पीएम मोदी की तारीफ
दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में बीजेपी ज्वाइन करने के बाद खुशबू सुंदर ने पीएम मोदी की तारीफ की. कहा, "बीजेपी मेरे लिए क्या करेगी, ये मेरे लिए खास बात नहीं है. लेकिन पार्टी देश की जनता के लिए क्या कर रही है, ये बड़ी बात है. 128 करोड़ लोग एक शख्स पर भरोसा जता रहे हैं. और वो हैं हमारे पीएम. मेरे विचार से वह बिल्कुल ठीक कर रहे हैं."

खुशबू को कांग्रेस में राहुल गांधी का करीबी माना जाता था.
कांग्रेस के बारे में क्या कहा?
वैसे तो खुशबू सुंदर को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का विश्वासपात्र माना जाता था. खुशबू ने सोमवार को सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा. इसमें आरोप लगाया कि (कांग्रेस) पार्टी में बड़े पदों पर कुछ ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका जमीनी हकीकत से कोई जुड़ाव नहीं है. वो पार्टी के लिए काम करने वाले मेरे जैसे लोगों को पीछे धकेल रहे हैं.
करुणानिधि के कहने पर शुरू की थी राजनीति
साल 2010 में डीएमके चीफ करुणानिधि के कहने पर उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. डीएमके के साथ खुशबू का सफर करीब चार सालों तक चला. साल 2014 में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली. साल 2019 में उन्हें ना तो लोकसभा का टिकट दिया गया और ना ही राज्यसभा भेजा गया. ऐसा माना जाता है कि इसी वजह से खुशबू पार्टी से नाराज चल रही थीं.

करुणानिधि के कहने पर खुशबू ने DMK ज्वाइन की थी. (फोटो खुशबू के ट्विटर हैंडल से साभार)
खुशबू का फिल्मी सफर
खुशबू का जन्म मुंबई में हुआ था. उन्होंने बतौर बाल कलाकार अपना करियर शुरू किया. बॉलीवुड में कई फिल्में कीं लेकिन खास सफलता नहीं मिली. उसके बाद, 1986 में उन्होंने तमिल सिनेमा की राह पकड़ ली. तब से जैसे उनकी किस्मत ही बदल गई. एक के बाद एक उनकी फिल्में हिट होती गईं. तमिल सिनेमा के अलावा उन्होंने मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया.
फैन्स का मिला भरपूर प्यार
फैन्स के बीच खुशबू खूब पॉपुलर हुईं. लोगों ने उनका मंदिर बनवा दिया. उनके नाम पर दर्जनों चीजों के नाम रखे जाने लगे, जैसे खुशबू साड़ी और खुशबू कॉफी. वैसे भी तमिलनाडु में फिल्म स्टार्स के लिए लोगों की दीवानगी अक्सर देखने को मिलती है. रजनीकांत की जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है, तब उनके बड़े-बड़े कटआउट्स को दूध से नहलाया जाता है.
खुशबू की राजनीति
खुशबू 10 साल में तीन पार्टी बदल चुकी हैं. कांग्रेस की प्रवक्ता भी रही हैं. बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जानी जाती हैं. ऐसा माना जा रहा है कि साल 2021 में जो विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें खुशबू का बड़ा रोल हो सकता है. बीजेपी के लिए तमिलनाडु एक अवसर की तरह है क्योंकि जयललिता की मृत्यु के बाद AIADMK दो-फाड़ दिख रही है. करुणानिधि की मृत्यु के बाद DMK भी पहले जैसी ताकतवर नहीं है. राज्य में कांग्रेस की बहुत अधिक पैठ नहीं है, ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि वो राज्य में अपना प्रदर्शन सुधार लेगी.