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सरदार खान बनना चाहता था ये 'मोस्ट वांटेड' गैंगस्टर, एक सनक के चलते पुलिस से हार गया

ACP के खून की चाह थी, पुलिस ने भी एनकाउंटर कर जान ली.

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रामाधीर सिंह ने सही कहा था कि हिंदुस्तान में जब तक सनीमा रहेगा तब तक ...

दिल्ली के सबसे बड़ा डॉन कहा जाने वाला शिव शक्ति नायडू पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. नायडू पर 2 लाख रुपए का इनाम था. मेरठ पुलिस ने मंगलवार 18 फरवरी को ये एनकाउंटर किया. इस एनकाउंटर में मेरठ पुलिस के डीएसपी दौराला घायल हुए. पुलिस ने जिस फ़्लैट पर छापा मारकर ये एनकाउंटर किया वहां से एक कार्बाइन, एक पिस्टल और कई दर्जन कारतूस मिले.

असल में ये मामला एक लूटी हुई कार से शुरू हुआ. नायडू परोल पर फ़रार था. कई राज्यों की पुलिस उसे ताबड़तोड़ खोज रही थीं. इसी बीच मेरठ के थाना कांकर खेड़ा के वैष्णो धाम इलाके में चोरी की एक कार दिखाई दी. पुलिस को ख़बर मिली. पुलिस पहुंची. मामला कार बरामदगी का ही था, लेकिन जैसा पुलिस ने मीडिया को बताया कि वहां जाते ही पुलिस पर फ़ायरिंग होने लगी. तब पुलिस को लगा कि मामला गड़बड़ है.

कई थानों की फ़ोर्स ने फ़्लैट को घेरा. देर तक फ़ायरिंग हुई और जब पुलिस अंदर पहुंची तो जो घायल अपराधी मिला वो कुख्यात नायडू ही था. मेरठ पुलिस का कहना है कि नायडू अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में मरा. नायडू कैसे दिल्ली का सरगना बना ये कहानी भी अपने आप में झमाझम है.


देर तक चली गोलीबारी में आख़िरकार पुलिस को क़ामयाबी मिली और नायडू को मौत
देर तक चली गोलीबारी में आख़िरकार पुलिस को क़ामयाबी मिली और नायडू को मौत

# कहां से शुरू हुआ ये सफ़र?

जो कहानी मंगलवार 18 फरवरी को दिल्ली से 75 किलोमीटर दूर मेरठ में पुलिस ने ख़त्म की वो दिल्ली से शुरू हुई थी. शक्ति नायडू के पिता बाबूलाल दक्षिण भारत से दिल्ली आकर बस गए थे. बाबूलाल कपड़ों की एक दुकान चलाते थे. शिव शक्ति नायडू पिता की दुकान में हाथ बंटाने लगा. नायडू भी बहुतों की तरह बहुत पैसा कमाना चाहता था. और वो जानता था कि पैसे की मंज़िल का रास्ता उसकी कपड़ों की दुकान से होकर नहीं जाता. इसलिए नायडू ने अपनाया वो रास्ता जिसकी वापसी नहीं होती.

नायडू की शुरुआत दिल्ली के ठक-ठक गैंग से हुई. ये वो गैंग है जिसने लोगों को लूटने का एक अलग ही रास्ता निकाला था. जब तक पुलिस और लोग समझते तब तक इस गैंग ने दिल्ली समेत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों में भी हड़कंप मचा दिया. इसमें होता ये था कि जैसे ही सड़क किनारे कोई कार आकर रुकती थी तो एक शख्स आकर खिड़की पर ठक-ठक करता था. शख्स बगल में कुछ नोट बिखेर देता था. इसके लालच में ड्राइवर बाहर निकलता था. जैसे ही झुककर पैसे बटोरता था वैसे ही पीछे से कोई दूसरा गैंग मेंबर आकर पीछे का दरवाज़ा खोलता और पीछे की सीट पर रखा हुआ पर्स, मोबाइल, लैपटॉप जो भी हाथ लगे लेकर फुर्र हो जाता.


नायडू ने अपना गैंग खड़ा किया तिहाड़ जेल जाने के बाद
नायडू ने अपना गैंग खड़ा किया तिहाड़ जेल जाने के बाद

इसी ठक-ठक गैंग से शुरुआत हुई थी नायडू की. लेकिन चुपचाप चोरी का पैसा बहुत जमा नहीं नायडू को. नायडू ने पकड़ी गैंग वाली डगर. और फिर शुरू हुआ हफ्ता वसूली से लेकर रंगदारी तक और डकैती से लेकर हत्या तक. सबकुछ में हाथ आजमाया नायडू ने.2011 में नायडू पर पहला मुक़दमा सफदरजंग थाने में जानलेवा हमले के लिए दर्ज हुआ. नायडू ने दिल्ली समेत आस पड़ोस के राज्यों की पुलिस को इतना छकाया कि नायडू पर पुलिस ने लाख रूपए का ईनाम रख दिया. एक अलग से स्पेशल सेल बना दी. 6 साल तक तिहाड़ में रहा नायडू. और वहीं से अपना ख़तरनाक गैंग खड़ा किया. नायडू के गैंग में ज़्यादातर नाबालिग बच्चे रंगरूट के तौर पर शामिल हुए. नायडू के गुर्गों ने यूट्यूब पर एक वीडियो भी बनाकर डाला. जिसमें बंदूकों और शराब की जमकर नुमाइश हुई.

