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'बढ़ता हुए पेट ऊपर चढ़ा है तो लड़की होगी, अगर नीचे लटका है तो लड़का होगा'

मां इन मेकिंग : प्रेगनेंसी से जुड़े अंधविश्वास. और सिर्फ भारत इसमें अकेला नहीं है.

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अंकिता जैन. जशपुर छतीसगढ़ की रहने वाली हैं. पढ़ाई की इंजीनियरिंग की. विप्रो इंफोटेक में छह महीने काम किया. सीडैक, पुणे में बतौर रिसर्च एसोसिएट एक साल रहीं. साल 2012 में भोपाल के एक इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं. मगर दिलचस्पी रही क्रिएटिव राइटिंग में. जबर लिखती हैं. इंजीनियरिंग वाली नौकरी छोड़ी. 2015 में एक नॉवेल लिखा. ‘द लास्ट कर्मा.’ रेडियो, एफएम के लिए भी लिखती हैं. शादी हुई और अब वो प्रेग्नेंट हैं. ‘द लल्लनटॉप’ के साथ वो शेयर कर रही हैं प्रेग्नेंसी का दौर. वो बता रही हैं, क्या होता है जब एक लड़की मां बनती है. पढ़िए ग्यारहवींकिश्त.  MOTHER-IN-MAKING_181216-010423-600x150
वो छोटी दिवाली का दिन था. हमारा पूरा परिवार, पापा के सभी भाई ददिहाल के गांव में हर साल की तरह इकठ्ठा हुए थे. घर में खूब रौनक थी. मिठाइयां बन रहीं थीं. कोई पटाखों की जुगत में था, कोई खील बताशों की. अपनी-अपनी उम्र और पसंद के हिसाब से सब अगले दिन की पुर-जोर तैयारियां कर रहे थे. लेकिन वो तैयारियां उस दिन अधूरी रह गईं.
मेरे बड़े ताउजी के बड़े बेटे की पहली और इकलौती बेटी उस दिन हमें छोड़ कर चली गई. जब घर में उस चार साल की बच्ची की लाश आई तो खुशियों को अचानक से गम के ग्रहण ने ढक लिया. हर तरह सिर्फ रोने और चीखने की आवाजें थीं. वो हमारे खानदान की अगली पीढ़ी की इकलौती औलाद थी, जिसे हमने दिवाली के दिन खो दिया था. इस सब के बीच कुछ और भी ऐसा हुआ जिसे बड़े-बुजुर्ग गलत मानते हैं. वो था किसी का मेरी प्रेग्नेंट मां की गोद में उस मर चुकी बच्ची के कपड़ों को रख देना.
मैं तब 13 साल की थी. हम दो बहनों के बाद मेरी मां प्रेग्नेंट थीं. और पूरी उम्मीद थी कि इस बार भाई आएगा. लेकिन उस एक 'अपशगुन' ने मां के मन में डर पैदा कर दिया था. हालांकि मैंने उन्हें पूरी ज़िन्दगी कभी अंधविश्वासों पर यकीन करते नहीं देखा. लेकिन इस बात को वो अक्सर दोहराती हैं. क्योंकि हमने वाक़ई अपना भाई पैदा होते ही खो दिया था. पूरे नौ महीने की हेल्दी प्रेगनेंसी के बावजूद भी वो चला गया. यूं तो वो डॉक्टर्स की गलती से गया था. क्योंकि डॉक्टर ने गलत अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देकर बच्चे की लेट डिलीवरी की, जिससे वो बस दो घंटे ही जी पाया. लेकिन घर में अब भी कई लोग उस एक किस्से को इसका ज़िम्मेदार मानते हैं. उन्हें लगता है कि अगर एक मरे हुए इंसान के कपड़े मेरी मां की गोद में ना रखे जाते तो शायद आज हमारा भाई जिंदा होता. भारत में ये एक मिथ है कि गर्भवती महिला को मुर्दे के सामने नहीं आने दिया जाता. न ही उसे गमी वाले घर में जाने दिया जाता है. ऐसे में यदि किसी के अपने घर में ही कोई हादसा हो जाए तब भी एक एहतियात बरता जाता है कि प्रेग्नेंट लड़की मुर्दे के सामने ना आए. इसका सच से कितना ताल्लुक़ है ये तो मैं नहीं कह सकती. लेकिन हां इसके पीछे का सच ज़रूर जानना चाहूंगी. इसके अलावा और भी कई ऐसे मिथ हैं हमारे देश में जो प्रेग्नेंट लड़की को चाहे-अनचाहे फॉलो करने पड़ते हैं. मैं या मेरी कई सारी सहेलियां या तो इस दौर से गुज़र चुकी हैं, या गुज़र रही हैं. आज मैं यहां उन्हीं सबके बारे में कुछ बातें आपको बताने जा रही हूं. पर उससे पहले एक मज़े की बात ये बता दूं, प्रेगनेंसी से जुड़े अंधविश्वास सिर्फ हमारे देश में ही नहीं हैं. बल्कि पूरी दुनिया में हैं. कुछ अपने जैसे कुछ अपने से अलग.
