The Lallantop

प्लेन क्रैश पर 1.19 करोड़ तक मिल सकता है मुआवज़ा, ऐसे होता है तय

डॉमेस्टिक और इंटरनैशनल फ्लाइट्स के लिए अलग-अलग होते हैं नियम

post-main-image
एयर इंडिया एक्सप्रेस का प्लेन AXB-1344 रनवे से फिसल गया और 35 फीट गहराई में गिर गया. (फोटो - PTI)
7 अगस्त 2020. केरल के कोझिकोड में प्लेन क्रैश हुआ. एयरपोर्ट पर लैंड करते वक़्त एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान रनवे पर फिसल गया. हादसे में दोनों पायलट सहित 19 लोगों की मौत हुई. केरल राज्य सरकार ने हादसे में मरने वालों के परिवार वालों को 10 लाख रुपए मुआवज़ा देने का ऐलान किया. ज़ख़्मी पैसेंजरों के इलाज का ख़र्च उठाने की भी बात कही. इसके अलावा, एयर इंडिया एक्सप्रेस ने अंतरिम मुआवज़े का ऐलान किया. मगर ये मुआवज़ा तय कैसे होता है? मिलता कैसे है? आइए, आसान भाषा में जानते हैं.
मुआवज़ा कितना तक हो सकता है?
हर चीज़ को चलाने के कुछ नियम, क़ायदे और क़ानून होते हैं. हवाई यात्रा के लिए भी नियम हैं और इन्हीं नियमों में शामिल हैं विमान हादसे पर मिलने वाले मुआवज़े की रक़म. पैसेंजर चार्टर के मुताबिक, अगर कोई इंटरनेशनल फ़्लाइट क्रैश होती है तो मुआवज़े के तौर पर एयरलाइन से 1,13,100 SDR या स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स तक मिल सकते हैं. अब ये SDR क्या है?
SDR को आप एक तरह का ग्लोबल करेंसी कन्वर्टर समझ लीजिए. ये दुनिया की बड़ी-बड़ी करेंसी जैसे अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड और जापानी येन की वैल्यू पर डिपेंड करता है. एक SDR 1.41 अमेरिकन डॉलर के बराबर होता है. मान लीजिए एक अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 74.80 रुपये है तो मुआवजा करीब 1.19 करोड़ रुपए तक हो सकता है. यानी हादसा होने पर एयरलाइन को हरेक पैसेंजर को लगभग 1.19 करोड़ रुपए तक देने का नियम है. पहले ये मुआवज़ा 1,00,000 SDR था मगर भारत में 2016 में इसे बढ़ाकर 1,13,100 SDR कर दिया गया था.
इसी तरह फ़्लाइट लेट होने और सामान खो जाने वग़ैरह को लेकर भी मुआवज़ा मिलता है. मगर कुछ तो जानते ही नहीं हैं कि वो ऐसी कंडीशन में भी मुआवज़ा मांग सकते हैं, और बाक़ी कहते हैं छोड़ो यार, कौन पड़े पचड़े में.
अगर घरेलू फ़्लाइट क्रैश हो जाए तो?
घरेलू फ़्लाइट के क्रैश होने पर भी मुआवज़ा दिया जाता है. मगर हमारे यहां ये इंटरनैशनल फ़्लाइट की तुलना में काफी कम है. मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन ने 2014 में एक गजट नोटिफ़िकेशन में ये तय किया था कि विमान हादसे की स्थिति में एयरलाइन पैसेंजर को 20 लाख रुपए तक देगी.
Kozhikode Pti
केरल के कोझिकोड में हुए विमान हादसे 19 लोगों की मौत हुई थी. (फ़ोटो: PTI)

