस अताशे मेजबान देश के आपराधिक, नागरिक और प्रशासनिक दायरे से बाहर होता है.
- व्यक्ति की अखंडता (Inviolability of Person): डिफेंस अताशे को मेजबान देश में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, वहां की अदालतों में उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
- आवास और कार्यालय की सुरक्षा (Protection of Residence and Office): डिफेंस अताशे के निवास सहित मिशन के परिसर एक तरह से फॉरेन लैंड माने जाते हैं मेजबान देश द्वारा उनकी तलाशी या जब्ती नहीं की जा सकती.
- स्वतंत्र आवागमन (Free Movement): आम तौर पर डिफेंस अताशे को मेजबान देश में आवागमन और यात्रा करने की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है.
- कानून का सम्मान (Obligation to Respect Host Country Laws): डिफेंस अताशे को विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा तो प्राप्त है, लेकिन वे भी मेजबान देश के कानून का सम्मान करने के लिए भी बाध्य होते हैं.
- प्रतिरक्षा हटाना (Waiver of Immunity): मेजबान देश विशेष मामलों में डिफेंस अताशे की प्रतिरक्षा का त्याग सकता है. इसका मतलब है कि उस देश में डिफेंस अताशे पर कानूनी कार्रवाई की अनुमति मिल जाती है. हालांकि ऐसा केवल गंभीर अपराधों के लिए किया जाता है.
विएना कन्वेंशन का उद्देश्य दो देशों के बीच दोस्ताना संबंधों को सुगम और बनाने पर केंद्रित है. इसी उद्देश्य का हिस्सा होते हैं डिफेंस अताशे जो बिना किसी दबाव या हस्तक्षेप के के अपनी ड्यूटी निभा सकते हैं. इस कन्वेंशन को आधुनिक दौर में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का आधार माना जाता है. लगभग सभी देशों द्वारा सख्ती से इसका पालन किया जाता है. पाकिस्तान के डिफेंस अताशे को भारत ने एक हफ्ते के भीतर देश छोड़ने को कहा है.
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