बताया जाता है कि नायडू दक्षिणी दिल्ली के नाबालिग बच्चों के लिए रोल मॉडल बन चुका था. फिर लगा नायडू पर मकोका Maharashtra Control of Organised Crime Act (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून) और यहां से नायडू बना दिल्ली में क्राइम का बादशाह.


# हाई प्रोफ़ाइल डकैती

दिल्ली के लाजपत नगर से नायडू ने 8 करोड़ की लूट को अंजाम दिया. उसमें शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा का नाम आया. बताया गया कि पैसा हवाला का था. इसके बाद नायडू गैंग ने जयपुर से 5 करोड़ की लूट की. लुधियाना में 6 करोड़ रूपए की लूट के बाद नायडू गैंग बन गया हाई प्रोफ़ाइल. इसके बाद नायडू का शिकार होने लगे बड़े लोग. पुलिस लगातार भन्नाती रही. टीम बना बनाकर यहां वहां भेजने के बाद भी नायडू पुलिस के हाथ आता नहीं था.


बताया जा रहा है कि नायडू के मारे जाने के बाद दिल्ली समेत कई राज्यों की पुलिस को राहत मिली है
बताया जा रहा है कि नायडू के मारे जाने के बाद दिल्ली समेत कई राज्यों की पुलिस को राहत मिली है

# प्रॉपर्टी के खेल में नायडू

नायडू गैंग ने 2014 के बाद शुरू किया ज़मीनें और फ़्लैट हड़पने का काम. ये लोग ऐसे किसी भी प्लॉट या दुकान मकान पर नज़र रखते थे जिसकी ख़रीद बिक्री में कुछ लफड़ा हो. फिर इसे कब्ज़ा कर लेते थे. इस तरह से नायडू गैंग ने दिल्ली में अकूत पैसा बनाया.


# गैंगस्टर का फ़िल्मी सपना

'वो फ़िल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' का सरदार खान जैसा माफ़िया बनना चाहता था. उसी की तरह गैंग चलाना चाहता था. इसी वजह से उसने दिल्ली के एसीपी ललित मोहन नेगी की हत्या करना चाहता था'.

शिव शक्ति नायडू के बारे में ये बातें तिलकराज ने बताई थीं. तिलकराज भी नायडू के ही गैंग में शामिल था. लेकिन 30 जनवरी 2020 की रात तिलकराज पर नायडू ने ही गोली चला दी.

तिलकराज को मालूम हुआ कि नायडू अब पुलिस से ही टक्कर लेने जा रहा है. गाड़ी में तिलकराज अपने भतीजे हनी के साथ बैठा था. गाड़ी में ही नायडू ने बताया कि वो दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल एसीपी ललित मोहन का मर्डर करने जा रहा है. और इसमें नायडू तिलकराज और हनी को भी शामिल करना चाहता था.

तिलकराज और उसका भतीजा हनी इस काम में शामिल नहीं होना चाहते थे. खद के अलावा वो नायडू को भी रोक रहे थे. मगर नायडू पर ताक़त और सनक दोनों सवार थे. तिलकराज का कहना था कि पुलिस पर ऐसे हमला करने से तो पूरा गैंग ही ख़त्म हो जाएगा. लेकिन नायडू एसीपी को मारना ही चाहता था.

नायडू ने पूरा प्लान भी बनाकर रख लिया था. नायडू के पास पक्की जानकारी थी कि एसीपी ललित मोहन एक शादी में शामिल होने जा रहे हैं. इसी बात पर तिलकराज और हनी से नायडू की कहासुनी शुरू हुई. जो हाथापाई में बदली और फिर गाड़ी में ही गोलियां चल गईं.

नायडू ने तिलकराज और उसके भतीजे पर गोलियांचलाईं. हनी इस गोलीबारी में मारा गया और तिलकराज जिंदा बच गया. इन तीनों ने कुछ दिन पहले ही करोड़ों रूपए की लूट की थी. पुलिस को शुरुआत में लगा कि ये लूट का माल बांटने में हुई हत्या है. लेकिन गिरफ़्तार होने के बाद तिलकराज ने बताया कि वो नायडू को एसीपी के मर्डर से रोक रहा था इसलिए ये सब हुआ.

नायडू की जानकारी पक्की थी. उसकी बताई तारीख़ पर एसीपी उस शादी में शामिल हुए भी थे. इसी के बाद मेरठ और दिल्ली पुलिस चौकन्नी हो गई थी. 18 फरवरी को पुलिस को जैसे ही शक हुआ, उन्होंने कोई मौका नहीं छोड़ा.

अंत वैसा ही हुआ जैसा हर गैंगस्टर का होता है.




वीडियो देखें:

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