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पंकज त्रिपाठी की पहली फ़िल्म 'रन' समझते हैं तो गलती कर रहे हैं

‘इंडिया टुडे ई-माइंड रॉक्स’ में पंकज त्रिपाठी ने कई मज़ेदार किस्से सुनाए हैं. यहां पढ़ने का प्रबंध हम कर दिए हैं.

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पंकज त्रिपाठी.
शनिवार, 21 अगस्त ई- माइंड रॉक्स के दूसरे दिन के स्पेशल इवेंट में 'मिर्ज़ापुर' के कालीन भैया यानी पंकज त्रिपाठी ने शिरकत की. दी लल्लनटॉप के एडिटर सौरभ द्विवेदी से हुई बातचीत में उन्होंने अपने गांव के किस्सों से लेकर किरदारों के पीछे की मेहनत तक. सब कुछ तसल्ली से बयां किया. इस ख़ास बातचीत से हमने आपके लिए कुछ ख़ास किस्से निकाले हैं. बाकी India Today E-Mind Rocks के पूरे सेशंस आप
क्लिक करके देख सकते हैं. # जब 15 साल के पंकज त्रिपाठी को दक्षिणा में मिली सिनेमाघर में फ्री एंट्री गोपालगंज की बात है. पंकज त्रिपाठी कक्षा 10 में थे. कोई 15-16 साल के रहे होंगे. एक बुज़ुर्ग महिला के यहां कथा पाठ होना था. पूजा के लिए पूरे गांव में पंडित जी की खोज की गई. लेकिन कोई मिला नहीं. किसी व्यक्ति ने पंकज से कहा कि तुम ही जा कर करा दो ना. पंकज पहुंच गए. पूजा-पाठ कराया. जब चलने को हुए तो दक्षिणा मांगी. उन बुज़ुर्ग महिला के 3 दामाद थे. तीनों एकदम हट्टे-कट्टे और सामने 15 साल के छोटे से पंडित जी पंकज. वे तीनों गोपालगंज की तीन बड़ी टॉकीजों के दरबान थे. उन्होंने पंकज से कहा कि आप तो छोटे से हैं आपको क्या दक्षिणा दें. एक काम कीजिए आज के बाद कभी भी टॉकीज़ में फ़िल्म देखने जब आप आएंगे तो हम आपसे पैसे नहीं लेंगे. इस अनोखी दक्षिणा का परिणाम ये निकला कि पंकज को फ़िल्मों का चस्का लग गया. आगे क्या हुआ पता ही है आपको. #'रन' पंकज त्रिपाठी की पहली फ़िल्म नहीं थी, ये थी एक पिक्चर है जो आधी कल्ट है और आधी फ्लॉप. पिक्चर का नाम है 'रन'. इस फ़िल्म के विजय राज़ वाले जितने कॉमेडी सीन हैं वो कल्ट हैं. मतलब इत्ते कल्ट कि लोग माइंड फ्रेश करने के लिए आज भी देखते हैं. इन कल्ट सीन्स में भी एक सीन है जो अल्ट्रा कल्ट है. सही पकड़े. वही 'कौआ बिरयानी वाला सीन'. सबको मालूम है इस सीन में पंकज त्रिपाठी भी थे. और ज्यादातर लोग इस फ़िल्म को ही पंकज की पहली फ़िल्म मानते हैं.
लेकिन ये बात सत्य नहीं है. 'रन' से पहले पंकज एक कन्नड़ फ़िल्म में छोटा सा रोल कर चुके थे. अपने NSD के दिनों में ही. दरअसल एक कन्नड़ फ़िल्म 'चिगुरीड़ा कनासु' की शूटिंग दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रही थी. कहानी के अनुसार फ़िल्म का हीरो BHU हॉस्टल में होता है. यहां उसका एक 'कॉमेडी टाइप' दोस्त होता है. इस रोल को जो एक्टर करने वाला था वो एन मोमेंट पर कहीं भाग गया. अब सीन कैसे करें. तो फ़िल्म के डायरेक्टर को एक भलेमानस ने बताया कि वो पास के NSD के हॉस्टल में चले जाएं वहां पंकज नाम का एक एक्टर रहता है. उससे ये रोल करवा लें. कुछ देर बाद डायरेक्टर साब पूछते-पाछते पंकज के हॉस्टल के कमरे का किवाड़ खटखटा रहे थे. जैसे ही पंकज ने दरवाज़ा खोला. डायरेक्टर साब बोले 'फटाफट चलो भाई एक रोल करना है, पैसे अच्छे देंगे बस रोल कर दो, शूटिंग रुकी हुई है'. अब दुनिया के किसी भी हॉस्टलवासी की तरह पैसे की बात आते ही पंकज तुरंत तैयार. हाथ-मुंह धोकर अगले मिनट प्रगति मैदान में सीन कर रहे थे. बिना कोई तैयारी के एकदम  इंस्टेंट भी ऐसा काम किया कि डायरेक्टर साब एकदम खुश हो गए. सीन देखते चलें.

