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धरती का सबसे रईस व्यक्ति, जो पैसे बचाने के लिए बिजली की वोल्टेज कम करवा देता था!

हैदराबाद के निजाम की कंजूसी के किस्से सुनकर सिर पकड़ लेंगे

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निजाम ओस्मान अली खान बिजली का वोल्टेज कम करवाकर भी पैसा बचाया करते थे | फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स

आज से करीब 80 साल पहले की बात है. उस समय रियासतों में एक प्रचलित प्रथा थी. साल में एक बार राजा के यहां बड़ा जलसा होता था. राज्य के सभी बड़े-बड़े अमीर-उमरा, जागीरदार और व्यापारी इकठ्ठा होते थे. लंबी और बड़ी दावतें चलती थीं. इसके बाद ये राजा के यहां आए लोग उन्हें नजराना पेश करते थे. सांकेतिक तौर पर राजा को अशर्फी पेश की जाती थी. फिर होता ये था कि राजा अशर्फियां को छूकर ज्यों का त्यों वापस कर देते थे. देश की हर रियासत में यही होता आ रहा था. लेकिन एक ऐसी रियासत भी थी, जहां ऐसा दस्तूर नहीं था, यहां जलसा तो होता था, लेकिन इसके बाद वाला बाकी रियासतों से अलग होता था. यहां नजराना पेश करने के समय राजा अपने सिंहासन के पास एक पोटली बांध लेता था. जैसे ही दरबार में कोई व्यक्ति अशरफी राजा की तरफ बढ़ाता, राजा उसे लपक लेता और पोटली में डाल लेता.

एक बार राजा ने नजराने में पेश की गई एक अशर्फी उठाई ही थी कि वो उनके हाथ से छूट गई. अशर्फी खनखनाती हुई सीढ़ियों से नीचे की ओर चल पड़ी. फिर जो हुआ उसके चर्चे पूरे देश में कई दिनों तक हुए. राजा अपनी कोहनियों और घुटनों के बल रेंगते हुए उस अशर्फी के पीछे दौड़े. अशर्फी सीढ़ियों से नीचे खड़े एक व्यापारी के पैरों से टकराकर रुक गई. राजा ने उठाई और वापस जाकर अपने सिंहासन के पास रखी पोटली में डाल दी.

आप सोच रहे होंगे आखिर ये राजा कौन था?... ये हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद के निजाम और उस समय धरती के सबसे रईस व्यक्ति मीर ओस्मान अली खान थे. आज 6 अप्रैल को उनका जन्मदिन है. इस मौके पर जानेंगे इनसे जुड़े वो किस्से जिनसे वो पूरी दुनिया में अपनी कंजूसी के लिए फेमस हो गए.

मीर ओस्मान खान से जुड़े किस्सों से पहले थोड़ा उनके बारे में जान लेते हैं. ओस्मान हैदराबाद रियासत के सातवें निजाम थे. बहुत पतले-दुबले छोटे से कद के बूढ़े व्यक्ति. तकरीबन सवा 5 फीट का कद रहा होगा. बरसों सुपारी चबाते-चबाते दांत सड़ चुके थे. हिंदुस्तान में ब्रितानिया हुकूमत के सबसे प्रिय शासक थे. देश में एक मात्र ऐसे शासक भी थे जिन्हें अंग्रेजों ने 'एक्जाल्टेड हाइनेस' यानी 'बहुत ज्यादा ऊँचे पद पर बैठने वाला व्यक्ति' का खिताब दे रखा था.

युद्ध लड़ने के लिए 2 करोड़ पौंड दे दिए

ये सब एक तरफा नहीं था, मतलब निजाम पर अंग्रेज यूहीं मेहरबान नहीं थे. निजाम भी ब्रितानिया हुकूमत के लिए वो करते थे, जो कोई और नहीं कर सकता था. फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के समय निजाम ओस्मान खान ने अंग्रेजों के लिए अपना खजाना खोल दिया था, युद्ध लड़ने के लिए 2 करोड़ पौंड दिए थे. क्वीन एलिजाबेथ-2 की शादी में निजाम ने ऐसा गिफ्ट दिया कि दुनियाभर में चर्चा शुरू हो गई. शाही नेकलेस गिफ्ट किया था, जिसमें 300 हीरे जड़े थे. उस समय कीमत करोड़ों में आंकी गई थी.