प्रेगनेंसी में दोपहर 12 बजे घर से बाहर मत निकलो. शाम में जब दोनों समय मिलते हैं तब घर से बाहर मत निकलो. चौराहों पर मत जाओ. पेट पूरा ढंक कर रखो. घर से बाहर जाओ तो कोयला या लोहा साथ में लेकर जाओ. ये कुछ ऐसे मिथ हैं जो मैंने अपनी प्रेगनेंसी के दौरान सुने.
मैं इन पर यकीन भले ना करूं लेकिन इन्हें मुझे फॉलो करना पड़ता है. फॉलो करने की पहली और आखिरी वजह बस इतनी सी है कि, भले आपको इन अंधविश्वासों पर यकीन न हो, लेकिन कल को किसी भी वजह से आपके या आपके होने वाले बच्चे को परेशानी होती है तो उसके लिए इन्ही सब को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा. और तब आपके पास देने को कोई दलील नहीं होगी. तब आपको अपने मॉडर्न होने के ताने सुनने पड़ेंगे. और ये भी कि अगर आपने बात मानी होती तो शायद सब ठीक होता. इसलिए मैं या मेरे जैसी कई लडकियां जो छोटे शहरों में संभ्रांत परिवारों में रहती हैं यही सही मानती हैं कि “भैया जो बड़े कह रहे हैं चुप-चाप कर लो.” वैसे मेरी मां अंधविश्वास से जुड़ा एक मज़ेदार किस्सा अक्सर सुनाया करती हैं. एक परिवार में नई बहू का आगमन होने वाला था. घर में ज़ोरों से तैयारियां चल रही थीं. तभी कहीं घर के आंगन में एक काली बिल्ली आकर मर गई. सास ने देखा तो बिल्ली ज़ख़्मी थी. शायद किसी कुत्ते से दो-दो हाथ करके आई थी. सास ने सोचा बहू दरवाज़े पर खड़ी है. ऐसे में कहां किसी को बिल्ली को हटवाने के लिए बुलाऊं. माहौल और समय देखते हुए सास ने एक बांस कीे टोकरी से उस बिल्ली को ढंक दिया. उसे ऐसा करते हुए किसी रिश्तेदार महिला ने देख लिया. बस फिर क्या था. वो दुर्घटना उस परिवार में और धीरे-धीरे उस गांव की प्रथा बन गई. जब भी किसी के घर नई बहू आती कहीं से काली बिल्ली को ढूंढकर लाया जाता. उसे मारकर आंगन में बांस की टोकरी से ढका जाता. तभी बहू घर में आती. तो अब आप समझ गए होंगे, कि हमारे देश में आधे से ज्यादा प्रथाएं, कुप्रथाएं हैं. जिनका विज्ञान या तर्क से कोई लेना देना नहीं. लेकिन फिर भी वे चली आ रही हैं. क्यों? क्योंकि हमने उन पर कभी 'क्यों' का सवाल नहीं उठाया. कुछ मजेदार बातें जो मैं अक्सर सुनती हूं.
