तो साहेब, भारत में आप भले गर्मी-ग्रसित हों, पर यूरोप में वसंत ऋतु का आगमन हो चुका है. बागों में बहार है, रंगो की फुहार भी है. तो सोचा ठंडी का अहसास दिलाती जगह आपको भी घुमा दूं. वैसे सच बताऊं, तो ये वाली ट्रिप भी बॉलीवुड से प्रेरित थी. अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गाना 'देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए' ट्यूलिप के इन्हीं खेतों के बीच शूट हुआ था!
https://www.youtube.com/watch?v=FIj10mJsgQQ
तो 6 साल पहले, इसी समय प्लान बना हॉलैंड जाने का. हॉलैंड बनाम नीदरलैंड के बारे में लोगों में उलझन है. वास्तव में, हॉलैंड नीदरलैंड के देश के भीतर एक क्षेत्र है और यह ट्यूलिप की बढ़ती खेती के लिए प्रसिद्ध है. राजधानी ऐम्स्टर्डम से 45 मिनट की दूरी पर 32 हेक्टेयर (79 एकड़) में फैला क्युकेनहॉफ (keukenhof) नाम का एक बेहद खूबसूरत ट्यूलिप-गार्डन और दुनिया का सबसे बड़ा फूल उद्यान है. ठीक आधुनिक ऐम्स्टर्डम से निकलते ही बाहर प्याराडच ग्रामीण इलाका और प्रकृति की सुंदर ताज़गी रीचार्ज कर देती है.

यहां हर साल वसंत में 7 लाख ट्यूलिप बल्ब खिलते हैं. ट्यूलिप की 800 से ज्यादा वैरायटीज देखकर आप सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा कौन सा रंग है, जो इन बगीचों में नहीं खिला है. यहां तक कि क्रॉस-ब्रीडिंग करके मल्टीकलर ट्यूलिप जैसे पीले फूल में लाल धारियां भी देखने को मिलेंगी.

तालाबों और फव्वारों के चारों ओर तैरते बतख और स्वैन और फूलों की आउटलाइन से खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. मैं जिस समय गई थी, उस समय ऑर्किड पर भी प्रदर्शनी लगी हुी थी.

ट्यूलिप की प्रदर्शनी
अब चूंकि हम भारतीय बहुतायत में हैं और देश ही नहीं, विदेश में भी बहुतायत में हैं, तो एकाध जगह अचार-पराठा खाते बंधु भी झील किनारे बैठे दिखाई पड़े.
ट्यूलिप की खेती मूल रूप से ओटोमन साम्राज्य (वर्तमान में तुर्की) में की जाती थी. हॉलैंड ने 1500 के दशकों में ट्यूलिप आयात करना शुरू किया. 17वीं शताब्दी तक ट्यूलिप इस कदर लोकप्रिय हो गए कि उस दौर को 'ट्यूलिपमैनिया' (Tulip mania) कहा जाने लगा, क्योंकि ट्यूलिप को पागलों की तरह पैसे के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा!
इस दौर के बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं
मूल देश तुर्की में ट्यूलिप आज भी खूबसूरती का प्रतीक है. और तो और, टर्किश एयरलाइंस अपने हवाई विमानों में ट्यूलिप अंकित करती है. नीदरलैंड का लगभग 11,000 हेक्टेयर यानी दुनियाभर में होने वाली ट्यूलिप की खेती के कुल क्षेत्रफल का करीब 90% हिस्सा यहां स्थित है. फूल उद्योग नीदरलैंड की GDP का 5% से ज्यादा है. शायद इसीलिए हॉलैंड को 'विश्व की फूलों की दुकान' कहा जाता है.

पैदल चलने के अलावा इन उद्यानों को इत्मिनान से देखने के लिए 45 मिनट की बोट-राइड भी की जा सकती है. आप किराए पर साइकिल लेकर इन उद्यानों के बाहर फैले ट्यूलिप के खेतों को देखने भी जा सकते हैं. उद्यान मार्च के आखिर से मध्य मई तक लोगों के लिए खुलता है. वैसे तो आप ट्यूलिप बल्ब खरीद सकते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर उन्हें ले नहीं जा सकते. खरीदने के लिए चीनी-मिट्टी के नीले-सफ़ेद रंग की डेल्फ्ट-पॉटरी सॉवेनीर्स (souvenirs) हैं.

डेल्फ्ट-पॉटरी सॉवेनीर्स
इन दिनों दुनिया के ढेर सारे देशों में खिले ट्यूलिप्स की एक झलक यहां देखिए

ट्रैक्टर से काटे जाते ट्यूलिप
वैसे अगर आप दुनिया की सबसे बड़ी फुलवारी नहीं देख सकते, तो कोई बात नहीं. हमारे यहां भी एशिया की सबसे बड़ी फुलवारी श्रीनगर में हाल ही में खुली है. ज़बरवान वादियों में डल लेक के किनारे स्थापित इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन, जहां ट्यूलिप की करीब 48 प्रजातियां हैं.
जाइए वहां, जहां दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए...
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