और क्या-क्या आता है चीन से?
इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट बड़ी-छोटी मशीनरी (इसमें 10 रुपए की दाढ़ी बनाने वाली रेजर से 10 लाख की CNC मशीन तक हो सकती है) ऑर्गेनिक केमिकल फर्टिलाइजर फर्नीचर, लाइटिंग मेडिकल और टेक्निकल इक्विपमेंट लोहे और स्टील के प्रॉडक्टइत्ता तो मोटा-मोटी आंकड़ा है, जो एकदम सीधा है. पेच इससे ज्यादा बड़ा है. जो सामान तुम मेड इन इंडिया या विएतनाम या फिनलैंड समझकर यूज कर रहे हो, उसमें भी कोई न कोई चीज चाइना की होगी. जैसे फोन फिनलैंड का बना है तो इयरफोन विएतनाम का होगा और बैटरी चीन की. तो बैटरी निकाल के फेंक दोगे क्या? कहोगे हमको जापान वाली बैटरी दो. बता दें कि करीब 10 साल पहले नोकिया 1110 की बैटरी में बड़ी दिक्कत आई थी. BL-5C बैटरी जो जापान में बनी थी वो दग जाती थी. लेकिन चीन वाली धकाधक चल रही थी. तब हमको भी झटका लगा था कि जापान चीन से भी घटिया सामान बना रहा है क्या बे?
मोबाइल हो, कैलकुलेटर हो या टीवी रिमोट. बिना डायोड के नहीं बन सकते. और साइज में सबसे छोटे और उन्नत डायोड चीन बनाता है. हमारे देश में वो बनते ही नहीं. किसी और देश से भी आएगा तो 10 गुना रेट होगा. तो बिना रिमोट के ही टीवी चलाओगे अगर चीन से डायोड न आए. बल्कि टीवी भी नहीं चला पाओगे. इसके अलावा LED. लाइट में जो चम चम चम चम चलती रहती है. शादी-ब्याह से लेकर माता के जगराते में जो जगमग होती है, उनके पीछे चीन की LED होती है. भारत भी LED बनाता है और अच्छी बनाता है. लेकिन उनको खरीदना लोवर क्लास के आदमी से बस के बाहर की बात है. आपके घर में खड़ी मेड इन इंडिया बाइक के आधे पार्ट्स चीन में बने होंगे. आपकी बालकनी में जो डिजायनर MDF या माइका कटकर पेंट होकर लगा है, वो कटा होगा चीन से आई CNC मशीन पर और उसमें पेंट भी चीन का हुआ होगा. अभी नई-नई सोलर लाइटें लगनी शुरू हुई हैं देहातों में. उनमें सोलर पैनल चीन का लगा होता है, बैटरी भारत की. माइक्रोवेव, कालीन, टाइल सब तो चीन से आता है, क्या क्या निकालकर घूरे पर फेंक दोगे?फौज में इस्तेमाल होने वाली बंदूकों से लेकर टैंकों, नेवी के जहाजों से लेकर फाइटर प्लेन्स तक में पार्ट्स चीन के ही लगे होते हैं. राफेल प्लेन का तो पता ही होगा. ये हो सकता है कि मिठाई अग्रवाल स्वीट्स की हो और उसके डिब्बे पर चढ़ी पन्नी चीन की. महंगी वाली कातिल दारू स्कॉटलैंड की हो और उसकी बोतल चीन में बनी हो. अब तौलो अपने यहां की इकॉनमी और लग्जरियस लाइफ को. कि बिना चीन के सामान के यहां कितनी बड़ी उठापटक होगी.
फिर क्या करें
चाइना का नुकसान उनका सामान मंगाना बंद करने से नहीं होगा. बल्कि यहां से जो चीजें चाइना जाती हैं, उन पर रोक लग जाए. हालांकि है ये भी प्रैक्टिकली नामुमकिन, लेकिन विश्वयुद्ध के हालात हों तो ऐसा हो भी सकता है. उसके पहले नहीं. पहले ये देखो-हम भेजते क्या हैं
गेहूं, चावल ऑटोमोबाइल जड़ी-बूटी और ऑर्गेनिक दवाएं समुद्री खाना ताजे लजीज और सेहत बढ़ाने वाले फल और सब्जियां मसाले रुई माने कॉटन टेक्सटाइल लौह अयस्क और कोयला वगैरह जैसे कच्चे मालतो देखो कि खाने का तमाम सामान इंडिया से चीन जाता है. तो सरकार से कहो कि ये बंद कर डाले. दवाई वगैरह भी. तकनीक और पावर माने लोहा. लोहे से वो अरबों का सामान बनाकर बेच रहे हैं. कच्चा लोहा यहां से जा रहा है. भले पूरा नहीं लेकिन मतलब भर का. जिससे अच्छा खासा असर पड़ सकता है उनके व्यापार पर. देखो हम पक्की तैयारी नहीं कर रहे हैं उनकी बधिया बिठाने की, लेकिन हल्का सा जुगाड़ बताए हैं. अगर लागू कर सको तो करो. नहीं तो चाइनीज झालर का बैन करके अपने ही देश के दुकानदारों की वाट लगानी है तो एवमस्तु.
ये भी पढ़ें: चाइनीज सामान का बायकॉट अकेले कर लो, पीएम न करेंगे दुनिया खत्म हो, उससे पहले इन भारतीयों को नोबेल प्राइज जरूर मिले