अगर बढ़ता हुए पेट ऊपर चढ़ा हुआ है तो लड़की होगी, अगर नीचे लटका हुआ है तो लड़का होगा. अगर नमकीन खाने की इच्छा हो रही है तो लड़की होगी, अगर मीठा खाने की इच्छा हो रही है तो लड़का होगा. सुई में धागा डालकर सिलाई मत करो. जमीन पर अगर किसी बाल्टी के रखने पानी का गोल निशान बन गया है तो उसके बीच में पैर मत रखो. झूले पर मत बैठो. अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपको बहुत ज्यादा गैस या सीने में जलन हो रही है तो आपके होने वाले बच्चे के बहुत ज्यादा बाल होंगे.
अरे भाई! होने वाली गैस या जलन का बालों से कोई सम्बन्ध नहीं. क्योंकि बढ़ती हुई प्रेगनेंसी में आपके बढ़ते हुए यूट्रस का साइज़, आपके लीवर और ब्लैडर पर दवाब डालता है, इससे आप जो खाते हैं उसे ठीक से हज़म होने में वक़्त लगता है और दिक्कत भी होती है. इसलिए अगर आप चाहें तो होने वाले बच्चे के बाल कितने होंगे इस पर कंट्रोल कर सकते हैं. मेरा मतलब है अगर आप तरल पदार्थ ज्यादा लें. तला हुआ ना खाएं. थोड़ा-थोड़ा खाएं. और सबसे ज़रूरी चबा-चबा के आराम से खाएं तो आपको प्रेगनेंसी में गैस और जलन की समस्या कम से कम होगी.
मेक्सिको के लोग मानते हैं कि प्रेग्नेंट लेडी को चांदनी रात में बाहर नहीं निकलना चाहिए और उसे हमेशा अपने गले में धातु का कुछ बना हुआ पहने रहना चाहिए. जैसे चाबी. अरब के लोग मानते हैं कि अगर आपको किसी चीज़ की क्रेविंग ज्यादा हो रही है और सिर्फ वही-वही खाएंगे तो आपका बच्चा उसी शेप के बर्थ-मार्क के साथ पैदा होगा. और ये भी कि अगर आपने अपनी प्रेगनेंसी के दौरान खरगोश को देखा तो आपके बच्चे के खरगोश जैसे दांत होंगे. नेटिव अमेरिकन प्रेगनेंसी में बाल कटवाने को गलत मानते हैं. अगर बाल कटवाए तो बच्चे को दृष्टि-रोग हो सकता है. ताइवान के लोग प्रेग्नेंट लेडी को उसके कंधे से नहीं छूने देते. हवाई और अमेरिका के लोग मानते हैं कि प्रेग्नेंट लेडी को गले में ऐसी चीज़ें नहीं पहननी चाहिए जिनमे गोल-गोल लूप बनता हो.
पूरी दुनिया में सवा-सौ से ज्यादा देश हैं. तो आप समझ सकते हैं कितने तरह के अंधविश्वास पूरी दुनिया में होंगे. मैं ये नहीं कहती कि इनमे से सभी पूरी तरह झूठे या मिथ ही होंगे. हो सकता है कुछ का ताल्लुक़ वाक़ई विज्ञान या किसी तरह की सच्चाई से भी हो. लेकिन मेरा मानना बस इतना है कि अपनी ज़िन्दगी में किसी भी बात को अपनाने से पहले हमें उसके 'क्यों' को ज़रूर जान लेना चाहिए. ताकि आप जो कर रहे हैं आपको उसकी वजह पता हो. सवाल करना कोई बुरी बात नहीं. इससे आपके ज्ञान में भी बढोत्तरी होगी और आपको कई नई चीजों के बारे में जानने को मिलेगा. वरना सोच लीजिये आपका होने वाला बच्चा भी किसी भी बात पर बिना सोचे समझे यकीन करना सीख जाएगा. उसे सवाल करना सिखाएं, उसे क्यों पूछना सिखाएं. ताकि वो यूं ही किसी अंधविश्वास के लपेटे में ना आए.
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