हर फ़्लाइट का इंश्योरेंस जरूरी होता है.
जिस तरह आपको बाइक ख़रीदने के साथ ही इंश्योरेंस लेना पड़ता है. इसे लिए बिना काम नहीं चलता क्योंकि नियमों के हिसाब से ये ज़रूरी है. ठीक उसी तरह सभी एयरलाइन्स को फ़्लाइट का इंश्योरेंस कराना ज़रूरी होता है. किसी हादसे की स्थिति में मुआवज़े का पैसा यहीं से आता है. सारी की सारी फ़्लाइट्स इंश्योर्ड होती हैं. इसके लिए आपको अलग से कुछ नहीं करना होता. हादसा होने पर इंश्योरेंस कंपनी मुआवज़े का पैसा देती है. कोझिकोड वाले हादसे में एयर इंडिया एक्सप्रेस ने कहा है कि उसकी फ़्लाइट इंश्योर्ड थी और नियम के हिसाब से पैसेंजरों को मुआवज़ा दिया जाएगा.
ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने पर कौनसी इंश्योरेंस मिलती है?
अगर आप ऑनलाइन टिकट बुक करते होंगे तो नोटिस किया होगा कि आप कुछ एक्स्ट्रा पैसे देकर ट्रैवल इंश्योरेंस ले सकते हैं. ये आपकी पर्सनल इंश्योरेंस होती है जो आम तौर पर एयरलाइन वाली इंश्योरेंस से कहीं ज़्यादा चीज़ें कवर करती है. घरेलू फ़्लाइट में तो ज़्यादा फ़र्क़ नहीं होता मगर इंटरनैशनल फ़्लाइट में काफ़ी फ़र्क़ होता है. अलग-अलग प्लैटफ़ॉर्म और रूट पर अलग-अलग इंश्योरेंस कम्पनी काम करती हैं और इनके अलग-अलग रेट और मुआवज़े होते हैं.
घरेलू फ़्लाइट पर आप 250 रुपए के आस पास का एक्स्ट्रा पेमेंट देकर पर्सनल इंश्योरेंस ले सकते हैं, मगर इंटरनैशनल फ़्लाइट के लिए इंश्योरेंस दिन के हिसाब से पड़ती है. क्यों? क्योंकि ये वाली इंश्योरेंस आपकी फ़्लाइट कवर करने के साथ-साथ विदेश में आपके रहने तक कवर देती है. हां इसकी लिमिट भी होती है. हमने जब इंश्योरेंस के नियम क़ायदे देखे तो 182 दिन पाया. ये लिमिट अलग-अल कम्पनियों के लिए ऊपर-नीचे भी हो सकती है.
 
Insurance
(फ़ोटो: paytm)

 
हमारे एक मित्र हैं प्रसून लायिल. ट्रैवल इंडस्ट्री में कई सालों से कम कर रहे हैं. इन्होंने बताया:
जहां तक मुझे पता है एयरलाइन की इंश्योरेंस से मुआवज़ा क्लेम करना मुश्किल होता है. अगर टिकट बुक करते टाइम अपना पर्सनल इंश्योरेंस लेते हो तो क्लेम करने में आसानी होती है. ऊपर से आपको एक्स्ट्रा बेनेफ़िट भी मिलते हैं. इंटरनैशनल फ़्लाइट के लिए तो पर्सनल इंश्योरेंस और भी ज़्यादा प्रेफ़र की जाती है.
क्या सारे देश इतना ही मुआवज़ा देते हैं?
पहले दुनिया भर की एयरलाइंस 1929 के वॉरसा कन्वेंशन के नियमों को फ़ॉलो करती थीं. हादसे वग़ैरह में मुआवज़े की रक़म भी यहीं पर तय हुई थी. फिर 1999 में इसकी जगह मॉन्ट्रियल कन्वेंशन ने ले ली. इस कन्वेंशन ने पहले 2003 में, फिर 2009 में मुआवज़े की रक़म को बढ़ाया.
इंटरनैशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइज़ेशन (ICAO) के सदस्य देशों ने इसी को आधार बनाकर अपने-अपने देशों के हवाई यात्रा वाले नियमों में मुआवज़ा रखा. मगर कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने इसे लागू नहीं किया है. और कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने मुआवज़े की रक़म को कम रखा हुआ है. भारत ने इस पर दस्तखत कर रखे हैं इसलिए यहां पर इसकी के हिसाब से मुआवज़ा मिलता है. मगर घरेलू फ़्लाइट के मामले में इंडिया ने मुआवज़े की रक़म को कम कर रखा है.
ज्यादा मुआवज़ा भी क्लेम कर सकते हैं क्या?
प्लेन क्रैश होने की हालत में पैसेंजर का हक़ है 1,13,100 SDR या फिर 1.19 करोड़ रुपए. एयरलाइन को ये रक़म देनी होती है. अगर किसी पैसेंजर को लगता है कि उसके नुक़सान के हिसाब से ये रक़म कम है तो वो ज़्यादा पैसे की भी डिमांड कर सकता है. मगर SDR से ऊपर के क्लेम को एयरलाइन चुनौती दे सकती है. मामला कोर्ट में जाएगा. तब कोर्ट तय करेगा कि पैसेंजर को SDR से ऊपर मुआवज़ा मिलना चाहिए या नहीं.
Crash Pti
दो टुकड़े हो गए थे एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान के. (फ़ोटो: PTI)

