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ऑनलाइन खरीदारी के वक़्त आपने जिस पर गौर नहीं किया, सरकार ने उसके लिए कंपनियों को लपेट लिया

सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों से कह चुकी है- हर सामान का 'कंट्री ऑफ़ ओरिजिन' बताओ.

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(फ़ोटो: सांकेतिक)
इंडिया में 'बॉयकॉट चाइना' का खूब हल्ला हुआ. लोगों ने अपने टीवी छत से फेंक दिए, मोबाइल कचर दिए. फिर लोगों ने सवाल उठाया कि भाई कितने सामान कुचलोगे. ओप्पो, वनप्लस, वीवो और रियलमी टाइप के फ़ोन तो इंडिया में ही असेम्बल होते हैं. फिर क्या वो चीनी कहलाएंगे? लोगों के सामने धरम संकट. क्या चीनी माल है और क्या नहीं? लेकिन चीन और भारत के बीच खराब हुए हालात के पहले ही सरकार एक काम कर चुकी थी. वो ये कि इंटरनेट के ज़रिये सामान बेचने वाली कंपनियों से कह चुकी थी कि हर सामान का 'कंट्री ऑफ़ ओरिजिन' बताओ. माने प्रोडक्ट के साथ ये भी लिखो कि ये आइटम बना कहां है. इंटरनेट की इन दुकानों, जैसे ऐमज़ॉन वगैरह ने सरकार से थोड़ी मोहलत मांगी थी. और अब ऐमज़ॉन ने इसको लागू करने का ऐलान भी कर दिया है.

क्या है खबर?

ऐमज़ॉन इंडिया ने अपने पोर्टल पर समान बेचने वाले दुकानदारों को 10 अगस्त तक सभी नई और मौजूदा लिस्टिंग्स पर "कंट्री ऑफ़ ओरिजिन" मेन्शन करने को कहा है. लिस्टिंग का मतलब क्या? अपना सामान ई-कॉमर्स पोर्टल पर बेचने के लिए एक सेलर को उस आइटम की सारी जानकारी के साथ साइट पर ‘लिस्ट’ करना होता है. यानी लिखना होता है. इसी को लिस्टिंग कहते हैं. ऐमज़ॉन ने इस बाबत सेलर्स को एक ईमेल भी भेजा है, जिसमें उसने कहा है कि अगर हुक्म की तामील न हुई, तो ज़िल्ले-इलाही नाराज़ हो जाएंगे. माने 'कंट्री ऑफ़ ओरिजिन' न लिखा होने पर लिस्टिंग को उड़ा दिया जाएगा. लखनऊ के हमारे एक मित्र हैं शोइब अहमद. ऐमज़ॉन पर टी-शर्ट बेचते हैं. उनको एक मेल आया ऐमज़ॉन की तरफ़ से. लिखा है :
“डियर सेलर, 21 जुलाई, 2020 से हम ‘कंट्री ऑफ़ ओरिजिन’ को ज़रूरी बना रहे हैं. आपको अपनी सारी मौजूदा और नई लिस्टिंग पर ‘कंट्री ऑफ़ ओरिजिन’ लिखना ज़रूरी होगा.”

लेकिन यह 'कंट्री ऑफ़ ओरिजिन' कैसे डिसाइड होगी?

एमज़ॉन ने अपने सेलर्स को इसी मेल में सेलर हेल्प पेज का लिंक भी दिया. फ़िलहाल इस पेज पर “कंट्री ऑफ़ ओरिजिन” की डेफ़िनिशन मोटे-मोटे तौर पर दी गई है. पोर्टल पर मिली जानकारी के मुताबिक़, जो प्रोडक्ट जिस देश में मैन्युफ़ैक्चर होगा, उसका “कंट्री ऑफ़ ओरिजिन” वही होगा. इस डेफ़िनिशन से तो सवालों का तम्बू ही तन गया. वैसे ही सवाल, जो हमने एकदम शुरू में पूछे थे. जैसे- आइफ़ोन अमेरिकी प्रोडक्ट कहलाता है, क्योंकि कंपनी अमेरिकी है. लेकिन आख़िर में आइफ़ोन असेम्बल होने के लिए चीन या भारत ही आता है. इसी तरह ओप्पो, वनप्लस, वीवो और रियलमी के फ़ोन इंडिया में ही असेम्बल होते हैं. इस हिसाब से तो यह चायनीज़ प्रोडक्ट भी इंडियन हो गए. तो हमने अपने सारे सवाल ऐमज़ॉन के सेलर सपोर्ट को भेज दिए, जिसके बदले में बस एक लाइन का जवाब आया :
“हम आपको बताना चाहेंगे कि ‘कंट्री ऑफ़ ओरिजिन’ का मतलब उस देश या देशों से है, जहां पर कोई समान मैन्युफ़ैक्चर या प्रोड्यूस किया जाए, डिज़ाइन किया जाए या फिर वो देश, जहां का ब्रांड है.”

इस तरह दो चीजें पता चलती हैं :

  1. सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग ही तय नहीं करेगी कि प्रोडक्ट कहां का है. डिज़ाइन कहां किया गया है और असल में कंपनी किस देश की है, इसकी भी भूमिका होगी.
  2. लिस्ट करते वक़्त एक सामान के लिए एक से ज्यादा देश भी लिखे जा सकते हैं.
तो क्या मालूम कि कल को ऐपल के फोन पर लिखा मिले- मेड इन अमेरिका एंड चाइना. या अमेरका एंड इंडिया. ये तो अब 10 अगस्त के बाद ही साफ़ होगा. वीडियो: डील के बाद भी ऐपल ने सैमसंग को 7100 करोड़ का हर्जाना चुकाया है