जब देश की संसद में गाली दी जाने लगे, तो समझ जाइए कि कुछ गड़बड़ है. जब नेताओं के धर्म पर टिप्पणी की जाने लगे, उन्हें आतंकी जैसे शब्दों से नवाजा जाने लगे, तो समझिए कि चुने हुए प्रतिनिधि अपनी राह से भटक गए हैं. उन्हें कोर्स करेक्शन की जरूरत है. उन्हें आचरण के कनेक्शन की भी जरूरत है. और आज के शो में हम इसी बारे में बात करेंगे. संसद में कल रात हुई भद्दी-हिंसक घटना की बात करेंगे. तफतीश करेंगे लोकसभा स्पीकर द्वारा की गई कार्रवाई की.
लोकसभा में बसपा सांसद को गाली देने वाले बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई कब होगी?
लोकसभा में बसपा सांसद को गालियां देने वाले बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी के खिलाफ विपक्ष कार्रवाई की मांग कर रहा है.

"भड़वा, कटुआ, मुल्ला उग्रवादी, आतंकवादी... मुझे ये शब्द कहे गए. इस महान देश के लिए एक अल्पसंख्यक सदस्य और एक चुने हुए सांसद के तौर पर मेरे लिए ये बहुत दिल दुखाने वाली घटना है. खासकर तब, जब ये घटना नए संसद भवन में आपके नेतृत्व में हो रही है."
ये शब्द अमरोहा से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली के हैं. उन्होंने लोकसभा स्पीकर चिट्ठी लिखकर रमेश बिधूड़ी के खिलाफ जांच करने की मांग की.
कल यानी 21 सितंबर को स्पेशल सेशन के आखिरी दिन लोकसभा में देश के वैज्ञानिकों और चंद्रयान की उपलब्धि पर बात हो रही थी. तभी एक सांसद अपनी सीट से खड़ा होता है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का सांसद. नाम है रमेश बिधूड़ी. लोकसभा क्षेत्र दक्षिणी दिल्ली. लोकसभा क्षेत्र इसलिए साफ-साफ बोल रहा हूं ताकि इस लोकसभा के वोटरों के कान भी खड़े होने चाहिए आगे आने वाली बातें सुनकर. उनकी भी चेतना हिल जानी चाहिए.
तो ये रमेश बिधूड़ी अपनी सीट से खड़े हुए. अपना भाषण पढ़ना शुरु किया. इस समय चेयर पर बैठे थे कोडिकुन्नील सुरेश. केरल से आनेवाले कांग्रेस के लोकसभा सांसद. लोकसभा और राज्यसभा में अक्सर ऐसा होता है कि स्पीकर अपनी कुर्सी से कुछ देर के लिए उठते हैं तो किसी व्यक्ति को कुछ देर के लिए कुर्सी पर बिठा देते हैं. तो बिधूड़ी जब बोल रहे थे तो विपक्ष की बेंच से हल्ला हो रहा था. यूपी के अमरोहा से आने वाले बसपा सांसद कुंवर दानिश अली की आवाज तेज सुनाई दे रही थी. रमेश बिधूड़ी को शायद पढ़ने बोलने में दिक्कत हुई होगी. रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली को गाली दे दी. गाली देते-देते वो विशेषणों का इस्तेमाल करते. उग्रवादी-आतंकवादी जैसे विशेषण. यही वो गालियां, जो अभी हमने आपको ऊपर बताईं. कुछ सेकंड तक देश ने सांसद का ये घटिया काम लाइव देखा.फिर जिसकी संभावना लग रही थी, वैसा हुआ भी. रमेश बिधूड़ी का वो वाला हिस्सा सदन की कार्रवाई से एक्सपंज कर दिया गया. हटा दिया गया. अब वो हिस्सा टीवी चैनलों पर नहीं चलेगा, खबरों में नहीं प्ले होगा. संसद की कार्रवाई से हटाए गए हिस्से के साथ ऐसा ही होता है.
लेकिन प्यारे दर्शको, रमेश बिधूड़ी ने जिन गालियों-शब्दों का इस्तेमाल किया, अगर वो सदन की कार्रवाई से हटाए न गए होते, तो भी शायद हम आपको वो शब्द सुना नहीं सकते थे. लेकिन फिर दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. ये ऐसे शब्द थे, जो किसी धर्मविशेष के व्यक्ति को अपमानित करने के लिए कहे जाते हैं. ऐसे शब्द जो किसी व्यक्ति को या किसी धर्म को आतंकवाद से जोड़ देते हैं. इतना घुमाकर क्यों कहें? ऐसे शब्द जो देश में अक्सर अल्पसंख्यकों - खासकर मुसलमानों - को अपमानित करने के लिए कहे जाते हैं.
