1996 का अगस्त महीना. एक गाना आया और आते ही छा गया. क्या टीवी, क्या रेडियो हर जगह हर समय बजने लगा. कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि इतने तो उस फिल्म के टिकट भी नहीं बिके थे, जितनी बिक्री उसके ऑडियो कैसेट्स की हुई थी. युवाओं का तो जैसे एंथम ही बन गया था वो गाना. गाने के बोल थे,
"सुबह-सुबह जब खिड़की खोले, बाजू वाली लड़की हाए..
दिल मेरा बोले, हेल्लो, हाउ आर यू?"
गाना देख लीजिए फिर आगे बढ़ते हैं.
फिल्म थी 'यश'. ये ऐसी फिल्म थी जिसे फिल्म का रूप लेना ही नहीं था. पहले ये एक शॉर्ट फिल्म बनने वाली थी. वो तो गाना हिट हो गया तो जल्दबाज़ी में फिल्म बना डाली. यही वजह थी फिल्म बेहद कमज़ोर रही और बॉक्स ऑफिस पर पानी भी न मांगा. हां दो गाने बंपर हिट रहे. एक तो बता ही चुके हैं. दूसरा था,
'यारों न जाने मुझे क्या हो गया.' जिस एक्टर पर ये गाना फिल्माया गया था उसकी पहचान ही 'उस गाने वाला हीरो' बनके रह गई. बावजूद काजोल जैसी बड़ी हीरोइन के साथ काम करने के उनका करियर कोई ऊंची उड़ान नहीं भर पाया. एकाध छिटपुट रोल करने के बाद वो गायब से हो गए. ज़्यादातर लोगों को उनका नाम जानने के लिए गूगल करना पड़ता है. उनका नाम था बिजय आनंद. 'यश' फिल्म के गाने में धमाल मचाने के बाद बिजय आनंद को एक और रोल मिला जिसमें वो याद रह गए. फिल्म थी 'प्यार तो होना ही था' और रोल था राहुल बजाज का. वही राहुल बजाज, जो काजोल का मंगेतर है और उसके साथ चीटिंग कर रहा है. काजोल उसके पीछे पागल है और उसे वापिस हासिल करना चाहती है. फिर कहानी में आते हैं अजय देवगन और आगे का सबको पता ही होगा.
ये गाना देख लीजिए जिसमें बिजय काजोल और अजय की नजदीकियों से परेशान नज़र आते हैं: फिल्मों में आने से पहले बिजय एक कामयाब मॉडल रह चुके थे. करीब 300 प्रॉडक्ट्स के लिए उन्होंने मॉडलिंग की थी. टीवी में भी काम किया था. कम से कम 15 सीरियल्स का हिस्सा रहे. 'प्यार तो होना ही था' के बाद बिजय आनंद का कोई उल्लेखनीय काम नज़र नहीं आता. वो अचानक से गायब हो गए. बहुत सालों बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में इसका राज़ खोला. उन्होंने कहा कि उस फिल्म के बाद उन्हें कम से कम 22 ऑफर आए थे. लेकिन उनका दिल उन्हें फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के लिए उकसा रहा था. सो उन्होंने वैसा ही किया. एक्टिंग से ब्रेक लेने के बाद बिजय आनंद आध्यात्म की तरफ आकर्षित हुए. योग सीखने में खुद को झोंक दिया. ख़ास तौर से कुण्डलिनी योग. दुनिया भर में यात्राएं की. ग्लैमर की दुनिया को बिल्कुल ही त्याग दिया. थाईलैंड, बाली, ऋषिकेश, योरोप न जाने कहां-कहां की खाक छानी. 17 साल तक बिल्कुल गायब रहे.
एक बार फिर किया कैमरे का सामना
गायब होने के 17 साल बाद एक बार फिर से उनकी स्क्रीन पर वापसी हुई. इस बार परदा छोटा था. जो किरदार उन्होंने वापसी के लिए चुना वो भी धार्मिक ही था. टीवी सीरियल 'सिया के राम' में उन्होंने सीता के पिता जनक का किरदार निभाया था. जब बिजय की वापसी हुई उनके लुक ने सबको हैरान कर दिया था. बढ़ी हुई दाढ़ी और रफ एंड टफ शरीर. दाढ़ी सीरियल के लिए नहीं बढ़ाई थी बल्कि उनके वजूद का हिस्सा बन चुकी थी.

अपने परदे से एकांतवास के दौर में बिजय आनंद ने मराठी एक्ट्रेस सोनाली खरे से शादी कर ली थी. दोनों की सनाया आनंद नाम की एक बेटी भी है. बहरहाल, तमाम भारतीयों के लिए उनकी पहचान अब भी वही है. वो लड़का जो गाता था,
"सुबह-सुबह जब खिड़की खोले, बाजू वाली लड़की हाए....."
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