ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रही आस्था ने की है.
हर दूसरी औरत को होने वाली इस बीमारी की वजह सेक्स नहीं, ये बैक्टीरिया है
सेफ सेक्स के लिए इन चीज़ों से बचें.

फोटो - thelallantop
भैया, बाथरूम तो साफ़ होगा न? हमने अक्सर औरतों को ये सवाल करते देखा है. इस सवाल के पीछे एक डर होता है. ये डर होता है यूटीआई का. यूटीआई का मतलब है, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन. जिसे आम भाषा में यूरिन इन्फेक्शन कहते है. इसमें औरतों को पेशाब में जलन महसूस होती है. एनसीबीआई (National Centre For Biotechnology Information) की रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस समस्या से ज्यादा परेशान मिलती हैं. आठ में से सिर्फ एक पुरुष इसका शिकार होता है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में देखा गया कि 2016 में हर दो में से एक औरत यूटीआई से ग्रसित है. कैसे पता करें कि हम यूटीआई के शिकार तो नहीं? 1. पेशाब करते समय अगर जलन का एहसास हो तो तुरंत हमें डॉक्टर से मिलना चाहिए. 2. हमें पेशाब जाने की ज़रूरत दो या तीन घंटों में होती है. बहुत जल्दी-जल्दी वाशरूम जाने की इच्छा खतरे की घंटी हो सकती है. भले ही पेशाब कम मात्रा में क्यों न हो. 3. पेट में दर्द कई वजहों से हो सकता है. उन में एक वजह यूटीआई भी हो सकता है. दर्द या भारीपन इसका एक सिम्पटम है. 4. यूरिन अपने आप में एक बदबूदार तत्व है. लेकिन इन्फेक्शन के बाद इस में भी बदलाव आ जाता है. हल्का खून आने की भी संभावना रहती है. 5. अगर ब्लैडर के बाद किडनी तक बैक्टीरिया पहुंच गया है, तो हमें फीवर भी हो सकता है. कैसे फैलता है यूटीआई, क्या करें क्या न करें 1. कई स्टडीज के अनुसार, लगभग 80% यूटीआई ई-कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है. सेक्स के दौरान ई-कोलाई बैक्टीरिया का वजाइना से होते हुए ब्लैडर तक जाना काफी आसान हो जाता है. आम तौर पर लोगों का मानना है कि यूटीआई सेक्स की वजह से होता है. इस में कोई दो राय नहीं है कि सेक्स इसका कारण है. लेकिन सेक्स एकमात्र कारण नहीं है. 2. हमें सेक्स से पहले और उसके बाद सेक्शुअल ऑर्गन को साफ़ ज़रूर करना चाहिए. सेक्स के बाद अगर पेशाब करने की इच्छा नहीं भी हो तो भी हमें एक बार कोशिश ज़रूर करनी चाहिए. इंटरकोर्स के दौरान बैक्टीरिया ब्लैडर तक पहुंच सकते हैं, इसलिए पेशाब करना नहीं भूलना चाहिए. 3. फैमिली प्लानिंग को ध्यान में रखते हुए हम धड़ल्ले से कॉन्डोम्स का इस्तेमाल करते है. लुब्रिकेटेड कॉन्डोम्स बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है. 4. खुशबूदार प्रोडक्ट्स यूज़ करना हम सभी को पसंद है. मुझे भी बहुत पसंद है. लेकिन सेंटेड प्रोडक्ट्स जलन पैदा कर सकते हैं. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम इससे दूर रहें. 5. हम खुद को साफ़ रखने की कोशिश तो करते हैं लेकिन हमें सही तरीके की जानकारी नहीं होती है. अपना डेली काम करने के बाद कभी भी हमें पीछे से आगे की ओर वाइप (पोंछा) नहीं करना चाहिए. जर्म्स हमारे हाथ और टिशू के माध्यम से वजाइना तक ट्रान्सफर हो सकते हैं. और कभी भी एक ही टिशू से दोबारा वाइप नहीं करना चाहिए. 6. अगर आप एक मॉल में हैं और आपको टॉयलेट जाने की जल्दी है पर मॉल के वाशरूम में गंदगी फैली है, बहुत बदबू आ रही है तो आप क्या करेंगे? घर पहुंचने का इंतज़ार? मत कीजिए. ज्यादा देर तक पेशाब रोकने से इन्फेक्शन हो सकता है. टिशू पेपर बिछाकर कमोड पर बैठा जा सकता है. हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी देर हम जगे हैं, हर चार घंटे में अपने ब्लैडर को राहत दें. खासतौर पर अगर हम जिम जाते हैं तो हमें फ्रेश होते रहना चाहिए. 7. ये खास तौर पर औरतों के लिए है. औरतों में गुलाबी रंग की टाइट फिटिंग अंडरगार्मेंट बहुत प्रचलित है. सिर्फ अंडरगार्मेंट ही नहीं, टाइट जींस पहना भी अच्छा लगता है. लेकिन अफ़सोस हम ये नहीं सोचते कि ये हमारे लिए घातक भी साबित हो सकता है. खासतौर पर जो पॉलिएस्टर से बना हो. ऐसे कपड़ों में पसीना ज्यादा आता है. नतीजन नमी होने की वजह से बैक्टीरिया के होने के चांसेज बढ़ जाते हैं. हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कॉटन कपड़े ही पहनें. 8. जब भी हम पेशाब करने जाते हैं, कभी भी ये नहीं देखते कि उसका रंग क्या है. स्वास्थ्य से बढ़कर कुछ नहीं है. बिना शर्म के हमें ये चेक करते रहना चाहिए कि पेशाब का रंग कैसा है. अगर उसका रंग हल्का पीला न होकर ज़रा भी गाढ़ा है तो परेशानी बढ़ सकती है. परेशानी से बचने के लिए खाने के बाद हमें एक ग्लास अधिक पानी पीने की आदत डालनी चाहिए.