भारत में शराब का इंपोर्ट-एक्सपोर्ट
साल – कितने की शराब इंपोर्ट2018-19 – 2.9 हज़ार करोड़
साल – कितने की शराब एक्सपोर्ट
2018-19 – 1.6 हज़ार करोड़
# यानी 2018-19 में भारत ने 2.9 हज़ार करोड़ रुपए की शराब दूसरे देशों से ख़रीदी और 1.6 हज़ार करोड़ रुपए की शराब दूसरे देशों को बेची, जो कि अच्छे नंबर्स हैं.

फिर आता है राज्यों का नंबर
शराब के अर्थशास्त्र में इसके बाद दाख़िल होते हैं राज्य. राज्य शराब बनाने और बेचने पर टैक्स लगाते हैं. इसे एक्साइज ड्यूटी कहते हैं. तमिलनाडु जैसे कुछ राज्य 'वैल्यू एडेड टैक्स' यानी 'वैट' भी लगाते हैं. इसके अलावा इम्पोर्टेड शराब पर स्पेशल फीस, ट्रांसपोर्ट फीस, लेबल और रजिस्ट्रेशन चार्ज भी वसूलते हैं.
व्हिस्की ‘ऑर्डर’ करने में आगे हैं हम
पिछले चार साल में भारत लगातार व्हिस्की के सबसे बड़े इंपोर्टर में से रहा है. 2016 में भारत तीसरे नंबर पर था. 2017 में फ्रांस और अमेरिका को पीछे छोड़कर नंबर-1 हो गया. इसके बाद से ये तीनों देश बाहर से व्हिस्की मंगाने में टॉप-3 में कायम हैं. भारत में व्हिस्की की पांच करोड़ से ज़्यादा बोतलें हर साल दूसरे देशों से आती हैं.

10 साल में ‘कपैसिटी’ दो गुना बढ़ गई
देश में लोगों की ड्रिकिंग हैबिट पर 'दैनिक भास्कर' ने भी एक रिपोर्ट की है. उसमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट का ज़िक्र किया. देश में 15 साल से ऊपर के लोगों की बात करती इस रिपोर्ट के मुताबिक –
साल - शराब की प्रति व्यक्ति खपत
2005 - 2.4 लीटर
2016 - 5.7 लीटर
# खपत सालभर की है. यानी 2005 में 15 साल से ऊपर के लोग साल भर में औसतन करीब 2.4 लीटर शराब पी रहे थे. इसी तरह 2016 में 5.7 लीटर. ये औसत आंकड़ा है. इसका ये मतलब नहीं है कि 15 साल से ऊपर का हर इंसान शराब पीता ही पीता है.
महिला-पुरुषों का आंकड़ा अलग-अलग देखें, तो 2010 में पुरुष सालाना करीब 7.1 लीटर शराब पीते थे. 2016 में ये खपत बढ़कर 9.4 लीटर हो गई. वहीं 2010 में महिलाएं सालभर में औसतन 1.3 लीटर शराब पीती थीं, जो 2016 में बढ़कर 1.7 लीटर हो गई.
ये है शराब का पैसे और लीटर के लिहाज़ से मोटा-मोटा अर्थशास्त्र. इसके अलावा राज्य सरकारें शराब से जिस तरह से पैसा कमाती हैं, उसका अलग सिस्टम है. उसके बारे में सब कुछ यहां
जान सकते हैं.
लॉकडाउन के बीच शराब की दुकानों पर भीड़ देखकर सरकार अपने फैसले पर विचार करेगी?