क्या आसानी से मिल जाता है मुआवजा?
कभी-कभी ऐसा होता है कि मुआवज़े की रक़म उठाने में पसीने छूट जाते हैं. 2010 में मंगलुरु में हुए प्लेन क्रैश में घायल हुए पैसेंजर को अभी तक पूरा मुआवज़ा नहीं मिला है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, हादसे में मरने वाले एक यात्री के परिवार को अभी तक मुआवज़े की दूसरी किश्त नहीं मिली है. इसके लिए उन्होंने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, पर मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है. इसी हादसे के किसी विक्टिम को 30-40 लाख रुपए मिले हैं तो कुछ को 3 करोड़ रुपए तक का मुआवज़ा मिला है.
एयर इंडिया एक्सप्रेस कितना पैसा देगी?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन और इस पर बनाए गए इंडिया के नियमों के हिसाब से कोझिकोड विमान हादसे में मुआवज़ा 1.19 करोड़ रुपए होना चाहिए. मगर फ़िलहाल एयर इंडिया एक्सप्रेस ने अंतरिम मुआवज़े का ऐलान किया है. यानी कुछ रक़म टेम्परेरी तौर पर दे दी है और बाक़ी का बाद में दिया जाएगा.
एयरलाइन ने इस हादसे में मामूली तौर पर ज़ख़्मी हुए लोगों को 50,000 रुपए और गम्भीर रूप से ज़ख़्मी हुए लोगों को 2 लाख रुपए देने की बात कही है. मौत की हालत में 12 साल से छोटे यात्रियों के परिवार वालों को 5 लाख रुपए और 12 साल या उससे बड़े यात्रियों के परिवार वालों को 10 लाख रुपए देने का ऐलान किया है.
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने कहा है कि नियम के हिसाब से जितना मुआवज़ा बनता है, उतना दिया जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस को एक सीनियर एयरलाइन ऑफ़िशियल ने बताया कि आमतौर पर मुआवज़े की रक़म मॉन्ट्रियल कन्वेंशन और उससे जुड़े इंडिया के क़ानून से तय होती है. कोझिकोड केस में मुआवज़े में एग्ज़ैक्ट कितने रुपए दिए जाएंगे, ये लीगल डिपार्टमेंट से इनपुट आने के बाद पता चलेगा.
कुछ सवालों का जबाव बाकी?
इस सबके बीच में कुछ सवाल और भी बनते हैं. अगर एयरलाइन मुआवज़े की पूरी रक़म ना चुकाए, तब क्या होगा? क्या कोर्ट ही एक रास्ता बचेगा? क्या चोटों के हिसाब से मुआवज़े की रक़म SDR से कम भी हो सकती है? कोझिकोड के मामले में राज्य सरकार ने भी कुछ मुआवज़ा दिया है, क्या ये रक़म एयरलाइन के मुआवज़े की लिमिट में जुड़ेगी? हमने DGCA को ये सवाल ईमेल के ज़रिए भेज दिए हैं. जैसे ही जवाब आता है, हम इस स्टोरी को अपडेट करेंगे.


केरल क्रैश विमान हादसा: 10 साल पहले रिपोर्ट में रनवे को बताया गया था खतरनाक