अब आप देखिए कि जब ये घटना हुई तो कार्रवाई क्या हुई थी? सूत्र बताते हैं कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने बुलावा भेजा. रमेश बिधूड़ी हाजिर हुए. चेतावनी दी गई. क्या चेतावनी? अगली बार ऐसा करोगे तो कड़ी कार्रवाई होगी. चेतावनी देने के बाद छोड़ दिया गया. सदन के भीतर तो ये कार्रवाई हुई, बाहर भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. आपके मन में ये सवाल उठेगा कि कौन हैं रमेश बिधूड़ी जिन्हें बस एक चेतावनी के साथ छोड़ दिया गया. वो दक्षिणी दिल्ली लोकसभा से सांसद हैं, भाजपा नेता हैं, ये तो हमने आपको बता दिया. पूरी कहानी कुछ ऐसी है.
इस वक्त आपकी स्क्रीन पर एक दस्तावेज दिख रहा है. ये चुनावी हलफनामा है रमेश बिधुड़ी का. जिसे उन्होंने 2019 के आम चुनाव के वक्त पर्चा भरते वक्त दाखिल किया था. इसमें रमेश बिधूड़ी ने बताया था कि वो बीकॉम और एलएलबी डिग्री धारक हैं. इसी शपथ पत्र में उन्होंने बताया है कि उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले लंबित हैं. एक मामले में IPC की धारा 323, 34 का जिक्र है. और दूसरे में 500 और 502. आगे बढ़ें इससे पहले इन धाराओं के बारे में बता देते हैं.
- धारा 323 यानी जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
- धारा 34- जब कई लोग समान इरादे से किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होते हैं
- 500 और 502 मानहानि से जुड़ी धाराएं हैं.
बिधूड़ी के हलफनामे को खोजते हुए हमें इंडियन एक्सप्रेस की 2019 की ये खबर भी दिखी जिसके मुताबिक 5 जुलाई 2019 के दिन दिल्ली हाईकोर्ट ने बिधूड़ी से उस याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें उनपर चुनावी हलफनामें में एक आपराधिक मामले का जिक्र ना करने का आरोप लगा था. ये याचिका 2019 के चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के नेता राधव चड्ढा ने दायर की थी. 2019 के चुनाव में रमेश बिधूड़ी और राघव चड्ढा दक्षिण दिल्ली की सीट पर एक दूसरे के प्रतिद्वंदी थे. जीत बिधूड़ी की हुई थी.
2014 के चुनाव में भी रमेश बिधूड़ी ने साउथ दिल्ली की सीट से चुनाव लड़ा और बीजेपी के टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे. इससे पहले वो तीन बार दिल्ली की तुगलकाबाद सीट से विधायक भी रह चुके हैं. रमेश बिधूड़ी के साथ विवादों का कीवर्ड पहले भी जुड़ा है. 2019 की इंडिया टुडे की ये रिपोर्ट कहती है कि 31 अक्टूबर, 2018 के दिन एक कार्यक्रम के दौरान बिधूड़ी पर अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओँ के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार के आरोप लगे. बिधूड़ी का नाम साल 2021 में भी विवादों में आया. महीना सितंबर का ही था. वो दिल्ली में आयोजित RSS के एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम इमरान खान को खरी खोटी सुना रहे थे. इस दौरान रमेश बिधूड़ी ने कहा था- 'जहां भी मुस्लिम बहुमत में आ जाते हैं वहां हिंसा होती है, रक्तपात होता है.'
ये हैं रमेश बिधूड़ी. और जिनके खिलाफ उन्होंने बयान दिया - कुंवर दानिश अली वो कौन हैं? यूपी के हापुड़ में पैदा हुए दानिश ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत जनता दल सेक्यूलर पार्टी से की और पार्टी के महासचिव भी बने. 2019 के चुनाव के वक्त दानिश अली मायावती की पार्टी बसपा में शामिल हो गए. बीएसपी ने उन्हे अमरोहा से टिकट दिया और वो जीत कर संसद की दहलीज तक पहुंचे. पिछले महीने यानी अगस्त में भी दानिश अली का नाम खबरों में छाया रहा. जब अमरोहा में एक शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान दानिश अली और MLC डॉ. हरि सिंह ढिल्लों के बीच 'भारत माता की जय' को लेकर तीखी नोक झोंक हुई थी.
