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शराब पर इतना कड़ा पहरा, सुशासन बाबू इन शायरों का श्राप लगेगा!

अगर घर में शराब की बूंद मिली तो जेल हो सकती है. नीतीश बाबू, क्या तुमने ये शेर पढ़े हैं?

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REUTERS

ऐ मोहतसिब ना फेंक मेरे मोहतसिब ना फेंक जालिम शराब है, अरे जालिम शराब है.

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बिहार के मोहतसिब मतलब कानून बनाने वाले 'सुशासन बाबू' नीतीश कुमार हैं. लगता है उनके लिए ही ये शेर कहा था जिगर मुरादाबादी ने. पर साहेब सा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है. वो चीज क्या हैं, खुद उन्हें मालूम नहीं है. साहेब का नया फरमान आया है शराबबंदी को लेकर. जान लीजिए क्या पाबंदियां लगाई हैं. 1. अगर किसी के आशियाने में या बागबां के दरख़्त पर भी दारू की एक बूंद चस्पा है, तो घर की नाजनीनों को भी साहेब बेड़ियां पहना देंगे. मतलब पूरा परिवार जेल जाएगा. 2. अगर किसी के घर में शराब की एक बूंद भी मिलती है, तो पूरा घर सरकार ले लेगी. 3. अगर शौहर कहीं पे भी दारू पीता है और पकड़ लिया जाता है, तो उसकी बीवी भी साहेब की अदालत में गुनाहगार है. चाहे उसे शौहर के गुनाह के बारे में पता हो या न हो. यहां साहेब मान के चलते हैं कि बीवियां दारू को हाथ नहीं लगातीं. मोहतसिब की दुनियादारी की समझ पर फख्र है. 4. किसी शहर या गांव में अगर कुछ 'काफिर' शराब से तौबा नहीं करते, तो डिस्ट्रिक्ट कलक्टर को अधिकार है कि वो पूरे गांव या शहर पर जुर्माना ठोंक सकता है. 5. अगर किसी कंपनी का कोई कर्मचारी दारू के संग इश्क लड़ाते पकड़ा जाता है, तो कंपनी के मालिक को भी कानून उठा ले जाएगा. कम से कम 8 साल की सजा है!  

ज़ाहिद शराब पीने से काफिर हुआ मैं क्यूं? क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया?

ये शेर शायर मोहम्मद इब्राहिम जौक ने कहा था. क्या सच में मुख्यमंत्री को ऐसा लगता है कि 'दो पैग' लगाकर मूड सेट करने वाले क़त्ल से ज्यादा संगीन अपराध कर रहे हैं? हां, ये जरूर है कि 'दारूबाज़' अपने परिवार में नरक फैला देते हैं. पर ऐसे कितने लोग हैं? 8 करोड़ की आबादी में ऐसे लोग एक लाख के आस-पास हैं. उनको डॉक्टर की जरूरत है. मेडिकल साइंस ऐसा मानता है कि पियक्कड़ मानसिक बीमारी के शिकार होते हैं. इसका ईमान-धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता. और ऐसे लोग भी होते हैं, जो दो पैग के बाद दुनिया को जन्नत बना देते हैं. उनका क्या? फिर सुना है कि सुशासन बाबू किसी विशेषज्ञ को ला रहे हैं. वो दारू बैन होने के बाद बिहार में बदलाव की बयार को नापेगा. पर पिछले कई सालों से देश के बाकी विशेषज्ञ चीख-चीख कर कह रहे हैं कि दारू बैन होने से नए चौधरी आ जाते हैं. वो दूध की तरह दारू का उठौना लगवा देंगे. धरती कभी वीरों से खाली नहीं रही है, तो नए विशेषज्ञ की नजर में पुराने क्या चेलांटू हैं? नए वाले को क्या हर चीज की समझ है? शायर इस बात को खूब समझते हैं.

'जौक' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला, उनको मयखाने में ले आओ, संवर जाएंगे.

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सुशासन बाबू, इतनी नफरत ठीक नहीं है. ये तालिबान की याद दिला रही है. हर ब्लॉक में दारू के ठेके आप ने ही खुलवाए थे. उसके पहले तो मामला सेट ही था. हर जिले में एक दुकान रहती थी. जिसको मयस्सर थी, पीता था. पर आपने ये क्या किया? नकली शराब बैन कर देते. कानून पर कानून लाए जा रहे हैं. जैसे दारू बैन कर उत्तरी बिहार में बाढ़ रोक देंगे. शराब रोकने की ख्वाहिश में आप की तिश्नगी (प्यास) बढ़ती जा रही है. कहीं ये शेर आपके लिए ही तो नहीं था.

पीता हूं जितनी उतनी बढ़ती है तिश्नगी साकी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में.

डर लगता है हमें अब बिहार जाने से. आपके कानून के मुताबिक दिल्ली से पीकर चला हुआ इंसान पटना उतर जाए तो दस साल की सजा देंगे आप. आप खलीफा बन रहे हैं. हमें लगता है 'खुदा-खुदा' खेल रहे हैं. किस कंपनी को लाएंगे आप बिहार में प्लांट लगाने के लिए? गूगल? क्या उसका स्टाफ गो-मूत्र पिएगा? या उनसे कहोगे कि बिहार से बाहर जाकर पियो? या अपने टॉप अफसरों से कहेंगे कि अपनी आलमारी से महंगी वाली निकाल के पिला दो इनको? अब ये मत कहियेगा कि अफसरान ने पीना छोड़ दिया है. हम तो बस इतना ही कहेंगे,

शिकन ना डाल जबीं पर शराब देते हुए ये मुस्कुराती हुई चीज मुस्कुरा के पिला.

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