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अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: अंतर्द्वंद्व

वैभव दूना, अंतर सूना, कहूं प्रगति या प्रस्थलांतर?

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अटल बिहारी की सरकार मायावती और बसपा के सांसदों ने गिराई थी, ऐसा कहा जाता है.
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री. एक बार नहीं तीन बार उन्हें इस राष्ट्र के प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ. लेकिन वो सिर्फ नेता नहीं थे, उन विरले नेताओं में से थे, जिनका महज साहित्य में झुकाव भर नहीं था. वो खुद लिखते भी थे. कविताएं. विविध मंचों से और यहां तक कि संसद में भी वो अपनी कविताओं का सस्वर पाठ कर चुके हैं. उनकी कविताओं का एक एल्बम भी आ चुका है जिन्हें जगजीत सिंह ने भी अपनी अावाज़ दी है. पढ़िए उनकी कविता-

अंतर्द्वंद्व  

क्या सच है, क्या शिव, क्या सुंदर? शव का अर्चन, शिव का वर्जन, कहूं विसंगति या रूपांतर?

वैभव दूना, अंतर सूना, कहूं प्रगति या प्रस्थलांतर?


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