The Lallantop

90s के लड़के परेश रावल को सबसे घिनहा गुंडा मानते थे

आज बड्डे है. पढ़िए, उनकी फिल्मी, निजी और पॉलिटिकल लाइफ के किस्से.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop

ये कहानी परेश रावल के नेता बनने से पहले की है. परेश नेता बनने से बहुत पहले फेमस हो गए थे. पब्लिक बाबूराव को ज्यादा पहचानती है, परेश रावल को कम. वही बाबूराव गणपतराव आप्टे, जिनके डायलॉग का इस्तेमाल आदमी फोन पर गरियाने में करता है- फोन रख, रख तेरी मां की.

Advertisement

लेकिन ये हम आज क्यों बता रहे हैं? क्योंकि परेश रावल का आज बड्डे है. ऐसे में पढ़िए उनके एक्टिंग करियर से जुड़े किस्से.

30 मई, 1950 को मुंबई में पैदा हुए थे. परेश पढ़ाई पूरी करने के बाद इंजीनियर बनने को भटक रहे थे. लाइफ ने कुछ और बनाने का प्लान कर रखा था. तो एक्टर बन गए. 1984 में पहली फिल्म आई थी 'होली.' इस फिल्म में उनके साथ एक और लीजेंड ने इंडस्ट्री में एंट्री की थी. आमिर खान. उस जमाने में आमिर खान ने हीरो के रोल में फिल्मों की शुरुआत की. परेश रावल को विलेन बनाया गया. इसके बारे में परेश ने एक इंटरव्यू में बताया था

Advertisement

"भैया हम प्रोड्यूसर डायरेक्टर तो हैं नहीं. वो हमको जिस रोल के लिए चुनते हैं हम उसके लिए जान लगा देते हैं. ऐसा होता है कि शुरू में जिस भूमिका में चल जाओ, वो फिर उसी में रिपीट करने लगते हैं. इसी बीच महेश भट्ट, केतन मेहता और दिबाकर बनर्जी जैसे डायरेक्टर भी हैं. जिन्होंने हमको अलग भूमिका में काम कराने का रिस्क लिया."

आमिर खान और परेश रावल का साथ रील लाइफ से रियल लाइफ तक कैसे रहा? सोचो. पहले रील लाइफ. अंदाज अपना अपना के सीन याद करो. जिसमें परेश रावल ने तेजा का रोल प्ले किया था.


"इस गेम का हर पत्ता कैसे खेलना है, मुझे अच्छी तरह आता है."

लेकिन वो फिल्म थी कॉमेडी. विलेन की हरकतें भी देख कर हंसी आती थी. लोगों के लैपटॉप में अब तक स्टोर पड़ी रहती है. जैसे मैक्स वालों के पास सूर्यवंशम की सीडी. फिर बाज़ी याद करो. उसमें वो जो छंगा आदमी रहता है. जिसके बारे में आमिर को आखिरी में पता चलता है कि उसकी जिंदगी की सभी मुसीबतों की जड़ यही छंगा है. फिर उसको मार के हेलीकॉप्टर में घुसा देता है. फिर रियल लाइफ में उनका पंगा. जब आमिर ने बयान दिया देश की इंटॉलरेंस पर. और परेश ने उनको आड़े हाथ लिया.

https://youtu.be/iG8nNoH6AwU?t=132

80 और 90 के दशक में परेश रावल ने तकरीबन सभी फिल्मों में निगेटिव रोल किए. उस जमाने के लोग जो कुमार शानू और अजय देवगन के फैन हैं. अब भी कभी कभी "जीता था जिसके लिए...जिसके लिए मरता था" गाते हैं. उनको दिलवाले के अजय देवगन में अपना रूप दिखता था. और मामा ठाकुर सबसे ज्यादा घिनहा दुश्मन. वही लोग जब सयाने हुए. घरवालों ने उनका प्रमोशन स्याही पोकने वाली कलम से बॉलपेन तक कर दिया. दिलवाले से आगे निकल कर लोग नौकरी चाकरी वाले हो गए. तो परेश रावल के कलेवर ने भी पल्टी मार दी. 80s और 90s में विलेन और सरदार, तमन्ना जैसी कुछ फिल्मों में बहुत गंभीर किरदार निभाने के बाद परेश कॉमेडियन हो गए.

Advertisement
https://www.youtube.com/watch?v=lrPIWPGPi58

हेराफेरी के बाबूराव गणपतराव आप्टे अपने आप में कल्ट किरदार है भाईसाब. मिडिल क्लास का कम कमाई और बड़े दिल वाला आदमी कैसा हो सकता है. उस रोल में परेश रावल के अलावा किसी और को अब इमेजिन भी नहीं किया जा सकता. अपने किराएदारों से कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ता वो बुड्ढा कब उनके साथ साजिश में शामिल हो जाता है. ये ह्यूमन नेचर के शोध का विषय है. स्वीमिंग पूल में बाल्टी से पानी निकाल कर नहाना सबके बस का काम नहीं है. उस रोल के बाद कितने ही कॉमिक रोल किए. आवारा पागल दीवाना, दीवाने हुए पागल, हंगामा, हलचल, चुप चुपके, भागमभाग. और भाई मालामाल वीकली. उसमें एक्स्ट्रा निकले हुए दांत तो खोपड़ी में घुस गए हैं.

परेश रावल की शादी स्वरूप संपत से हुई है. स्वरूप 1979 में मिस इंडिया रह चुकी हैं. उसके बाद उनका एक्टिंग करियर शुरू हुआ. अपनी शादी से जुड़ा वाकया शेयर किया था परेश रावल ने. जो बड़ा दिलचस्प है.


पत्नी स्वरूप संपत के साथ परेश
पत्नी स्वरूप संपत के साथ परेश

"स्वरूप के पिता जी इंडियन नेशनल थिएटर के प्रोड्यूसर थे. अपने दोस्तों के साथ मैं एक बंगाली ड्रामा देखने गया था. तो वहां स्वरूप को देखा. मैंने अपने दोस्त से कहा कि ये लड़की मेरी वाइफ बनेगी. उसने पूछा जानते हो किसकी बेटी है? मैंने कहा कि मेरी वाइफ बनेगी बस."

https://www.youtube.com/watch?v=8nUwpoTrWFk

एक और माइलस्टोन किरदार था ओह माई गॉड फिल्म का. इसके लिए बहुत तारीफें मिलीं परेश रावल को. कि धर्म के नाम पर जो छीछालेदर और ढोंग मचा है उसकी पोल पट्टी खोल दी. उसके बाद जब से पॉलिटिक्स में एंट्री हुई है तब से खेला कुछ बदला हुआ है. क्योंकि यहां आदमी पॉलिटिक्स को निहायत घटिया चीज समझता है. लेकिन फिर भी हर चौक चौराहे पर बात उसी पर होगी. ट्रेन के जनरल डिब्बों में सीट के लिए झगड़े होते हैं तो स्लीपर में पॉलिटिकल ऑर्ग्यूमेंट्स जीतने के लिए. यहां हर आदमी नेता है और राजनीति से नफरत करता है. उसी चक्कर में परेश रावल की गाड़ी भी हिचकोलें मार रही है. लेकिन हां, उनके स्टारडम में कुछ खास कमी नहीं आई है. राजनैतिक विरोधी भी उनकी फिल्मों के फैन हैं.



वीडियो देखें:  रिया के गिरफ्तार होने पर अंकिता लोखंडे ने जो लिखा, अब उस पर सफाई दी है

Advertisement