अब नेताओं की भूमिका से खबर पर वापिस लौटते हैं. और संसद का ट्रेंड देखते हैं. अगर हालफिलहाल में सांसदों के निष्कासन का सिलसिला देखें तो इसमें कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का नाम आता है, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन का नाम आता है, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का नाम आता है, ऐसे कई नाम आते हैं कि जो भाजपा से नहीं जुड़े हैं और उन्हें संसद में मिसकंडक्ट के लिए निष्कासित कर दिया जाता है. लेकिन रमेश बिधूड़ी को निष्कासित नहीं किया जाता है. फिर से सुन लीजिए कि उन पर क्या एक्शन होता है? उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है कि अगली बार कुछ ऐसा किया तो कड़ी कार्रवाई झेलनी होगी.
बहस इस प्वाइंट से आगे जाती है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह माफी मांगी मांगते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर बताती है कि राजनाथ सिंह ने स्पीकर, डिप्टी लीडर और सदन से रमेश बिधूड़ी के बयान के लिए माफी मांगी. लेकिन रमेश बिधूड़ी ने क्या कहा? कुछ नहीं. माफी मांगी? अभी तक तो नहीं. इंडिया टुडे से बातचीत में इस मुद्दे पर कोई भी कमेंट करने से मना कर दिया. बहाना क्या गिनाया? सदन के अंदर की बात है. उस पर बाहर बात नहीं कर सकते हैं.
लेकिन घटना के बाद वो ट्वीट जरूर कर रहे हैं. कभी नारीशक्ति वंदन बिल पर, कभी फ्री हेल्थ कैंप की जांच पर, कभी नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों पर. उन्हें प्रेरणा बताकर वो ट्वीट कर रहे हैं. लेकिन रमेश बिधूड़ी को कभी ये नहीं लगा कि नरेंद्र मोदी से सीख ले लेनी चाहिए? वो चाहते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा धैर्य बरत सकते थे, टोके जाने पर नरेंद्र मोदी जैसा कटाक्ष करते हैं, वैसे कर सकते थे. कटाक्ष कर सकते थे. या तो नरेंद्र मोदी की वो बात भी मान सकते थे, जो नई संसद में पहले भाषण में नरेंद्र मोदी ने कहा था. सांसदों के आचरण को लेकर. कि आपका आचरण तय करेगा कि आप संसद में सत्ता वाली साइड में बैठेंगे, या विपक्ष वाली साइड. बिधूड़ी ने बात नहीं मानी. उन्होंने अनुसरण भी नहीं किया. उन्होंने स्पीकर ओम बिड़ला की व्यवहार-आचरण को लेकर दी गई हिदायत को भी अपने जेहन में नहीं रखा. रमेश बिधूड़ी ने गाली दी, और इसके आगे कोई भी सफाई-बयान देने से मना कर दिया. और बहाना बना दिया.
रमेश बिधूड़ी ने बहाना तो गिना दिया. लेकिन जनता सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पूछ रही है कि भाजपा के सांसद रविशंकर प्रसाद और डॉक्टर हर्षवर्धन के पास क्या बहाने होंगे? क्योंकि रमेश बिधूड़ी जब लोकसभा में खड़े होकर पूरे सदन और पूरे देश के सामने गाली बक रहे थे, उनके ठीक पीथे बैठे डॉक्टर हर्षवर्धन और रविशंकर प्रसाद बैठकर हंस रहे थे. ये शर्मनाक रवैया है. ये रवैया तब और शर्मनाक लगता है, जब आप देश की केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा रह चुके हों. आपके पास क्या बहाने हैं, माननीय?
रविशंकर प्रसाद की प्रतिक्रिया नहीं आई है. हर्षवर्धन की प्रतिक्रिया आ गई है. एक्स उर्फ ट्विटर पर उन्होंने पोस्ट लिखी. पोस्ट में हर्षवर्धन ने लिखा,
"चांदनी चौक की ऐतिहासिक गलियों में फाटक तेलियान, तुर्कमान गेट में पैदा हुआ हूं. अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ खेला है. मैं चांदनी चौक के प्रतिष्ठित निर्वाचन क्षेत्र से सांसद के रूप में जीतकर बहुत खुश हूं और यदि सभी समुदायों के लोगों ने मेरा समर्थन नहीं किया होता तो ऐसा कभी संभव नहीं हो पाता."