और हां एक और बात इस कन्नड़ फ़िल्म 'चिगुरीड़ा कनासु' को नोट कर लीजिए और खोज कर देखिए. क्यूंकि इसी 2003 में रिलीज़ हुई कन्नड़ फ़िल्म की कहानी से प्रेरित शाहरुख़ खान की 2004 में रिलीज़ हुई 'स्वदेस' थी. 'चिगुरीड़ा कनासु' को अब तक की सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फ़िल्म कहा जाता है. #क्यों ठुकरा दिया इता बड़ा हॉलीवुड प्रोजेक्ट लूसी लियु. अमेरिकन एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर हैं. 'चार्लीज़ एंजल्स','किल बिल: वॉल्यूम 1' जैसी फ़िल्मों में एक्टिंग की है. 'एलीमेंट्री' नाम की टेलीविज़न सीरीज़ डायरेक्ट की है. हॉलीवुड का एक बड़ा नाम हैं लूसी. कुछ साल पहले लूसी अपनी एक क्राइम थ्रिलर शार्ट फ़िल्म के लिए एक इंडियन एक्टर तलाश रहीं थीं. ऑडिशन चल रहे थे. पंकज ने भी ऑडिशन दिया और सिलेक्ट हो गए. लूसी इंडिया आईं और पंकज को उनके किरदार के बारे में ब्रीफ किया. रोल सुनने के बाद पंकज ने इस हाईलेवल के हॉलीवुड प्रोजेक्ट को ठुकरा दिया. दरअसल फ़िल्म में जो पंकज का किरदार था उसके छोटी बच्ची के साथ कुछ क्रूरता बरतने के सीन थे. ऐसे भयावह सीन एक बच्ची के साथ परफॉर्म करने को पंकज का मन नहीं माना और उन्होंने प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर दिया.
लूसी लियु. 'चार्लीज़ एंजल्स','किल बिल: वॉल्यूम 1' जैसी फ़िल्मों में नज़र आ चुकी हैं.
लूसी लियु. 'चार्लीज़ एंजल्स','किल बिल: वॉल्यूम 1' जैसी फ़िल्मों में नज़र आ चुकी हैं.

#पंकज कपूर की सीख 2007 में पंकज कपूर और पंकज त्रिपाठी की एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी 'धर्म'. कमाल की फ़िल्म है जिसने नहीं देखी हो फ़ौरन देखे. इस फ़िल्म की शूटिंग बनारस में चल रही थी. वहां की रामनगर हवेली की सीढ़ियों पर शूटिंग के बीच ब्रेक में दोनों पंकज बैठे थे. अगल-बगल से लोग सीढ़ियों से उतर-चढ़ रहे थे. पंकज कपूर ने पंकज त्रिपाठी से कहा 'ये सीढ़ियां देख रहे हो ?' सिनेमा भी ऐसा ही है. मैं ऐसे ही बहुत सालों से सीढ़ियों पर बैठा हुआ हूं. इन सीढ़ियों पर बहुत लोग बहुत तेज़ी से ऊपर जाते हैं और फ़िर लुढ़क जाते हैं. हमारे जैसे अभिनेता वो हैं जो एक जगह इत्मीनान से बैठे हैं और इसी में संतुष्ट हैं. अभिनय, करियर और जीवन ऐसा ही है. एक स्थान पकड़ कर एक ठहराव बनाए रखना ज़रूरी है. पंकज कपूर की ये बात जूनियर पंकज ने उस दिन गांठ बांध ली.
पंकज कपूर एंड त्रिपाठी इन 'धर्म'.
पंकज कपूर एंड त्रिपाठी इन 'धर्म'.

#कहां से आया 'क्रिमनल जस्टिस' का माधव मिश्रा डिज्नी + हॉटस्टार की सीरीज़ में पंकज त्रिपाठी का वकील माधव मिश्रा का किरदार उनके निभाए कुछ शानदार किरदारों में एक है. इस किरदार में ढ़लने का जो पंकज का प्रोसेस रहा वो दिलचिस्प है. जैसे ही शो के राइटर श्रीधर राघवन ने माधव मिश्रा का करैक्टर पंकज जी को ब्रीफ़ किया. पंकज की आंखों के आगे अपने गांव गोपालगंज कचहरी के बाहर बैठने वाले वकील आ गए. जो घरों से काली पन्नी में अपना काला कोट लेकर कोर्ट आया करते थे. लेकिन हफ़्तों तक उस कोट को पन्नी से निकलना नसीब नहीं होता था. पंकज बताते हैं ये किरदार उन्हें उनके अतीत की भी याद दिलाता है जब वो माधव के तरीके से ही एक्टिंग का मौक़ा पाने के लिए भटका करते थे. पंकज कहते हैं अगर वो वकील होते तो बिलकुल माधव मिश्रा जैसे होते.