निजाम ने महारानी को करोड़ों का गिफ्ट दिया था

इतिहासकारों की मानें तो निजाम केवल और केवल ब्रिटानिया हुकूमत के लिए बड़ा दिल रखते थे. क्योंकि वो अंग्रेजों को अपने करीब रखने की जरूरत और मजबूरी दोनों को अच्छे से समझते थे.

आजादी के समय निजाम की संपत्ति कितनी थी?

जब देश आजाद हुआ और हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया, तब मीर ओस्मान अली खान की कुल संपत्ति 17 लाख करोड़ से ज्यादा की आंकी गई थी. ये आंकड़ा उस समय अमेरिका की कुल जीडीपी के 2 फीसदी के बराबर बैठता था. मशहूर लेखक डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में हैदराबाद के निजाम पर काफी कुछ बताया है.

उन्होंने लिखा है,

‘निजाम के पास 100 मिलियन पाउंड से ज्यादा का सोना, 400 मिलियन पाउंड से ज्यादा के जवाहरात थे. निजाम की डेस्क पर एक गंदे पुराने अखबार से लिपटा हुआ, एक जैकब डायमंड पड़ा रहता था. जो दुनिया के सात सबसे महंगे हीरों में से एक था. 280 कैरेट के इस हीरे का साइज नींबू के बराबर था. हीरे को निजाम अपने पेपरवेट के तौर पर इस्तेमाल करते थे... उनके एक बाग़ में जहां झाड़-झंखाड़ ऊगा रहता था, वहां दर्जन भर ट्रक खड़े थे, देखकर लगता था कि ये काफी समय से खड़े होंगे. इनमें सोने की ईंटें भरें थीं, इनका वजन इतना ज्यादा था कि ट्रक के पहिए अपनी धुरी सहित कीचड़ में धंस चुके थे.’

डोमिनिक लैपियर आगे लिखते हैं,

'उस समय निजाम के पास करीब 3 करोड़ रुपए का ऐसा कैश रहा होगा. जो पुराने अखबारों में लिपटा हुआ सालों से तहखानों और धूल से अटे पड़े कोनों में पड़ा हुआ था. हर साल इसमें से कई हजार पौंड और रुपए तो चूहे कुतर जाते थे.'

इतना पैसा आया कहां से निजाम के पास?

ये सब जानकर एक अब तक सवाल आपके जेहन में आया होगा. आखिर हैदराबाद के निजाम के पास ये अकूत संपत्ति आई कहां से?.... इतिहासकारों की मानें तो निजाम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था गोलकोंडा माइंस. ये माइंस सोना और हीरा उगलती थीं. उस समय दुनिया में हीरा सप्लाई का सबसे बड़ा जरिया गोलकोंडा माइंस ही थीं.

अब जिस व्यक्ति के पास इतनी ज्यादा दौलत हो, उसके किस्से तो फेमस होंगे ही? निजाम के भी थे! लेकिन दौलत से ज्यादा फेमस उनकी कंजूसी के किस्से थे.

कई इतिहासकारों ने ये किस्से लिखे हैं. ये लोग बताते हैं,

'निजाम मीर ओस्मान अली खान बहुत ही मैला सूती पैजामा पहनते थे, और पैरों में बहुत ही घटिया किस्म जूतियां होती थीं, जिन्हें वो बहुत कम पैसों में बाजार से मंगवा लेते थे. ब्रिटिश अफसरों के आने पर वो एक तुर्की टोपी लगाया करते थे, 35 साल से वो टोपी उनके पास थी, उसपर फफूंदी सी जम गई थी. वो अपने छोटे से कमरे में नौकरों को घुसने नहीं देते थे, कमरे में चारों तरफ जाले लगे थे, धूल चढ़ी थी. केवल साल में एक दिन, निजाम के जन्मदिन पर उनके कमरे की सफाई होती थी.'

निजाम महल के अपने छोटे से कमरे में जमीन पर बिछी दरी पर बैठकर खाना खाते थे

निजाम के पास सोने के इतने बर्तन थे कि एक बार में सौ लोग उनमें खाना खा लें, लेकिन निजाम अपने छोटे से कमरे में जमीन पर बिछी दरी पर बैठकर टीन की एक थाली में खाना खाते थे. इतिहाकारों की मानें तो निजाम इतने कंजूस थे कि उनके मेहमान सिगरेट पीकर जो टुकड़े छोड़ जाते थे, निजाम उनमें से कम जली सिगरेट के टुकड़े अपने पास रखवा लेते थे और फिर उन्हें जलाकर पीते थे.