फिर हर्षवर्धन ने कहा है कि लोगों ने मुझे इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में बेवजह घसीटा है, जहां दो सांसद सदन में एक-दूसरे के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे. सच बात तो यह है कि उस शोर-शराबे में मैं स्पष्ट रूप से कुछ भी समझ नहीं पा रहा था.
इस बयान पर ध्यान दीजिए. अब यहां हर्षवर्धन ने एक महीन-सी बात कही है. बात ये है कि दो सांसद सदन में असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे. यानी क्या दानिश अली भी गाली दे रहे थे? या असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे? ऐसी खबरें अभी तक तो नहीं आई हैं, आएंगी तो हम आप तक जरूर लेकर आएंगे.
लेकिन सवाल उठेंगे लोकसभा स्पीकर की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति पर. उस समय तो बैठे थे केरल से आने वाले कोडिकुन्नील सुरेश. और वीडियो में साफ दिख रहा है कि जिस समय रमेश बिधूड़ी गाली दे रहे थे, उस समय कोडिकुन्नील सुरेश विपक्ष वाली साइड को शांत करा रहे थे. उनका चेहरा और उनका ध्यान सत्ता पक्ष वाली साइड कम ही था. लेकिन यहां पर उन्हें एक बेनेफिट ऑफ डाउट दिया जा सकता है. संदेह का लाभ. वो लाभ है भाषा का. वो केरल से आते हैं तो ये संभव है कि उन्हें हिन्दी न मालूम हो. या मालूम भी हो तो एकदम हो सकता है कि उतने अच्छे तरीके से न मालूम हो, जितने अच्छे से रमेश बिधूड़ी को आती है.
इस घटना के सामने आने के बाद प्रतिक्रिया आ रही है. विपक्ष के तरकश में तीर हैं. राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा. उन्होंने कहा कि हम दुखी है, लेकिन आश्चर्य नहीं हो रहा है. ये प्रधानमंत्री के वसुधैव कुटुंबकम का सच है.
इसके साथ तृणमूल से लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा की भी प्रतिक्रिया आई. निशाना नरेंद्र मोदी और ओम बिरला पर. एक्स पर कहा कि नरेंद्र मोदी ने देश के मुसलमानों को डर में जीने के लिए बाध्य कर दिया. साथ ही ओम बिड़ला से कहा कि क्या हुआ सर, अब मर्यादा गरिमा भूल गए? शर्मनाक. वो ओम बिड़ला द्वारा चेतावनी देकर छोड़ दिए जाने पर टिप्पणी कर रही थीं. और यही बात दानिश अली की पार्टी बसपा की प्रमुख मायावती का कहना है, उन्होंने कहा कि समुचित कार्रवाई न करना दुखद है.
कश्मीर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने कहा कि लोकसभा की घटना दिखती है भाजपा मुस्लिम समाज के प्रति क्या सोच रखती है. बयान आया सपा की ओर से. सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि दानिश अली जी पर टिप्पणी के बाद मानहानि का दावा अगर हो रहा है तो हमें उम्मीद है उन्हें न्याय मिले.
अभी तक भाजपा से नोटिस के अलावा कोई बात या बयान नहीं आए हैं. क्योंकि 21 सितंबर की कार्रवाई में जब अधीर रंजन चौधरी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टोका था - चीन पर बात करने की हिम्मत है? तो राजनाथ सिंह ने कह दिया था कि है हिम्मत. सीना चौड़ा करके बहस करेंगे. तो लोग - खासकर विपक्षी पार्टियों के ऑनलाइन सपोर्टर ये पूछने लगे हैं कि रमेश बिधूड़ी पर भी बहस करने का या बात करने के लिए सीना चौड़ा होना ही चाहिए.
ये देश के वो लोग हैं, जो संसद में बैठते हैं तो देश को भरोसा होता है कि ये हमारे लिए कानून बनाएंगे. ये हमारी बात सुनेंगे. इन्हें माननीय कहा जाता है. इलाके के वोटर काम कराने के लिए घूमते हैं. चिट्ठी-अर्जी लेकर. लेकिन माननीयों को माननीय बने रहने की जिम्मेदारी निभानी होगी. संसद में बैठकर व्यक्ति संसदीय नहीं हो जाता, लेकिन संसदीय होने की वर्जिश में शामिल होना जरूरी है। हम आपको देख रहे हैं. लोग आपको देख रहे हैं.