जब अंग्रेजों से कहा महंगाई बहुत है

एक अंग्रेज अफसर के हवाले से इतिहासकार लैरी कॉलिन्स लिखते हैं कि एक बार कुछ ब्रिटिश अफसर निजाम के यहां पहुंचे, शैम्पेन पीने की इच्छा जताई, शैम्पेन मंगाई गई, जब तक पी गई, निजाम की नजर शैंपेन की बोतल पर ही टिकी रही, उन्होंने बोतल चार मेहमानों से आगे नहीं जानें दी. डर था कहीं शैम्पेन खत्म न हो जाए.

एक बार तो हद ही हो गई, 1944 की बात है, लॉर्ड वेवल बतौर ब्रिटिश वायसराय निजाम के यहां आने वाले थे. इससे कुछ रोज पहले दिल्ली में ब्रिटिश अफसरों के पास निजाम का एक तार पहुंचा, इसमें निजाम ने पूछा था- ‘इस समय सेकेंड वर्ल्ड वॉर छिड़ा हुआ है, बाजार में महंगाई बहुत है, क्या ऐसे समय में भी वायसराय शैंपेन पीना चाहेंगे?’

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बस एक कप चाय, एक बिस्किट और एक सिगरेट 

निजाम ओस्मान अली खान के यहां हर रविवार को शहर का सबसे बड़ा ब्रिटिश अफसर आया करता था. वो चर्च जाया करता था, लौटते समय उनसे बातें करने पहुंच जाता था. जब वो पहुंचता, बड़ी पाबंदी से निजाम का नौकर उस अफसर के लिए एक ट्रे में एक कप चाय, एक बिस्किट और एक सिगरेट लाया करता. एक बार अफसर अपने एक दोस्त के साथ निजाम के यहां पहुंचा, नौकर फिर एक कप चाय, एक बिस्किट और एक सिगरेट लेकर आ गया. निजाम ने नौकर को बुलाया कान में कुछ कहा, नौकर गया और दूसरी ट्रे में एक कप चाय, एक बिस्किट और एक सिगरेट लेकर आ गया.

निजाम हिंदुस्तान में ब्रितानिया हुकूमत के सबसे प्रिय शासक थे
जब डॉक्टर कंजूसी के चलते परेशान हो गए 

निजाम ओस्मान अली खान की कंजूसी का एक और किस्सा काफी फेमस है. एक बार मुंबई के कुछ डॉक्टर निजाम के दिल की जांच करने के लिए हैदराबाद पहुंचे. डॉक्टर्स ने एक कमरे में अपनी मशीनें सेट कीं. जब बिजली के बोर्ड में प्लग लगाया, तो मशीनें ऑन ही नहीं हुईं, एक बाद डॉक्टर्स दूसरे कमरे में पहुंचे, लेकिन वहां भी मशीनें नहीं चलीं, सभी काफी परेशान हुए. कुछ देर बाद उन्हें बताया गया कि निजाम ने महल में बिजली की वोल्टेज काफी कम करवा रखी है, जिससे ज्यादा बिजली खर्च ना हो. यानी निजाम ओस्मान अली खान बिजली का वोल्टेज कम करवाकर भी पैसा बचाया करते थे.

निजाम गाड़ी खरीदते नहीं थे!

इतिहासकार लैरी कॉलिन्स ने निजाम की गाड़ियों को लेकर भी किस्सा लिखा है. उनके मुताबिक हिन्दुस्तान के राजा महंगी से महंगी गाड़ियां खरीदा करते थे. उन्हें कारों का शौक था. हैदराबाद के निजाम मीर ओस्मान को भी ये शौक था, लेकिन वो कभी गाड़ी खरीदते नहीं थे. हालांकि फिर भी उनके पास एक से एक महंगी गाड़ियां थीं. इतनी कि उनके पार्किंग एरिया में आ नहीं पाती थीं.

इन गाड़ियों को पाने के लिए या कहें तो हथियाने के लिए निजाम एक विचित्र तरीका अपनाते थे. अपने राज्य में राह चलते जिस गाड़ी पर उनकी नजर पड़ती. दो रोज बाद उस गाड़ी के मालिक को निजाम का पैगाम पहुंच जाता. लिखा होता- 'आपके निजाम साहब को आपकी गाड़ी तोहफे में पाकर बहुत ख़ुशी होगी.' बताते हैं कि कई लोग अपनी गाड़ियां तब सड़क पर निकालते ही नहीं थे, जब पता लगता था कि निजाम साहब सैर पर हैं.

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